The Pilgrim
Summary in Marathi
“द पिलग्रिम” हे प्रकरण एक सुंदर कवितेवर आधारित आहे, ज्यात एक म्हातारा प्रवासी संध्याकाळी एक खोल आणि रुंद दरी (चॅस्म) ओलांडतो आणि मग तिथे पूल बांधतो. कविता सुरू होते तेव्हा हा म्हातारा एकटाच महामार्गावर चालत असतो आणि थंड, करड्या संध्याकाळी दरीकडे येतो. तो निर्भयपणे दरी पार करतो, पण दुसऱ्या बाजूला पोहोचल्यावर थांबतो आणि पूल बांधायला सुरुवात करतो. दुसरा एक प्रवासी त्याला विचारतो की, तुझा प्रवास आता संपत आला आहे आणि तुला पुन्हा इथून जायचं नाही, मग पूल का बांधतोस? म्हातारा सांगतो की, तो हा पूल एका सोनेरी केसांच्या तरुणासाठी बांधत आहे जो त्याच्यानंतर येईल. तो म्हणतो की, ही दरी मला भयानक वाटली नाही, पण त्या तरुणासाठी ती धोकादायक ठरू शकते, आणि म्हणून तो त्याच्या सुरक्षेसाठी पूल बांधत आहे. ही कविता रूपकात्मक आहे, ज्यात प्रवासी कर्तव्यदक्ष माणसाचं, प्रवास जीवनाचं, दरी धोक्याचं आणि पूल बांधणं म्हणजे इतरांसाठी समस्या सोडवणं दर्शवतं. प्रकरणात गटचर्चा, काव्य अलंकार (टॉटोलॉजी, इनव्हर्शन, प्रश्नात्मक) आणि कवितेची थीम, पात्रं व तुकबंदी यांचं विश्लेषण करण्याचे उपक्रम आहेत. हे प्रकरण आपल्याला निःस्वार्थीपणा आणि इतरांना मदत करण्याचा संदेश देतं.
Summary in English
The chapter “The Pilgrim” revolves around a meaningful poem about an old pilgrim who crosses a dangerous chasm (a deep gap) during twilight and then builds a bridge over it. The poem begins with the old man walking alone on a highway, reaching a wide and deep chasm as evening falls. Despite the difficulty, he crosses it fearlessly. However, instead of moving on, he stops to build a bridge. Another pilgrim questions him, asking why he bothers to build it since his journey is almost over and he won’t need to cross again. The old man explains that he is building the bridge for a young, fair-haired youth who will come after him. He says the chasm, which didn’t scare him, might be a danger to the youth, and he wants to ensure the young one’s safety. The poem is metaphorical, where the pilgrim represents a dutiful person, the journey symbolizes life, the chasm stands for life’s threats, and building the bridge shows solving problems for others. The chapter includes activities like group discussions about past dangers mankind faced, poetic devices (Tautology, Inversion, Interrogation), and exercises to analyze the poem’s theme, characters, and rhyme scheme. It teaches values like selflessness, responsibility, and helping others.
Summary in Hindi
“द पिलग्रिम” नामक अध्याय एक सुंदर कविता पर आधारित है, जिसमें एक बूढ़ा यात्री शाम के समय एक गहरे और चौड़े खड्ड (चैस्म) को पार करता है और फिर उसके ऊपर एक पुल बनाता है। कविता की शुरुआत में बूढ़ा यात्री अकेले एक राजमार्ग पर चल रहा होता है और ठंडी, धूसर शाम को खड्ड के पास पहुँचता है। वह नन्हें डर के बिना इसे पार कर लेता है, लेकिन दूसरी तरफ पहुँचकर रुक जाता है और पुल बनाना शुरू करता है। एक दूसरा यात्री उससे सवाल करता है कि वह क्यों मेहनत कर रहा है, क्योंकि उसका सफर खत्म होने वाला है और उसे दोबारा यहाँ से गुजरना नहीं है। बूढ़ा जवाब देता है कि वह यह पुल एक युवा, सुनहरे बालों वाले लड़के के लिए बना रहा है जो उसके बाद आएगा। वह कहता है कि यह खड्ड, जो उसके लिए डरावना नहीं था, उस युवा के लिए खतरा बन सकता है, और वह उसकी सुरक्षा के लिए ऐसा कर रहा है। यह कविता रूपक है, जिसमें यात्री कर्तव्यनिष्ठ इंसान को, सफर जीवन को, खड्ड खतरे को, और पुल बनाना दूसरों की समस्याएँ हल करने को दर्शाता है। अध्याय में समूह चर्चा, काव्य अलंकार (टॉटोलॉजी, इनवर्शन, प्रश्नात्मक), और कविता के थीम, पात्रों और तुकबंदी की व्याख्या के अभ्यास हैं। यह हमें निस्वार्थता और दूसरों की मदद करने का संदेश देता है।
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