World Heritage
Summary in Marathi
“विश्व वारसा” हा धडा यूनेस्को (United Nations Educational, Scientific and Cultural Organization) द्वारे मानवतेसाठी महत्त्वाच्या ठिकाणांना विश्व वारसा स्थळ म्हणून संरक्षित करण्याबद्दल सांगतो. ही स्थळे सांस्कृतिक किंवा नैसर्गिकदृष्ट्या महत्त्वाची असतात, जसे की जंगले, तलाव, स्मारके, इमारती, शहरे आणि काही ठिकाणे जसे की चीनमधील माउंट हुआंगशान, जे सांस्कृतिक आणि नैसर्गिक दोन्ही वैशिष्ट्यांसाठी प्रसिद्ध आहे. 20व्या शतकात या स्थळांचे संरक्षण करण्याची कल्पना सुरू झाली, विशेषतः 1950 च्या दशकात जेव्हा इजिप्तमधील अबू सिम्बेल मंदिरांना अस्वान धरणामुळे धोका निर्माण झाला होता. यूनेस्कोने ही मंदिरे वाचवण्यासाठी आंतरराष्ट्रीय मोहीम राबवली, जी यशस्वी ठरली. यामुळे 1972 मध्ये विश्व सांस्कृतिक आणि नैसर्गिक वारसा संरक्षणासाठी करार झाला. विश्व वारसा समिती, जी 21 देशांच्या प्रतिनिधींनी बनलेली आहे, दरवर्षी भेटून नवीन स्थळांची निवड करते. यासाठी देशांना प्रथम आपल्या महत्त्वाच्या स्थळांची यादी (Tentative List) तयार करावी लागते, त्यानंतर नामांकन फाइल तयार होते आणि सल्लागार संस्था त्याचे मूल्यांकन करतात. 2009 पर्यंत 148 देशांमध्ये 890 विश्व वारसा स्थळे होती, यात इटलीमध्ये सर्वाधिक (44) आणि भारतात 36 स्थळे होती. माचू पिचू (पेरू) आणि ग्रेट वॉल ऑफ चायना ही काही उदाहरणे आहेत. युद्ध, नैसर्गिक आपत्ती, शहरीकरण आणि पर्यटन यामुळे अनेक स्थळांना धोका आहे, त्यामुळे त्यांना “धोक्यातील विश्व वारसा स्थळे” यादीत समाविष्ट केले जाते. हा धडा आपल्याला या स्थळांचे संरक्षण, पर्यटनाला चालना आणि भावी पिढ्यांसाठी त्यांचे महत्त्व समजावून सांगतो. विद्यार्थ्यांना स्थळांची क्रमवारी लावणे, अहवाल लिहिणे आणि पर्यटन पत्रके तयार करणे यासारख्या उपक्रमांद्वारे याबद्दल अधिक जाणून घेण्यास प्रोत्साहित केले जाते.
Summary in English
The chapter “World Heritage” introduces the concept of World Heritage Sites, which are places of significant cultural or natural importance to humanity, as recognized by UNESCO (United Nations Educational, Scientific and Cultural Organization). These sites, protected under the International World Heritage Programme, include diverse locations like forests, lakes, monuments, buildings, cities, and even mixed sites like Mount Huangshan in China, valued for both its cultural and natural features. The idea of preserving such sites began in the 20th century, with a major push in the 1950s when UNESCO launched a campaign to save the Abu Simbel Temples in Egypt from flooding due to the Aswan High Dam project. This success led to the creation of the Convention for the Protection of World Cultural and Natural Heritage in 1972. The World Heritage Committee, comprising representatives from 21 countries, meets annually to select sites for the World Heritage List based on a rigorous process involving a Tentative List, Nomination File, and review by advisory bodies. As of 2009, there were 890 sites across 148 countries, with Italy having the highest number (44) and India having 36. Sites like Machu Picchu (Peru) and the Great Wall of China are examples. However, many sites face threats from war, natural disasters, urbanization, and tourism, leading to their inclusion on a “World Heritage Sites in Danger” list for special protection. The chapter emphasizes the importance of preserving these sites for future generations, their role in promoting tourism, and the duties of individuals and governments to protect them. Activities like ranking heritage sites, writing reports, and creating tourism leaflets engage students in understanding and valuing global heritage.
Summary in Hindi
“विश्व धरोहर” पाठ UNESCO (United Nations Educational, Scientific and Cultural Organization) द्वारा मानवता के लिए महत्वपूर्ण स्थानों को विश्व धरोहर स्थल के रूप में संरक्षित करने के बारे में बताता है। ये स्थान सांस्कृतिक या प्राकृतिक रूप से महत्वपूर्ण होते हैं, जैसे जंगल, झीलें, स्मारक, इमारतें, शहर, और कुछ स्थान जैसे चीन का माउंट हुआंगशान, जो अपनी सांस्कृतिक और प्राकृतिक विशेषताओं के लिए जाना जाता है। 20वीं सदी में इन स्थानों को बचाने का विचार शुरू हुआ, खासकर 1950 के दशक में जब मिस्र में असवान बांध के कारण अबू सिम्बेल मंदिरों को खतरा हुआ। UNESCO ने इन मंदिरों को बचाने के लिए एक अंतरराष्ट्रीय अभियान चलाया, जो सफल रहा। इससे 1972 में विश्व सांस्कृतिक और प्राकृतिक धरोहर संरक्षण के लिए एक समझौता हुआ। विश्व धरोहर समिति, जिसमें 21 देशों के प्रतिनिधि शामिल हैं, हर साल मिलकर नए स्थलों का चयन करती है। इसके लिए देशों को पहले अपने महत्वपूर्ण स्थानों की सूची (Tentative List) बनानी होती है, फिर नामांकन फाइल तैयार होती है, और सलाहकार संस्थाएं उसका मूल्यांकन करती हैं। 2009 तक 148 देशों में 890 विश्व धरोहर स्थल थे, जिनमें इटली में सबसे ज्यादा (44) और भारत में 36 स्थल थे। माचू पिच्छू (पेरू) और चीन की महान दीवार कुछ उदाहरण हैं। युद्ध, प्राकृतिक आपदाएं, शहरीकरण और पर्यटन के कारण कई स्थलों को खतरा है, इसलिए उन्हें “विश्व धरोहर स्थल खतरे में” सूची में शामिल किया जाता है। यह पाठ हमें इन स्थलों के संरक्षण, पर्यटन को बढ़ावा देने और भविष्य की पीढ़ियों के लिए उनके महत्व को समझाता है। छात्रों को स्थलों की रैंकिंग, रिपोर्ट लिखने और पर्यटन पत्रक बनाने जैसे कार्यों के माध्यम से इसे और बेहतर समझने के लिए प्रेरित किया जाता है।
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