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समाजशास्त्र Class 11 Bihar Board | Menu
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समाजशास्त्र Important Questions Chapter 4 पाश्चात्य समाजशास्त्री-एक परिचय Class 11 Samajshastra Bihar Board बिहार बोर्ड

Important Questions For All Chapters – समाजशास्त्र Class 11

Short Questions with Answers


1. समाजशास्त्र का जन्म किन तीन मुख्य क्रांतियों के कारण हुआ?

उत्तर: ज्ञानोदय, फ्रांसिसी क्रांति और औद्योगिक क्रांति।

2. फ्रांसिसी क्रांति के मुख्य सिद्धांत क्या थे?

उत्तर: स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व।

3. “क्रांति के युग” का क्या तात्पर्य है?

उत्तर: वह समय जब समाज में बड़े पैमाने पर बदलाव हुए।

4. मार्क्स का पहला बड़ा प्रकाशन कौन-सा था?

उत्तर: मैनिफेस्टो ऑफ द कम्युनिस्ट पार्टी।

5. दुर्लभ ने किस पुस्तक में श्रम विभाजन का वर्णन किया?

उत्तर: डिवीजन ऑफ लेबर इन सोसायटी।

6. मैक्स वेबर ने “नौकरशाही” को किससे जोड़ा?

उत्तर: तर्कसंगत-वैधानिक सत्ता।

7. “आत्महत्या” पर दुर्खाइम का अध्ययन किस विषय पर था?

उत्तर: आत्महत्या के सामाजिक कारणों पर।

8. समाजशास्त्र का क्या उद्देश्य होता है?

उत्तर: समाज के संरचनाओं और उनके कार्यों का वैज्ञानिक अध्ययन।

9. मार्क्स का मानना था कि समाज में क्या परिवर्तन आएगा?

उत्तर: पूंजीवाद के बाद समाजवाद आएगा।

10. वैबर ने सामाजिक विज्ञान को किस प्रकार का विज्ञान माना?

उत्तर: मानवीय क्रियाओं के अर्थों का अध्ययन करने वाला विज्ञान।

11. सामाजिक संबंधों को किस तरह से व्यवस्थित किया गया था औद्योगिक क्रांति के दौरान?

उत्तर: बड़े पैमाने पर उत्पादन और श्रम के बीच पारस्परिक निर्भरता से।

12. फ्रांसिसी क्रांति ने धर्म और शिक्षा को किस प्रकार प्रभावित किया?

उत्तर: धर्म को व्यक्तिगत क्षेत्र में और शिक्षा को सार्वजनिक क्षेत्र में स्थान दिया।

13. औद्योगिक क्रांति के कारण समाज में क्या परिवर्तन हुए?

उत्तर: शहरीकरण, श्रम शोषण और आर्थिक असमानता बढ़ी।

14. दुर्लभ के अनुसार समाज में नैतिक संहिताओं का क्या स्थान है?

उत्तर: समाज की मुख्य विशेषता, जो व्यक्तिगत आचरण को निर्धारित करती है।

15. मार्क्स ने किसे पूंजीवाद का सबसे निचला स्तर माना?

उत्तर: सर्वहारा वर्ग।

16. मार्क्स के अनुसार पूंजीवादी समाज में अलगाव किस तरह की स्थिति पैदा करता है?

उत्तर: मजदूरों का अपने श्रम और उत्पाद से अलगाव।

17. फ्रांसिसी क्रांति ने क्या सामाजिक बदलाव किए?

उत्तर: जन्मजात विशेषाधिकार समाप्त किए और नागरिक अधिकारों का उद्घाटन किया।

18. दुर्लभ ने समाज को किस दृष्टिकोण से देखा?

उत्तर: सामाजिक तथ्यों के रूप में जो व्यक्ति से बाहर होते हैं और उनके व्यवहार को प्रभावित करते हैं।

19. वैबर के अनुसार “समानुभूति समझ” का क्या अर्थ है?

उत्तर: समाजशास्त्री का कार्य उन लोगों के क्रियाओं के अर्थों को समझना।

20. नौकरशाही की विशेषताएँ क्या होती हैं?

उत्तर: स्पष्ट नियम, लिखित दस्तावेज, पदों का सोपानिक क्रम।


Medium Questions with Answers


1. समाजशास्त्र का जन्म किस ऐतिहासिक संदर्भ में हुआ?

उत्तर: समाजशास्त्र का जन्म 9वीं शताब्दी में पश्चिमी यूरोप में हुआ, जब ज्ञानोदय, फ्रांसिसी क्रांति और औद्योगिक क्रांति ने समाज के संरचनात्मक और राजनीतिक परिवर्तन किए। इन परिवर्तनों ने समाज को नए दृष्टिकोण से देखने की आवश्यकता पैदा की, जिसके कारण समाजशास्त्र एक शास्त्रीय और वैज्ञानिक विधा के रूप में विकसित हुआ।

2. फ्रांसिसी क्रांति के प्रभाव समाज पर कैसे पड़े?

उत्तर: फ्रांसिसी क्रांति ने जन्मजात विशेषाधिकारों को समाप्त किया और नागरिक अधिकारों की अवधारणा को जन्म दिया। इसने यह साबित किया कि समाज में सभी व्यक्तियों को समान अधिकार मिलने चाहिए और किसी भी व्यक्ति को केवल जन्म के आधार पर विशेष अधिकार नहीं मिल सकते।

3. दुर्लभ ने समाज को किस प्रकार से परिभाषित किया?

उत्तर: दुर्खाइम के अनुसार, समाज एक सामाजिक तथ्य है जो व्यक्ति से ऊपर होता है। सामाजिक तथ्य वह बंधन होते हैं जो लोगों को एक समूह के रूप में जोड़ते हैं और उनके आचरण को निर्धारित करते हैं। इन बंधनों के माध्यम से समाज के नैतिक और सांस्कृतिक मानक बनते हैं।

4. कार्ल मार्क्स ने समाज में श्रम विभाजन के बारे में क्या कहा?

उत्तर: मार्क्स के अनुसार, समाज का विकास विभिन्न श्रम विभाजन और उत्पादन व्यवस्था के आधार पर होता है। उन्होंने इसे ऐतिहासिक दृष्टिकोण से देखा, जहाँ प्रत्येक समाज के आर्थिक रूप और श्रम के संबंधों का समाज की संरचना और संबंधों पर गहरा प्रभाव होता है।

5. वैबर के आदर्श प्रारूप का क्या उद्देश्य था?

उत्तर: वैबर के आदर्श प्रारूप का उद्देश्य सामाजिक घटनाओं को विश्लेषण के रूप में समझना और उनके मुख्य पहलुओं को स्पष्ट करना था। यह एक तार्किक रूप से विकसित किया गया मॉडल था, जो वास्तविकता को दर्शाने के लिए नहीं, बल्कि घटना के विश्लेषण को सरल और व्यवस्थित बनाने के लिए था।

6. औद्योगिक क्रांति ने समाज के किस पहलू को प्रभावित किया?

उत्तर: औद्योगिक क्रांति ने उत्पादन की व्यवस्था में बड़े बदलाव किए। इसने श्रमिकों की मांग बढ़ाई और उन्हें खतरनाक परिस्थितियों में काम करने के लिए मजबूर किया। साथ ही, इसने शहरीकरण को बढ़ावा दिया और सामाजिक असमानताओं को भी बढ़ाया।

7. मार्क्स के अनुसार, पूंजीवाद में व्यक्ति किस तरह से अलगाव का अनुभव करता है?

उत्तर: पूंजीवादी समाज में, व्यक्ति अपने श्रम, उत्पाद और समाज के अन्य सदस्यों से अलगाव महसूस करता है। मजदूरों के पास अपने श्रम के परिणामों पर कोई अधिकार नहीं होता, जिससे उनका अपने जीवन और कार्यों पर नियंत्रण कम हो जाता है।

8. दुर्लभ और मार्क्स के दृष्टिकोण में क्या अंतर है?

उत्तर: दुर्खाइम ने समाज की एकता और सामूहिक संहिताओं पर जोर दिया, जबकि मार्क्स ने समाज में वर्ग संघर्ष और आर्थिक असमानताओं पर ध्यान केंद्रित किया। दुर्खाइम ने समाज को एक व्यवस्थित और नैतिक इकाई के रूप में देखा, जबकि मार्क्स ने समाज को संघर्षपूर्ण और परिवर्तनशील रूप में परिभाषित किया।

9. समाजशास्त्र को वैज्ञानिक विधा के रूप में स्थापित करने में दुर्खाइम का क्या योगदान था?

उत्तर: दुर्खाइम ने समाजशास्त्र को वैज्ञानिक दृष्टिकोण से स्थापित किया। उन्होंने समाज के नैतिक तथ्यों और उनके प्रभावों को वैज्ञानिक तरीके से अध्ययन किया। उनके कार्य ने समाजशास्त्र को अन्य सामाजिक विज्ञानों के समान एक वैज्ञानिक विषय बना दिया।

10. नौकरशाही के विकास के बारे में वैबर ने क्या विचार व्यक्त किए?

उत्तर: वैबर के अनुसार, नौकरशाही वह प्रणाली है जो सार्वजनिक मामलों को व्यवस्थित और प्रभावी तरीके से चलाने के लिए आवश्यक है। इसमें लिखित दस्तावेज, स्पष्ट नियम और पदों का निश्चित क्रम होता है, जिससे यह प्रणाली तर्कसंगत और वैधानिक बनती है।

11. ज्ञानोदय ने समाज को किस दिशा में प्रभावित किया?

उत्तर: ज्ञानोदय ने धर्मनिरपेक्षता, वैज्ञानिक सोच और मानवतावाद को बढ़ावा दिया। इसके परिणामस्वरूप, समाज में व्यक्ति के अधिकारों और उसकी स्वतंत्रता को महत्वपूर्ण माना गया और धार्मिक विश्वासों को चुनौती दी गई।

12. कार्ल मार्क्स के अनुसार पूंजीवाद का अंतिम परिणाम क्या होगा?

उत्तर: मार्क्स के अनुसार, पूंजीवाद के अंत में समाजवाद की स्थापना होगी, जहां सर्वहारा वर्ग पूंजीवादी समाज के शोषण के खिलाफ क्रांति करेगा और समाज में समानता और न्याय स्थापित करेगा।

13. सामाजिक तथ्य क्या होते हैं और इन्हें कैसे पहचाना जा सकता है?

उत्तर: सामाजिक तथ्य वे बाहरी तत्व होते हैं जो व्यक्ति के आचरण को प्रभावित करते हैं। इन्हें व्यक्ति की गतिविधियों और सामाजिक संस्थाओं के विश्लेषण से पहचाना जा सकता है। ये तथ्यों के रूप में होते हैं और समाज में एक विशेष उद्देश्य को पूरा करते हैं।

14. मार्क्स के अनुसार समाज में विभाजन के कौन-कौन से स्तर हैं?

उत्तर: मार्क्स ने समाज में विभाजन के चार मुख्य स्तर बताए: आदिम साम्यवाद, दासता, सामंतवाद और पूंजीवाद। उन्होंने बताया कि समाज का विकास इन विभिन्न रूपों से होता है, और पूंजीवाद के बाद समाजवाद आएगा।

15. वैबर के आदर्श प्रारूप का समाजशास्त्र में क्या महत्व है?

उत्तर: वैबर के आदर्श प्रारूप का महत्व यह है कि यह सामाजिक घटनाओं के मुख्य पहलुओं को स्पष्ट और समझने योग्य बनाता है। यह वास्तविकता से अलग एक सिद्धांतात्मक मॉडल है, जो विश्लेषण में मदद करता है।


Long Questions with Answers


1. समाजशास्त्र का विकास किन ऐतिहासिक घटनाओं से हुआ?

उत्तर: समाजशास्त्र का विकास 9वीं शताब्दी में हुआ, जब पश्चिमी यूरोप में ज्ञानोदय, फ्रांसिसी क्रांति और औद्योगिक क्रांति जैसी घटनाएँ घटी। ज्ञानोदय ने धार्मिक विश्वासों को चुनौती दी और वैज्ञानिक सोच को बढ़ावा दिया। फ्रांसिसी क्रांति ने नागरिक अधिकारों और समानता की अवधारणाओं को जन्म दिया। औद्योगिक क्रांति ने समाज में श्रम और उत्पादन के संबंधों में बड़े बदलाव किए। इन सभी घटनाओं ने समाजशास्त्र को एक वैज्ञानिक विधा के रूप में विकसित किया।

2. दुर्लभ के अनुसार समाज में नैतिक संहिताओं का क्या महत्व है?

उत्तर: दुर्खाइम के अनुसार, समाज की एकता और संरचना नैतिक संहिताओं से निर्धारित होती है। ये संहिताएँ समाज के मानकों और मूल्य प्रणाली को दर्शाती हैं। वे व्यक्ति के व्यवहार को नियंत्रित करती हैं और समाज के अंतर्गत व्यक्ति की भूमिका को आकार देती हैं। दुर्खाइम ने समाजशास्त्र को नैतिक तथ्यों के अध्ययन के रूप में देखा, जो समाज की संरचना और एकता को बनाए रखते हैं।

3. मार्क्स ने पूंजीवादी समाज में श्रम विभाजन को किस प्रकार देखा?

उत्तर: मार्क्स ने पूंजीवादी समाज में श्रम विभाजन को एक शोषण प्रणाली के रूप में देखा। उन्होंने कहा कि पूंजीवाद में श्रमिकों का अपने श्रम और उत्पाद से कोई अधिकार नहीं होता। श्रमिक अपने द्वारा बनाए गए उत्पादों पर नियंत्रण नहीं रख पाते और इस प्रकार उनका अपने जीवन पर कोई नियंत्रण नहीं होता। इसके कारण समाज में असमानताएँ और आर्थिक भेदभाव बढ़ते हैं।

4. नौकरशाही के बारे में वैबर की दृष्टि क्या थी?

उत्तर: वैबर के अनुसार, नौकरशाही आधुनिक समाज की एक महत्वपूर्ण व्यवस्था है। यह सार्वजनिक कार्यों को सुसंगत और प्रभावी तरीके से करने के लिए स्थापित की जाती है। नौकरशाही में प्रत्येक कर्मचारी के कार्य स्पष्ट होते हैं, और उसका संचालन नियमों और कानूनों के आधार पर होता है। इस व्यवस्था में कर्मचारियों की जिम्मेदारियाँ और अधिकार निर्धारित होते हैं, जो उन्हें अपने कार्यों को प्रभावी तरीके से करने में मदद करते हैं।

5. समाजशास्त्र में “सामाजिक तथ्य” की अवधारणा का क्या महत्व है?

उत्तर: सामाजिक तथ्य वे बाह्य तत्व होते हैं जो व्यक्ति के आचरण को प्रभावित करते हैं। दुर्खाइम ने इन्हें वैज्ञानिक तरीके से पहचानने और समझने का प्रयास किया। सामाजिक तथ्य केवल व्यक्तियों की क्रियाओं से जुड़े नहीं होते, बल्कि वे समाज की पूरी संरचना और संस्थाओं से संबंधित होते हैं। ये ऐसे नियम और मानक होते हैं, जो समाज में स्थितियों और व्यवहार को नियंत्रित करते हैं।

6. वैबर के “समानुभूति समझ” के सिद्धांत का क्या महत्व था?

उत्तर: वैबर ने समाजशास्त्र में “समानुभूति समझ” की अवधारणा को प्रस्तुत किया, जिसका अर्थ था कि समाजशास्त्री को सामाजिक कर्ताओं के क्रियाओं के अर्थों को समझने की कोशिश करनी चाहिए। उन्होंने इसे वैज्ञानिक दृष्टिकोण से किया, ताकि वे बिना अपनी व्यक्तिगत पूर्वधारणा के, कर्ताओं की अभिप्रेरणा और उनके क्रियाओं के वास्तविक अर्थों को समझ सकें। यह सिद्धांत समाजशास्त्र को मूल्य तटस्थ बनाए रखने में सहायक था।

7. फ्रांसिसी क्रांति और औद्योगिक क्रांति ने समाज में क्या बदलाव किए?

उत्तर: फ्रांसिसी क्रांति ने नागरिक अधिकारों और समानता की अवधारणाओं को जन्म दिया और जन्मजात विशेषाधिकारों को समाप्त किया। इसके कारण समाज में लोकतांत्रिक सिद्धांतों का विकास हुआ। औद्योगिक क्रांति ने उत्पादन के तरीकों को बदल दिया, जिससे बड़े पैमाने पर शहरीकरण हुआ और श्रमिक वर्ग का शोषण बढ़ा। इसने समाज में वर्ग भेद और आर्थिक असमानताओं को जन्म दिया।

8. दुर्लभ ने समाज को किस दृष्टिकोण से देखा और इसके परिणाम क्या थे?

उत्तर: दुर्खाइम ने समाज को एक नैतिक समुदाय के रूप में देखा, जिसमें सामाजिक तथ्य और संहिताएँ व्यक्ति के आचरण को नियंत्रित करती थीं। उनके अनुसार, समाज का अस्तित्व इन संहिताओं पर निर्भर करता था, जो व्यक्तियों को एकजुट करती थीं। दुर्खाइम ने समाजशास्त्र को एक वैज्ञानिक विधा के रूप में स्थापित किया, जिससे सामाजिक व्यवहार को समझने में मदद मिली।

9. समाजशास्त्र की “वर्ग चेतना” के बारे में मार्क्स का क्या दृष्टिकोण था?

उत्तर: मार्क्स के अनुसार, समाज में वर्ग चेतना तभी विकसित होती है जब श्रमिक वर्ग अपने शोषण को समझता है और अपने अधिकारों के लिए संघर्ष करता है। इस चेतना के अभाव में वर्ग संघर्ष संभव नहीं होता। जब वर्ग संघर्ष उभरता है, तब क्रांति होती है, और शासक वर्ग को उखाड़ फेंका जाता है।

10. वैबर के “आदर्श प्रारूप” का समाजशास्त्र में क्या महत्व था?

उत्तर: वैबर का आदर्श प्रारूप एक विश्लेषणात्मक उपकरण था, जिसका उद्देश्य सामाजिक घटनाओं के मुख्य पहलुओं को समझना और उनके बीच के संबंधों को स्पष्ट करना था। यह वास्तविकता को हू-ब-हू न दर्शाकर, विश्लेषण को व्यवस्थित और सरल बनाने में मदद करता था। यह एक सिद्धांतात्मक मॉडल था, जिसका उद्देश्य सामाजिक घटनाओं को समझने में सहायता करना था।

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