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विज्ञान Class 6 यूपी बोर्ड | Menu
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विज्ञान Notes Class 6 Vigyan Chapter 7 Science UP Board यूपी बोर्ड

Notes For All Chapters – विज्ञान Class 6th

जीवों में अनुकूलन

सजीव का वास स्थान

जब आप अपने आसपास के बाग या तालाब में जाते हैं, तो आप देख सकते हैं कि कुछ जानवर और पौधे जमीन पर रहते हैं और कुछ पानी में। कोई भी जीव जिस स्थान पर रहता है, वह स्थान उस जीव का वास स्थान कहलाता है। क्या कोई जीव हर प्रकार के वास स्थान पर रह सकता है? वह स्थान जहाँ किसी जीवधारी को पर्याप्त भोजन, सुरक्षा, प्रजनन तथा सभी अनुकूल दशाएँ मिलती हैं, उसे उसका वास स्थान कहते हैं। वातावरण में सजीव का वास स्थान जल, भूमि, वायु तथा मिट्टी हो सकता है।

तालाब एक वास स्थान

जल में रहने वाले जीव को जलीय जीव कहते हैं जैसे मछली, snails, जलकुंभी, कमल आदि। भूमि पर पाए जाने वाले जीव को स्थलीय जीव कहते हैं|

जैसे – गाय, बकरी, बैल, कुत्ता, बबूल, नीम, आम, अमरूद आदि। भूमि पर विभिन्न प्रकार के वास स्थान होते हैं |

जैसे – जंगल, पहाड़, हरे-भरे मैदान और रेगिस्तान। पौधे और जानवर रेगिस्तान में भी पाए जाते हैं। रेगिस्तान में पाए जाने वाले जीव को मरुस्थलीय जीव कहते हैं। ऊँट मरुस्थल में पाया जाने वाला जानवर तथा बबूल और नागफनी मरुस्थल में पाए जाने वाले पौधे हैं। कुछ जीव ऐसे होते हैं जो जल तथा भूमि दोनों जगह रह सकते हैं, उन्हें उभयचर कहते हैं।

तालिका

सं.जानवर के नामवास-स्थानपौधे के नामवास-स्थान
1गायभूमिआमभूमि
2बैलभूमिनीमभूमि
3मछलीजलजलकुंभीजल
4मेढकजल और भूमिस्नailsजल
5ऊँटमरुस्थलनागफनीमरुस्थल

सभी जीवों की शारीरिक संरचना इस प्रकार होती है कि वे अपने वास स्थान में आसानी से रह सकें। उदाहरण के लिए मछली का वास स्थान जल है। मछली का शरीर जलीय वास स्थान में रहने के लिए अनुकूलित होता है। मछली का आरे-आकार का शरीर, पंख तथा गिल्स उसे जल में अनुकूलित करते हैं। इसी प्रकार ऊँट के लंबे पैर एवं मोटे गद्देदार तलुए रेगिस्तान में चलने और दौड़ने के लिए अनुकूलित होते हैं। पक्षियों के पंख उन्हें हवा में उड़ने में मदद करते हैं।

सजीव में अनुकूलन एवं परितरण

सभी जीवधारी अपने निश्चित निवास स्थान में रहते हैं। यदि उनके निवास स्थान में परिवर्तन होता है तो उन्हें कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है और अधिक प्रतिकूल दशाएँ होने पर वे मर भी सकते हैं।

जैसे- मछली को पानी से बाहर निकाल दें तो क्या होता है? इसी प्रकार आम के पौधे को तालाब में रोप दें तो क्या होगा? मछली जल में घुली ऑक्सीजन को गिल्स द्वारा ग्रहण करती है। जल से बाहर निकालने पर वह सांस नहीं ले पाती है और मर जाती है। इसी प्रकार यदि आम के पौधे को पानी में रोप दिया जाता है तो उसकी जड़ें सड़ जाती हैं और पौधा मर जाता है।

अनुकूलन क्या है?

एक जीवधारी को किसी निवास स्थान पर रहने के लिए उपयुक्त दशाएँ आवश्यक होती हैं। इन उपयुक्त दशाओं के अनुसार जीवधारियों में अपने को ढालने की क्षमता का विकास होता है जिसे अनुकूलन कहते हैं। वातावरण के आधार पर जानवरों तथा पेड़-पौधों को जलीय, स्थलीय, उभयचर अथवा वायवीय भाग में बाँटा जाता है।

तालिका

वास स्थानजीवधारीपौधे
जलीयमछली, स्नails, मेढकजलकुंभी, कमल
स्थलीयगाय, बकरी, शेरनीम, आम, बबूल
मरुस्थलीयऊँट, बबूलनागफनी, सतावर
उभयचरमेढकजलकुंभी

अनुकूलन का महत्व

सभी जीवधारी अपने वातावरण में सफलतापूर्वक जीवन यापन करने के लिए अनुकूलन क्षमता विकसित करते हैं। आकृति, आकार, रंग-रूप, संरचना तथा आवास सभी लक्षण में ऐसा परिवर्तन जो जीव को विशेष पर्यावरण में सफलतापूर्वक जीवित रहने में सहायक होता है, अनुकूलन कहलाता है।

जलीय अनुकूलन

जलीय जीवों की संरचना विशेष होती है जो उन्हें जल में रहने में सहायता करती है। मछली के शरीर पर जलरोधी शल्क, जल ग्रहण करने के लिए गिल्स, धारा रेखीय शरीर तथा चपटे पंख होते हैं। मेंढक के पंजों में झिल्ली और लंबी मांसपेशियाँ उसे जल में तैरने और भूमि पर कूदने में सहायता करती हैं। जलीय पौधों की संरचना भी विशेष होती है। उनका शरीर कोमल और कमजोर होता है। जैसे- जलकुंभी।

स्थलीय अनुकूलन

स्थलीय जीवों और पौधों में भी विशेष अनुकूलन होता है जो उन्हें भूमि पर सफलतापूर्वक रहने में सहायता करता है।

जैसे- गाय, बकरी, शेर, नीम, आम, बबूल आदि।

मरुस्थलीय अनुकूलन

मरुस्थलीय जीव और पौधों को रेगिस्तान की कठोर परिस्थितियों के अनुकूल होना पड़ता है।

जैसे- ऊँट में जल संचय की क्षमता, खुरदरी त्वचा, लंबे पैर और गद्देदार तलुए होते हैं। मरुस्थलीय पौधों में जल संचय की क्षमता, कांटेदार पत्तियाँ, गहरे और फैले हुए जड़ें होती हैं। जैसे- नागफनी।

वायवीय अनुकूलन

वायवीय जीवों में उड़ने की क्षमता होती है।

जैसे- पक्षियों में पंख, खोखली हड्डियाँ और वायुरहित कोष होते हैं जो उन्हें उड़ने में सहायता करते हैं।

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