अनुनाद, प्रभाव, लक्षण, सिद्धांत
अनुनाद
जब किसी वस्तु पर कोई बाह्य आवर्त बल आरोपित किया जाता है तो वस्तु में प्रणोदित दोलन बाह्य बल के अंतर्गत उत्पन्न होते हैं। अर्थात
” यदि बाह्य बल की आवृत्ति वस्तु की स्वभाविक आवृत्ति के बराबर हो तो वस्तु के प्रणोदित दोलनों का आयाम बहुत बड़ा हो जाता है इस क्रिया को अनुनाद (resonance) कहते हैं।
अनुनाद की दशा में बाह्य बल सदैव वस्तु के दोलन की कला में रहता है। अतः आवर्त बल द्वारा वस्तु को प्रदान किए गए आवेग के प्रभाव से दोलनो का आयाम लगातार बढ़ता जाता है लेकिन आयाम के बढ़ने पर घर्षण प्रतिरोध भी बढ़ता जाता है। जिस कारण वस्तु की ऊर्जा की हानि की दर भी बढ़ती जाती है। और अंत में एक ऐसी अवस्था और जाती है जब बाह्य बल द्वारा दी गई ऊर्जा वस्तु द्वारा ऊर्जा हानि की दर के बराबर हो जाती है यह स्थिति संतुलन की होती है। प्रायः आयाम बहुत अधिक बड़ा होने से पहले ही आ जाती है।
अनुनाद की तीक्ष्णता
यदि बाह्य बल की आवृत्ति को वस्तु के दोलनो की स्वभाविक आवृत्ति से थोड़ा कम या ज्यादा करने से वस्तु के दोलनो के आयाम में अत्यधिक कमी हो जाए तो यह प्रक्रिया तीक्ष्ण अनुनाद कहलाती है।
इसके विपरीत यदि वस्तु के दोलनो के आयाम में बहुत कम कमी आती है तो यह प्रक्रिया सपाट अनुनाद कहलाती है।
अनुनाद के उदाहरण
अनुनाद के उदाहरण निम्न तीन प्रकार में मिलते हैं
(1) यांत्रिक अनुनाद
(2) ध्वनि अनुनाद
(3) विद्युत चुंबकीय अनुनाद
1. यांत्रिक अनुनाद
सेना का पुल पार करना
जब कोई सेना किसी पुल को पार करती है तो सैनिक कदम मिलाकर नहीं चलते हैं। क्योंकि अगर सैनिक कदम मिलाकर चलेंगे, तो सैनिकों के कदमों की आवृत्ति, पुल की स्वभाविक आवृत्ति के बराबर हो जाए तो पुल टूटने का खतरा हो जाएगा।
2. ध्वनि अनुनाद
(a) स्वरित्र (अनुनाद बॉक्स)
स्वरित्र की ध्वनि बहुत कम होती है परंतु यदि स्वरित्र को किसी खोखले बॉक्स पर खड़ा कर दिया कर दें तो स्वरित्र की आवृत्ति बॉक्स के भीतर की स्वभाविक आवृत्ति के बराबर हो जाये, तो ध्वनि बहुत तेज सुनाई देती है।
(b) डोरियों में कंपन
यदि समान आवृत्ति की दो डोरियां एक ही वाद्य यंत्र पर बंधी है तो इनमे से किसी एक डोरी को हिलाकर छोड़ दें, तो दूसरी डोरी स्वयं ही कंपन करने लगती है।
(c) वातावरण में कंपन
यदि आप अपने कान पर कोई गिलास रखकर ध्वनि सुनें, तो आपको गुनगुन की आवाज आएगी। इसका कारण है कि जब हम गिलास को कान पर लगाते हैं तो जिन आवृत्ति के कंपन, गिलास के भीतर की स्वभाविक आवृत्ति के बराबर होती है तो वह ध्वनि हमें सुनाई देती है।
3. विद्युत चुंबकीय अनुनाद
जब विद्युत चुंबकीय तरंगों की आवृत्ति परिपथ की स्वभाविक आवृत्ति के बराबर होती है तो परिपथ में अनुनादी दोलन उत्पन्न होने लगते हैं। जिसे विद्युत चुंबकीय अनुनाद कहते हैं।
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