सम्राट अशोक: भारत के महान सम्राट
सम्राट अशोक, मौर्य साम्राज्य के तीसरे शासक थे, जिन्होंने 272 ईसा पूर्व से 232 ईसा पूर्व तक शासन किया। वे भारतीय इतिहास के सबसे प्रसिद्ध और महान शासकों में से एक हैं, जिन्हें अपनी विजय, धार्मिक नीतियों और शिलालेखों के लिए जाना जाता है।
प्रारंभिक जीवन
- जन्म: अशोक का जन्म 304 ईसा पूर्व में पाटलिपुत्र (वर्तमान पटना) में हुआ था।
- पिता: उनके पिता का नाम बिंदुसार था, जो मौर्य साम्राज्य के दूसरे शासक थे।
- शिक्षा: अशोक को अपने बचपन से ही राजकाज और सैन्य प्रशिक्षण दिया गया था। उन्हें राजनीतिक और सैन्य मामलों में निपुणता हासिल करने के लिए विभिन्न प्रांतों का प्रशासनिक अनुभव भी दिया गया।
सत्ता पर आरूढ़ होना
- राज्याभिषेक: बिंदुसार की मृत्यु के बाद, अशोक ने 273 ईसा पूर्व में मौर्य साम्राज्य की गद्दी संभाली। शुरुआत में, उन्होंने अपने भाइयों के साथ सत्ता संघर्ष किया और अंततः अपने भाइयों को पराजित कर साम्राज्य का शासक बने।
शासनकाल और उपलब्धियाँ
1. कलिंग युद्ध और बौद्ध धर्म का अंगीकरण
- कलिंग युद्ध: अशोक का सबसे प्रसिद्ध युद्ध कलिंग (वर्तमान ओडिशा) के खिलाफ था। यह युद्ध 261 ईसा पूर्व में लड़ा गया था और इसमें लाखों लोगों की मृत्यु हुई और कई लोग घायल हुए।
- धम्म विजय: कलिंग युद्ध के विनाशकारी परिणामों ने अशोक को गहराई से प्रभावित किया। उन्होंने बौद्ध धर्म को अपनाया और अहिंसा, दया, और धर्म के सिद्धांतों को अपने शासन का मुख्य आधार बनाया।
2. धम्म का प्रचार
- शिलालेख: अशोक ने अपने शिलालेखों और स्तंभों के माध्यम से बौद्ध धर्म और धम्म (धर्म) के सिद्धांतों का प्रचार किया। ये शिलालेख भारत, नेपाल, पाकिस्तान, और अफगानिस्तान में पाए जाते हैं और इनमें नैतिक और धार्मिक उपदेश लिखे गए हैं।
- अशोक ने अपने शासनकाल में अनेक शिलालेख बनवाए, जो उनकी धार्मिक नीतियों, शासन और जीवन दर्शन के बारे में जानकारी प्रदान करते हैं। ये शिलालेख विभिन्न भाषाओं और लिपियों में लिखे गए हैं, जैसे ब्राह्मी, खरोष्ठी और अरामाइक।
- धम्म प्रचारक: अशोक ने बौद्ध धर्म के प्रचार के लिए अपने पुत्र महेंद्र और पुत्री संघमित्रा को श्रीलंका भेजा। उन्होंने एशिया और मिडिल ईस्ट के विभिन्न हिस्सों में भी धम्म प्रचारकों को भेजा।
3. प्रशासनिक सुधार
- प्रशासन: अशोक ने एक कुशल और संगठित प्रशासनिक व्यवस्था स्थापित की। उन्होंने राज्य के विभिन्न हिस्सों में धर्म महामात्रों की नियुक्ति की, जो कि धम्म के प्रचार और प्रशासनिक कार्यों के प्रभारी थे।
- न्याय: अशोक ने न्याय व्यवस्था को सुधारने के लिए कई कदम उठाए। उन्होंने न्यायपालिका को स्वतंत्र और निष्पक्ष बनाने पर जोर दिया और सभी नागरिकों के लिए समान न्याय की व्यवस्था की।
4. सामाजिक और आर्थिक सुधार
- सामाजिक कल्याण: अशोक ने अस्पतालों, सड़कों, और सिंचाई प्रणालियों का निर्माण किया। उन्होंने पशु कल्याण और वृक्षारोपण को भी प्रोत्साहित किया।
- आर्थिक सुधार: अशोक ने व्यापार और वाणिज्य को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न कदम उठाए। उन्होंने व्यापारिक मार्गों को सुरक्षित बनाने और व्यापारिक गतिविधियों को सुगम बनाने के लिए नीतियाँ अपनाई।
व्यक्तिगत जीवन और मृत्यु
- धर्म: अशोक ने बौद्ध धर्म को अपनाने के बाद एक धार्मिक और शांतिपूर्ण जीवन जीया। उन्होंने अपने शासनकाल में धम्म के सिद्धांतों का पालन किया और अपने प्रजाजनों को भी इसके लिए प्रेरित किया।
- मृत्यु: अशोक की मृत्यु 232 ईसा पूर्व में हुई। उनकी मृत्यु के बाद मौर्य साम्राज्य धीरे-धीरे कमजोर होने लगा और अंततः पतन हो गया।
विरासत:
सम्राट अशोक को भारत के सबसे महान सम्राटों में से एक माना जाता है। उन्होंने एक शक्तिशाली साम्राज्य पर शासन किया, धार्मिक सहिष्णुता और अहिंसा को बढ़ावा दिया और कला, संस्कृति और शिक्षा का विकास किया। उनके शिलालेख और धम्म स्तंभ आज भी प्रासंगिक हैं और दुनिया भर के लोगों को प्रेरित करते हैं।
Leave a Reply