eVidyarthi
Menu
  • School
    • Close
    • CBSE English Medium
    • CBSE Hindi Medium
    • UP Board
    • Bihar Board
    • Maharashtra Board
    • MP Board
    • Close
  • Sarkari Exam Preparation
    • Close
    • Notes For Competitive Exams
    • MCQs for Competitive Exams
    • All Govt Exams Preparation
    • NCERT Syllabus for Competitive Exam
    • Close
  • Study Abroad
    • Close
    • Study in Australia
    • Study in Canada
    • Study in UK
    • Study in Germany
    • Study in USA
    • Close
इतिहास Class 6 यूपी बोर्ड | Menu
  • MCQ Itihas Class 7 UP Board
  • Videos Itihas Class 7 UP Board
  • Book Itihas Class 7 UP Board
  • Questions Answer Itihas Class 7 UP Board
  • Notes Itihas Class 7 UP Board
  • Important Questions Itihas Class 7 UP Board
  • Itihas Class 7

UP Board Class 7 Itihas Notes Chapter 1 इस्लाम का भारत में आगमन

Notes For All Chapters – इतिहास Class 7

इस्लाम धर्म की शुरुआत

इस्लाम का उदय सातवीं सदी में अरब प्रायद्वीप में हुआ। इसके अन्तिम नबी हजरत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का जन्म 570 ईस्वी में मक्का में हुआ था। लगभग 613 इस्वी के आसपास हजरत मुहम्मद साहब ने लोगों को अपने ज्ञान का उपदेशा देना आरंभ किया था। इसी घटना को इस्लाम का आरंभ के रूप में जाना जाता है। मोहम्मद साहब के जन्म के समय अरबवासी अत्यन्त पिछडी, क़बीलाई और चरवाहों की ज़िन्दगी बिता रहे थे। अतः मुहम्मद साहब ने उन क़बीलों को संगठित करके एक स्वतंत्र राष्ट्र बनाने का प्रयास किया। 15 वर्ष तक व्यापार में लगे रहने के पश्चात् वे कारोबार छोड़कर चिन्तन-मनन में लीन हो गये। मक्का के समीप हिरा की चोटी पर कई दिन तक चिन्तनशील रहने के उपरान्त उन्हें देवदूत जिबरील का संदेश प्राप्त हुआ कि वे जाकर क़ुरान शरीफ़ के रूप में प्राप्त ईश्वरीय संदेश का प्रचार करें। तत्पश्चात् उन्होंने इस्लाम धर्म का प्रचार शुरू किया। उन्होंने मूर्ति पूजा का विरोध किया, जिससे मक्का का पुरोहित वर्ग भड़क उठा और अन्ततः मुहम्मद साहब ने 16 जुलाई 622 को मक्का छोड़कर वहाँ से 300 किलोमीटर उत्तर की ओर यसरिब (मदीना) की ओर कूच कर दिया। उनकी यह यात्रा इस्लाम में ‘हिजरत’ कहलाती है। इसी दिन से ‘हिजरी संवत’ का प्रारम्भ माना जाता है। कालान्तर में 630 ई. में अपने लगभग 10 हज़ार अनुयायियों के साथ मुहम्मद साहब ने मक्का पर चढ़ाई करके उसे जीत लिया और वहाँ इस्लाम को लोकप्रिय बनाया। दो वर्ष पश्चात् 8 जून, 632 को उनका निधन हो गया।

काबा (मक्का)

मोहम्मद साहब की शिक्षाएँ

प्रत्येक मुस्लमान को इस बात में विश्वाश रखना चाहिए अल्लाह एक मात्र पूजनीय है और पैगम्बर मोहम्मद उसके पैगम्बर है ।

प्रत्येक मुस्लमान को दिन में पांच बार नमाज अदा करना अनिवार्य है ।

निर्धनों को जकात (एक प्रकार का दान ) देना चाहिए ।

इस्लाम को मानने वाले को रमजान के महीने में रोजे रखना चाहिए ।

प्रत्येक मुस्लमान को अपने जीवन कल में एक बार काबा की हज यात्रा अवशय करना चाहिए ।

632 ई में पैगम्बर मोहम्मद का देहान्त हो गया और बाद अरब में खलीफाओं का प्रभुत्व स्थापित हो गया । इन्होने अपना साम्राज्य अरब देश ,सीरिया ,इराक ,ईरान ,मिस्र, उत्तरी अफ्रीका तथा स्पेन तक फैलाया ।

भारत में इस्लाम धर्म

अरब पक्के सौदागर थे वे सातवी सदी में भारत के पश्चिम तट पर अलग-अलग बंदरगाहों में बड़ी संख्या में आकर बसने लगे। ये लोग इसी देश की स्त्रियों के साथ विवाह कर लेते थे, इनकी बस्तिया मालाबार (केरल) में थी। ‘मालाबार के हिन्दु राजा चेरामन पेरूमल ने इस्लाम धर्म स्वीकार कर लिया। राजा का नाम अब्दुर्रहमान सानी रखा गया। ’राजा चेरामन पेरूमल के उत्तराधिकारियों ने बड़े हर्ष के साथ अरब विद्वानों का स्वागत किया और मालाबार तट पर ग्यारह मस्जिद बनाई।
राष्ट्रकुट शासकों ने मुस्लिम व्यापारियों को अपने राज्य में बसने और इस्लाम का प्रचार करने की अनुमति दी। राष्ट्रकुट साम्राज्य के अनेक तटीय नगरों में नमाज के लिए उनकी बड़ी – बड़ी मस्जिदे थी। सहिष्णुता की इस नीति ने विदेशी व्यापार को बढ़ावा दिया जिससे राष्ट्रकुटों की समृद्धि बढ़ी। अरब यात्री सुलेमान (851 ई0) राष्ट्रकूट शासक अमोधवर्ष (814-878) को बल्हार कहता है और उसे संसार के चार महानतम शासकों में गिनता हैं। विचित्र बात यह थी कि हर जगह अरबों तथा नये भारतीय – मुसलमानों के साथ सहृदयता का बरताव किया जाता था और उन्हें अपने धर्म का पालन करने तथा नये लोगों को मुसलमान बनने की आज्ञा थी।

महमूद गजनवी का भारत पर आक्रमण

महमूद गजनवी

एक तुर्क सरदार अल्पतगीन ने 932 ई० में गजनी (मध्य एशिया) में एक स्वतंत्र राज्य की स्थापना की।
अल्पतगीन की मृत्यु के पश्चात उसके दास एवं दामाद सुबुक्तगीन ने 977 ई० में गजनी पर अधिकार कर लिया।
सुबुक्तगीन ने पंजाब के तत्कालीन शासक जयपाल शाही को 986-87 ई० में हराया एवं तुर्कों के लिए भारत-विजय के द्वार खोल दिये।
सुबुक्तगीन का पुत्र महमूद गजनी (जम्न-971 ई०) था, जिसने भारत के विरुद्ध प्रसिद्ध तुर्की अभियान किये।
998 ई० में महमूद गजनी 27 वर्ष की उम्र में गजनी का शासक बना, उस वक्त उसके राज्य में अफगानिस्तान एवं खुरासन सम्मिलित थे।
11 वीं शताब्दी भारत में राजनैतिक विकेंद्रियकरण का समय था
यह समय राजपूत राज्यों का था जिन्होंने हर्ष के बाद अपनी अपनी प्रधानता की क्षेत्रीय ईकाईयाँ बनाई
महम्मूद गजनवी ने 998 ई0 से 1030 ई0 तक भारत पर शासन किया
महम्मूद गजनवी सुबुक्तगीन का पुत्र था अपने पिता के समय यह खुरसान का शासक था
महम्मूद गजनवी ने 1001 ई0 से 1027 तक भारत पर 17 बार आक्रमण किये

सोमनाथ की लूट

महमूद गजनी का सर्वाधिक महत्वपूर्ण आक्रमण सोमनाथ मंदिर पर था।
जनवरी 1025 में वह अन्हिलवाड़ा पहुँचा एवं सोमनाथ के प्रसिद्ध मंदिर पर आक्रमण कर दिया
महमूद ने मंदिर के शिवलिंग के टुकड़े-टुकड़े कर दिये और टुकड़ों को उसने गजनी, मक्का एवं मदीना भेजवा दिया। ।
सोमनाथ की लूट से महमूद को लगभग 2 करोड़ दीनार की संपत्ति हाथ लगी।
बगदाद के खलीफा अल-कादिर बिल्लाह ने ‘महमूद’ के राज्यारोहण को मान्यता देते हुए, उसे यमीन-उद्द-दौला एवं यमीन-उल-मिल्लाह की उपाधियाँ प्रदान की।
गजनी का स्वतंत्र शासक बनने के बाद महमूद ने ‘सुल्तान’ की उपाधि धारण की एवं इतिहास में सुल्तान महमूद के नाम से विख्यात हुआ।
उसके आक्रमण का प्रमुख उद्देश्य अधिक धन लूटना था
महम्मूद गजनवी का पहला आक्रमण सीमावर्ती नगरों पर हुआ जिसमें उसने कुछ किलों व प्रदेशों पर अपना अधिकार कर लिया
महम्मूद गजनवी का दूसरा आक्रमण 1001-1002 के बीच हिंदुशाही वंशीय शासक जयपाल के विरुध्द हुआ
पेशावर के युध्द में हार जाने के कारण जयपाल ने आत्महत्या कर ली
1006 ई0 में महम्मूद गजनवी ने मुल्तान के शासक अब्दुल फतह के विरुध्द आक्रमण किया
महम्मूद गजनवी ने अपना सोलहवॉ और सर्वाधिक महत्वपूर्ण आक्रमण 1025-26 ई0 में किया
इस आक्रमण में उसने सोमनाथ मंदिर को अपना निशाना बनाया
सोमनाथ मंदिर से उसे अपार संप्पति हासिल हुई बाद में उसने सोमनाथ मंदिर को तोड दिया
महम्मूद गजनवी ने मन्दिर के शिवलिंग के टुकडे-टुकडे कर दिये और टुकडों को गजनी,मक्का ,मदीना भिजवा दिया
महम्मूद गजनवी के दरबार में अलबरुनी फिरदौसी ,उत्बी एवं फरुखी जैसे रत्न थे
महम्मूद गजनवी सुल्तान की उपाधि धारण करने वाला पहला शासक था
महम्मूद गजनवी के साथ प्रसिध्द विद्दान अलबरुनी भारत आया
अलबरुनी की प्रसिध्द रचना किताब-उल-हिंद थी
महम्मूद गजनवी ने भारतीय आक्रमणों के समय ‘जेहाद’ का नारा दिया और अपना नाम ‘बुतशिन’ रखा
30 अप्रैल 1030 में महम्मूद गजनवी की मृत्यु हो गयी

सोमनाथ मंदिर

मोहम्मद गौरी

मोहम्मद गौरी अफगानिस्तान के गोर नामक स्थान का था । जिसका भारत पर आक्रमण कर भारत को जीतने का उद्देश्य मोहम्मद कासिम और महमूद गजनवी के उद्देश्यों से अलग था। मोहम्मद गोरी न सिर्फ भारत पर लूटपाट कर भारत पर अपना सिक्का चलाना चाहता था, बल्कि उसका मुख्य उद्देश्य भारत में मुस्लिम राज्य की स्थापना करना था भारत पर अपना आधिपत्य जमाने के लिए मोहम्मद गौरी ने सबसे पहले साल 1175 में मुल्तान पर उस समय हमला किया, जब वहां शिया मत को मानने वाले करामाता शासन कर रहे थे। हालांकि गौरी ने मुल्तान पर जीत हासिल की। इसके बाद पूरे भारत में इस्लामिक राज्य की स्थापना करने के उद्देश्य से गौरी ने साल 1178 ईसवी में गुजरात पर आक्रमण किया। गुजरात के शासक ने गौरी की नापाक चाल को नाकाम कर उसे गुजरात से खदेड़ दिया। यह गौरी की पहली हार थी, जिससे सबक लेकर मोहम्मद गोरी ने भारत में अपने विजय अभियान के मार्ग में परिवर्तन कर पंजाब की तरफ से भारत में अपना अधिकार जमाने के प्रयास किए। मोहम्मद गोरी ने भारत पर अधिकार करने का अपना सपना साकार करने के मकसद से साल 1179 से 1186 के बीच पंजाब पर फतह हासिल की। वहीं जिस समय उसने पंजाब पर आक्रमण किया जब पंजाब में महमूद शासक शासन संभाल रहे थे, इस तरह गौरी ने उन्हें हराकर पंजाब पर कब्जा कर लिया।

पृथ्वीराज चौहान

पंजाब जीतने के बाद मुहम्मद गौरी की राज्य की सीमाएँ दिल्ली और अजमेर के शासक पृथ्वीराज चौहान के राज्य से मिलने लगी । जिसके चलते मोहम्मद गौरी का उत्तरी भारत के मैदानी भू-भागों में आगे बढ़ने के लिए रास्ता तो साफ हो गया, लेकिन मोहम्मद गोरी के राज्य की सीमा दिल्ली और अजमेर के महान शासक पृथ्वीराज चौहान के राज्य से लगी हुई थी, इसलिए भारत पर अपना अधिकार जमाने के मकसद से आगे बढ़ने के लिए गोरी को महान पराक्रमी योद्धा पृथ्वीराज चौहान से दुश्मनी मोल लेनी पड़ी। पृथ्वीराज के शत्रु राजा जयचंद ने मोहम्मद गौरी को पृथ्वीराज से युद्ध करने के लिए उकसाया और वादा किया कि वे गौरी की इस युद्द में मद्द करेंगे। इसके बाद मोहम्मद गौरी और पृथ्वीराज चौहान के बीच भीषण युद्ध हुआ।

तराइन का युद्ध

साल 1191 में थानेश्वर के पास तराइन के मैदान में पृथ्वीराज और मोहम्मद गौरी के बीच पहला युद्ध हुआ, जिसमें, मोहम्मद गौरी को हार का सामना करना पड़ा। इस युद्ध में पृथ्वीराज चौहान द्धारा मोहम्मद गौरी को बंधक बना लिया गया, हालांकि पृथ्वीराज चौहान ने बाद में उसे छोड़ दिया। गोरी और पृथ्वीराज चौहान के बीच हुआ यह युद्ध तराइन का प्रथम युद्द के नाम से मशहूर है।

प्रथम युद्ध में पृथ्वीराज चौहान से पराजित होने के बाद मोहम्मद गौरी ने अपनी और अधिक शक्ति और साहस के साथ पृथ्वीराज चौहान पर साल 1192 में तराइन के मैदान में ही आक्रमण कर दिया और इस युद्ध में मोहम्मद गौरी के पराक्रम के सामने महान योद्दा पृथ्वीराज चौहान का साहस भी कमजोर पड़ गया और वे इस युद्ध में हार गए। इसके बाद मोहम्मद गौरी और कन्नौज के राज् जयचंद जिसने पृथ्वीराज के खिलाफ युद्ध में साथ दिया था, दोनों के बीच युद्ध हुआ। मोहम्मद गौरी ने जयचंद की धोखेबाजी से गुस्साकर उस पर आक्रमण कर दिया। उन दोनों के बीच हुए युद्ध को “चंद्रवार” कहा गया। युद्ध जीतने के बाद गौरी अपने अपने राज्य गजनी वापस लौट गया था साल 1206 ईसवी में मोहम्मद गौरी की मौत के बाद भारत में कुतुबुद्दीन ऐबक ने एक नए गुलाम वंश की नींव डाली।

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Ads

UP Board सभी कक्षा के अध्याय के प्रश्न उत्तर in Hindi PDF

NCERT Question Answer in Hindi Medium

UP Board Question Answer in Hindi Medium

Download एनसीईआरटी सलूशन, सैंपल पेपर, प्रश्न पत्र इन पीडीएफ

क्लास की बुक (पुस्तक), MCQ, नोट्स इन हिंदी

Download एनसीईआरटी सलूशन, सैंपल पेपर, प्रश्न पत्र इन पीडीएफ

CBSE, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार, राजस्थान & हरियाणा Board हिंदी माध्यम

कक्षा 6 to 8 हिंदी माध्यम
कक्षा 9 & 10 हिंदी माध्यम
कक्षा 11 हिंदी माध्यम

State Board

यूपी बोर्ड 6,7 & 8
बिहार बोर्ड हिंदी माध्यम

CBSE Board

Mathematics Class 6
Science Class 6
Social Science Class 6
हिन्दी Class 6
सामाजिक विज्ञान कक्षा 6
विज्ञान कक्षा 6

Mathematics Class 7
Science Class 7
SST Class 7
सामाजिक विज्ञान कक्षा 7
हिन्दी Class 7

Mathematics Class 8
Science Class 8
Social Science Class 8
हिन्दी Class 8

Mathematics Class 9
Science Class 9
English Class 9

Mathematics Class 10
SST Class 10
English Class 10

Mathematics Class XI
Chemistry Class XI
Accountancy Class 11

Accountancy Class 12
Mathematics Class 12

Learn English
English Through हिन्दी
Job Interview Skills
English Grammar
हिंदी व्याकरण - Vyakaran
Microsoft Word
Microsoft PowerPoint
Adobe PhotoShop
Adobe Illustrator
Learn German
Learn French
IIT JEE

Study Abroad

Study in Australia: Australia is known for its vibrant student life and world-class education in fields like engineering, business, health sciences, and arts. Major student hubs include Sydney, Melbourne, and Brisbane. Top universities: University of Sydney, University of Melbourne, ANU, UNSW.

Study in Canada: Canada offers affordable education, a multicultural environment, and work opportunities for international students. Top universities: University of Toronto, UBC, McGill, University of Alberta.

Study in the UK: The UK boasts prestigious universities and a wide range of courses. Students benefit from rich cultural experiences and a strong alumni network. Top universities: Oxford, Cambridge, Imperial College, LSE.

Study in Germany: Germany offers high-quality education, especially in engineering and technology, with many low-cost or tuition-free programs. Top universities: LMU Munich, TUM, University of Heidelberg.

Study in the USA: The USA has a diverse educational system with many research opportunities and career advancement options. Top universities: Harvard, MIT, Stanford, UC Berkeley

Privacy Policies, Terms and Conditions, Contact Us
eVidyarthi and its licensors. All Rights Reserved.