चंद्रगुप्त मौर्य: मौर्य साम्राज्य के संस्थापक
चंद्रगुप्त मौर्य, जिन्हें मौर्यवंश का प्रथम सम्राट माना जाता है, भारत के इतिहास के सबसे महान शासकों में से एक थे।
उन्होंने 322 ईसा पूर्व में मगध साम्राज्य को हराकर मौर्य साम्राज्य की स्थापना की थी।
शिक्षा और प्रशिक्षण:
- चंद्रगुप्त को चाणक्य (जिन्हें कौटिल्य भी कहा जाता है) नामक एक महान ब्राह्मण विद्वान और राजनीतिज्ञ ने शिक्षा और प्रशिक्षण दिया। चाणक्य ने चंद्रगुप्त को युद्ध, राजनीति और कूटनीति की शिक्षा दी।
- मौर्य साम्राज्य की स्थापना: चन्द्रगुप्त ने चाणक्य की सहायता से मगध के नंद वंश को हराया और मौर्य साम्राज्य की स्थापना की। उन्होंने मगध की राजधानी पाटलिपुत्र (वर्तमान पटना) को अपनी राजधानी बनाया।
- अलक्षेंद्र (सिकंदर) की सेना का मुकाबला: चन्द्रगुप्त ने सिकंदर के उत्तराधिकारियों को उत्तर-पश्चिम भारत से बाहर निकालने में सफल हुए।
शासन और विजय
1. नंद वंश का पतन
- संघर्ष: चंद्रगुप्त ने चाणक्य की मदद से नंद वंश के शासक धनानंद को पराजित किया और मगध साम्राज्य पर कब्जा कर लिया।
- स्थापना: 322 ईसा पूर्व में चंद्रगुप्त ने मौर्य साम्राज्य की स्थापना की और पाटलिपुत्र (वर्तमान पटना) को अपनी राजधानी बनाया।
2. सेल्यूकस निकेटर के साथ संघर्ष
- युद्ध: चंद्रगुप्त ने सिकंदर के सेनापति सेल्यूकस निकेटर के साथ युद्ध किया और उसे पराजित किया।
- समझौता: इस युद्ध के परिणामस्वरूप, सेल्यूकस निकेटर ने चंद्रगुप्त को पंजाब, सिंध और अफगानिस्तान के क्षेत्र सौंप दिए। इसके बदले में चंद्रगुप्त ने सेल्यूकस की बेटी से विवाह किया और उन्हें 500 हाथी उपहार स्वरूप दिए।
3. शासनकाल
- साम्राज्य का विस्तार: चन्द्रगुप्त ने अपने शासनकाल में पूरे उत्तरी और पश्चिमी भारत में साम्राज्य का विस्तार किया। उन्होंने पंजाब, सिंध, गुजरात, बंगाल, और दक्कन के कुछ हिस्सों को अपने साम्राज्य में शामिल किया।
- प्रशासनिक प्रणाली: चन्द्रगुप्त ने एक केंद्रीकृत प्रशासनिक प्रणाली की स्थापना की, जिसमें विभिन्न प्रांतों का प्रबंधन करने के लिए अधिकारियों की नियुक्ति की जाती थी। उन्होंने कर संग्रह और न्याय प्रणाली को भी सुधारित किया।
- सेना: चन्द्रगुप्त ने एक मजबूत और संगठित सेना बनाई, जिसमें पैदल सेना, घुड़सवार सेना, हाथी सेना, और रथ सेना शामिल थी।
जैन धर्म और अंत:
- जैन धर्म का पालन: अपने जीवन के अंतिम चरण में, चन्द्रगुप्त ने जैन धर्म को अपनाया और राज्य का प्रबंधन अपने पुत्र बिन्दुसार को सौंप दिया।
- वैराग्य: उन्होंने अपने शासन के अंतिम वर्षों में वैराग्य धारण कर लिया और श्रवणबेलगोला (वर्तमान कर्नाटक) में सल्लेखना व्रत (भोजन और पानी का त्याग) लेकर अपने जीवन का अंत किया।
महत्वपूर्ण योगदान और प्रभाव:
- मौर्य साम्राज्य: चन्द्रगुप्त मौर्य का मौर्य साम्राज्य भारतीय इतिहास का पहला विशाल और केंद्रीकृत साम्राज्य था, जिसने एक सुदृढ़ और संगठित शासन प्रणाली की नींव रखी।
- चाणक्य के साथ संबंध: चाणक्य और चन्द्रगुप्त के संबंधों ने भारतीय इतिहास में गुरु-शिष्य के आदर्श उदाहरण के रूप में प्रसिद्धि पाई।
- राजनीतिक एकता: चन्द्रगुप्त मौर्य ने भारत को राजनीतिक रूप से एकजुट करने का प्रयास किया और एक सशक्त प्रशासनिक ढांचे का निर्माण किया।
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