बिहार एक भाषाई विविधता से भरपूर राज्य है जहाँ कई भाषाएँ बोली जाती हैं। ये भाषाएँ सामाजिक, सांस्कृतिक, और ऐतिहासिक महत्व की होती हैं।
मैथिली
मैथिली भाषा और साहित्य भारत के बिहार और नेपाल के तराई क्षेत्रों में बोली जाती है। मैथिली भाषा का साहित्यिक और सांस्कृतिक महत्व अत्यंत समृद्ध और प्राचीन है। मैथिली को 2003 में भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल किया गया, जिससे इसे आधिकारिक दर्जा मिला।
मैथिली भाषा का इतिहास
प्रारंभिक काल
- उत्पत्ति: मैथिली भाषा की उत्पत्ति संस्कृत से हुई मानी जाती है और इसका इतिहास लगभग एक हजार साल पुराना है।
- प्राचीन साहित्य: मैथिली में लिखित सबसे प्राचीन साहित्यिक कृति “विद्यापति पदावली” है, जो विद्यापति द्वारा लिखी गई थी।
मध्यकाल
- भक्ति काल: मध्यकाल में मैथिली भाषा में भक्तिकाल का प्रभाव प्रमुख रहा। इस काल में धार्मिक और भक्ति साहित्य का विकास हुआ।
- विद्यापति: विद्यापति इस काल के प्रमुख कवि थे, जिनकी रचनाएँ प्रेम और भक्ति पर केंद्रित थीं।
आधुनिक काल
- नवजागरण: 19वीं और 20वीं शताब्दी में मैथिली साहित्य में नवजागरण का प्रभाव देखा गया। इस काल में साहित्यिक, सामाजिक, और राजनीतिक मुद्दों पर केंद्रित रचनाएँ सामने आईं।
- मैथिली साहित्य सम्मेलन: 1929 में स्थापित मैथिली साहित्य सम्मेलन ने मैथिली भाषा और साहित्य के प्रचार-प्रसार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
प्रमुख रचनाकार और उनकी कृतियाँ
विद्यापति
- परिचय: विद्यापति 14वीं शताब्दी के प्रमुख मैथिली कवि थे।
- प्रमुख कृतियाँ: “पदावली” में उनके द्वारा रचित भक्ति और प्रेम गीत प्रमुख हैं।
- विशेषताएँ: विद्यापति की रचनाओं में सरलता, सरसता और लोकजीवन का अद्भुत चित्रण मिलता है।
गोविंद झा
- परिचय: गोविंद झा 20वीं शताब्दी के प्रमुख मैथिली लेखक और कवि थे।
- प्रमुख कृतियाँ: “सतरंजी के बेटियाँ” और “मैथिली काव्यक इतिहास” उनकी प्रमुख कृतियाँ हैं।
- विशेषताएँ: उनकी रचनाओं में सामाजिक और सांस्कृतिक मुद्दों का गहन विश्लेषण मिलता है।
हरिमोहन झा
- परिचय: हरिमोहन झा मैथिली साहित्य के प्रमुख हास्य और व्यंग्य लेखक थे।
- प्रमुख कृतियाँ: “खट्टा-मीठा” और “दोनोक बाबू” उनकी प्रमुख रचनाएँ हैं।
- विशेषताएँ: उनकी रचनाओं में समाज की विडंबनाओं और विसंगतियों का सजीव चित्रण मिलता है।
मैथिली साहित्य के प्रमुख विधाएँ
कविता
- प्रमुख कवि: विद्यापति, गोविंद झा, और अन्य।
- विषय: प्रेम, भक्ति, प्रकृति, और समाजिक मुद्दे।
- विशेषताएँ: मैथिली कविताओं में भावप्रवणता, सरलता, और सजीव चित्रण प्रमुख हैं।
उपन्यास और कहानियाँ
- प्रमुख लेखक: गोविंद झा, ललित नारायण मिश्र, और अन्य।
- विषय: सामाजिक और सांस्कृतिक मुद्दे, ग्रामीण जीवन, और ऐतिहासिक घटनाएँ।
- विशेषताएँ: मैथिली कहानियों और उपन्यासों में ग्रामीण जीवन की सजीवता और सांस्कृतिक धरोहर का चित्रण मिलता है।
नाटक
- प्रमुख नाटककार: हरिमोहन झा, गोविंद झा, और अन्य।
- विषय: सामाजिक समस्याएँ, पारिवारिक मुद्दे, और राजनीतिक घटनाएँ।
- विशेषताएँ: मैथिली नाटकों में संवाद की सजीवता और समाज की वास्तविकता का चित्रण प्रमुख है।
भोजपुरी
भोजपुरी भाषा का इतिहास
प्रारंभिक काल
- उत्पत्ति: भोजपुरी भाषा की उत्पत्ति हिन्दी-उर्दू भाषाओं के समुच्चय से हुई मानी जाती है और इसका विकास भारतीय उपमहाद्वीप में हुआ।
- प्रारंभिक साहित्य: भोजपुरी के प्रारंभिक साहित्य में लोकगीत, कथा-साहित्य, और धार्मिक रचनाएँ शामिल हैं, जो मौखिक परंपरा के माध्यम से संप्रेषित होती थीं।
मध्यकाल
- भक्तिकाल: मध्यकाल में भोजपुरी साहित्य पर भक्ति आंदोलन का प्रभाव देखा गया। इस काल में भक्ति और धार्मिक गीतों का विकास हुआ।
- संत कवि: इस काल के प्रमुख कवि तुलसीदास और कबीर की रचनाओं ने भोजपुरी साहित्य पर गहरा प्रभाव डाला।
आधुनिक काल
- नवजागरण: 19वीं और 20वीं शताब्दी में भोजपुरी साहित्य में नवजागरण का प्रभाव देखा गया। इस काल में साहित्यिक और सामाजिक मुद्दों पर केंद्रित रचनाएँ सामने आईं।
- भोजपुरी साहित्य सम्मेलन: 1929 में स्थापित भोजपुरी साहित्य सम्मेलन ने भोजपुरी भाषा और साहित्य के प्रचार-प्रसार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
प्रमुख रचनाकार और उनकी कृतियाँ
भिखारी ठाकुर
- परिचय: भिखारी ठाकुर को भोजपुरी साहित्य का शेक्सपियर कहा जाता है। वे 19वीं शताब्दी के प्रमुख नाटककार और गीतकार थे।
- प्रमुख कृतियाँ: “बिदेसिया,” “गबर घिचोर,” “बेटी बेचवा,” और “गंगा स्नान”।
- विशेषताएँ: उनके नाटक और गीत सामाजिक मुद्दों और सुधारों पर केंद्रित थे। उनकी रचनाएँ भोजपुरी समाज की वास्तविकता को दर्शाती हैं।
राही मासूम रज़ा
- परिचय: राही मासूम रज़ा एक प्रसिद्ध उर्दू और हिंदी लेखक थे, जिन्होंने भोजपुरी में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया।
- प्रमुख कृतियाँ: “आधा गाँव,” “टोपी शुक्ला” और अन्य।
- विशेषताएँ: उनकी रचनाओं में ग्रामीण जीवन और सामाजिक मुद्दों का चित्रण मिलता है।
भोजपुरी साहित्य के प्रमुख विधाएँ
लोकगीत
- प्रकार: सोहर, कजरी, चैता, फगुआ, बिदेसिया, आदि।
- विषय: प्रेम, प्रकृति, धार्मिकता, और सामाजिक मुद्दे।
- विशेषताएँ: ये गीत ग्रामीण जीवन के विभिन्न पहलुओं को दर्शाते हैं और सामाजिक-सांस्कृतिक धरोहर को सजीव बनाए रखते हैं।
नाटक
- भिखारी ठाकुर के नाटक: सामाजिक समस्याओं और सुधारों पर केंद्रित।
- अन्य नाटक: विभिन्न सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों को उजागर करते हुए।
कथा साहित्य
- उपन्यास और कहानियाँ: ग्रामीण जीवन, सामाजिक परिवर्तन, और राजनीतिक घटनाओं पर केंद्रित।
- लोककथाएँ: पारंपरिक कहानियाँ जो पीढ़ी दर पीढ़ी संप्रेषित होती हैं।
मगही
मगही भाषा का इतिहास
प्रारंभिक काल
- उत्पत्ति: मगही भाषा की उत्पत्ति प्राचीन मगध क्षेत्र से मानी जाती है। यह भाषा प्राचीन भारतीय भाषाओं का एक हिस्सा है और संस्कृत के निकट संबंधी मानी जाती है।
- प्राचीन ग्रंथ: प्राचीन काल में मगही भाषा का उपयोग धार्मिक और सांस्कृतिक ग्रंथों में किया गया था, विशेषकर बौद्ध और जैन साहित्य में।
मध्यकाल
- भक्तिकाल: मध्यकाल में मगही भाषा में धार्मिक और भक्ति साहित्य का विकास हुआ। इस काल में संत कवियों और धार्मिक नेताओं ने मगही भाषा में रचनाएँ कीं।
- साहित्यिक योगदान: इस काल में मगही भाषा की काव्य और गीत परंपरा को बढ़ावा मिला।
आधुनिक काल
- नवजागरण: 19वीं और 20वीं शताब्दी में मगही साहित्य में नवजागरण का प्रभाव देखा गया। इस काल में सामाजिक, राजनीतिक, और सांस्कृतिक मुद्दों पर आधारित रचनाएँ सामने आईं।
प्रमुख रचनाकार और उनकी कृतियाँ
वीर कवी
- परिचय: वीर कवी 19वीं शताब्दी के प्रमुख मगही कवि थे, जिन्होंने अपनी काव्य रचनाओं के माध्यम से सामाजिक मुद्दों को उजागर किया।
- प्रमुख कृतियाँ: उनकी रचनाओं में मगही संस्कृति और समाज के विभिन्न पहलुओं का चित्रण मिलता है।
- विशेषताएँ: वीर कवी की रचनाएँ सामाजिक जागरूकता और सुधार की दिशा में प्रेरित करती हैं।
हरिपद मिश्र
- परिचय: हरिपद मिश्र एक प्रमुख मगही लेखक और कवि थे, जिनकी रचनाओं में ग्रामीण जीवन और लोक संस्कृति का गहरा चित्रण मिलता है।
- प्रमुख कृतियाँ: “मगही कविता संग्रह” और अन्य।
- विशेषताएँ: उनकी रचनाओं में मगही समाज की वास्तविकता और समस्याओं का वर्णन है।
बाबू छठ्ठू
- परिचय: बाबू छठ्ठू मगही भाषा के प्रसिद्ध कवि और लेखक थे।
- प्रमुख कृतियाँ: उनकी रचनाओं में लोकजीवन और सामाजिक मुद्दों का चित्रण मिलता है।
- विशेषताएँ: उनकी कविताओं में ग्रामीण जीवन की सजीवता और सांस्कृतिक धरोहर का अद्भुत चित्रण है।
मगही साहित्य के प्रमुख विधाएँ
कविता
- प्रमुख कवि: वीर कवी, हरिपद मिश्र, बाबू छठ्ठू।
- विषय: प्रेम, भक्ति, समाजिक मुद्दे, और ग्रामीण जीवन।
- विशेषताएँ: मगही कविताओं में भावप्रवणता, सरलता, और लोकजीवन का सजीव चित्रण मिलता है।
उपन्यास और कहानियाँ
- प्रमुख लेखक: हरिपद मिश्र, और अन्य।
- विषय: सामाजिक मुद्दे, ग्रामीण जीवन, और ऐतिहासिक घटनाएँ।
- विशेषताएँ: मगही उपन्यासों और कहानियों में समाज की वास्तविकता और सामाजिक बदलाव का चित्रण होता है।
लोककथाएँ
- प्रकार: पारंपरिक कहानियाँ जो पीढ़ी दर पीढ़ी संप्रेषित होती हैं।
- विषय: ऐतिहासिक कथाएँ, पारंपरिक लोककथाएँ, और मिथक।
अंगिका
अंगिका भाषा का इतिहास
प्रारंभिक काल
- उत्पत्ति: अंगिका भाषा की उत्पत्ति भारतीय उपमहाद्वीप की भाषाओं से हुई मानी जाती है। यह भाषा विशेषकर मगही और भोजपुरी के साथ संबंधित है और प्राचीन मगध क्षेत्र से जुड़ी हुई है।
- प्रारंभिक साहित्य: अंगिका में लिखित प्राचीन साहित्य की जानकारी बहुत कम है, लेकिन मौखिक परंपराओं और लोकगीतों में इसकी शुरुआत मानी जा सकती है।
मध्यकाल
- भक्तिकाल: मध्यकाल में अंगिका भाषा में धार्मिक और भक्ति साहित्य का विकास हुआ। इस काल में भक्ति कवियों और संतों ने अंगिका में रचनाएँ कीं।
- संत कवि: इस काल में संत कवियों ने अंगिका भाषा में सामाजिक और धार्मिक मुद्दों पर आधारित काव्य रचनाएँ कीं।
आधुनिक काल
- नवजागरण: 19वीं और 20वीं शताब्दी में अंगिका साहित्य में नवजागरण का प्रभाव देखा गया। इस काल में अंगिका में साहित्यिक और सामाजिक मुद्दों पर केंद्रित रचनाएँ सामने आईं।
- अंगिका साहित्य सम्मेलन: अंगिका भाषा के प्रचार और प्रसार के लिए साहित्य सम्मेलन और संगठन स्थापित किए गए।
प्रमुख रचनाकार और उनकी कृतियाँ
जगदीश शर्मा
- परिचय: जगदीश शर्मा अंगिका के प्रमुख साहित्यकार और कवि थे।
- प्रमुख कृतियाँ: उनकी रचनाओं में अंगिका भाषा की लोककथाएँ और गीत प्रमुख हैं।
- विशेषताएँ: उनकी कृतियों में अंगिका समाज और संस्कृति का सजीव चित्रण मिलता है।
बिधान सहाय
- परिचय: बिधान सहाय एक प्रमुख अंगिका लेखक और कवि थे।
- प्रमुख कृतियाँ: उनकी रचनाओं में अंगिका भाषा की समाजिक और सांस्कृतिक जड़ों का वर्णन है।
- विशेषताएँ: उनकी रचनाएँ अंगिका समाज की वास्तविकता और समस्याओं को उजागर करती हैं।
अंगिका साहित्य के प्रमुख विधाएँ
कविता
- प्रमुख कवि: जगदीश शर्मा, बिधान सहाय, और अन्य।
- विषय: प्रेम, भक्ति, समाजिक मुद्दे, और ग्रामीण जीवन।
- विशेषताएँ: अंगिका कविताओं में भावप्रवणता, सरलता, और लोकजीवन का सजीव चित्रण मिलता है।
उपन्यास और कहानियाँ
- प्रमुख लेखक: बिधान सहाय, और अन्य।
- विषय: सामाजिक मुद्दे, ग्रामीण जीवन, और ऐतिहासिक घटनाएँ।
- विशेषताएँ: अंगिका उपन्यासों और कहानियों में समाज की वास्तविकता और सामाजिक बदलाव का चित्रण होता है।
लोककथाएँ
- प्रकार: पारंपरिक कहानियाँ जो पीढ़ी दर पीढ़ी संप्रेषित होती हैं।
- विषय: ऐतिहासिक कथाएँ, पारंपरिक लोककथाएँ, और मिथक।
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