परिचय
होमरूल आंदोलन भारत में स्वराज (स्व-शासन) प्राप्त करने के लिए शुरू किया गया एक महत्वपूर्ण आंदोलन था, जिसका उद्देश्य ब्रिटिश साम्राज्य के अधीन रहते हुए संवैधानिक तरीकों से स्व-शासन की मांग करना था। वर्ष 1916 में भारत में दो होमरूल लीग की स्थापना हुई:
- पुणे होमरूल लीग: बाल गंगाधर तिलक द्वारा स्थापित।
- मद्रास होमरूल लीग: श्रीमती एनी बेसेन्ट द्वारा स्थापित। इस आंदोलन ने बिहार में भी व्यापक प्रभाव डाला और स्थानीय स्तर पर स्व-शासन की भावना को प्रबल किया।
बिहार में होमरूल लीग की स्थापना
- बांकीपुर (पटना): 16 दिसंबर, 1916 को बांकीपुर में एक सभा में होमरूल लीग की शाखा स्थापित करने का निर्णय लिया गया। इसकी स्थापना मौलाना मजहरूल हक की अध्यक्षता में हुई।
- अध्यक्ष: मौलाना मजहरूल हक
- उपाध्यक्ष: खां बहादुर सरफराज हुसैन खां, राय बहादुर पूर्णेन्द्र नारायण सिन्हा
- सचिव: चन्द्रवंशी सहाय, वैद्यनाथ नारायण सिंह
- मुजफ्फरपुर: जनकधारी प्रसाद, जो महात्मा गांधी के सहकर्मी थे, ने स्थानीय वकीलों और व्यावसायियों के सहयोग से मुजफ्फरपुर में होमरूल लीग की स्थापना की।
श्रीमती एनी बेसेन्ट की भूमिका
- श्रीमती एनी बेसेन्ट ने बिहार में होमरूल आंदोलन को गति देने के लिए पटना की दो बार यात्रा की:
- 18 अप्रैल, 1918: पहली यात्रा, जिसमें उन्होंने होमरूल के विचारों से जनता को अवगत कराया।
- 25 जुलाई, 1918: दूसरी यात्रा, जिसने आंदोलन को और प्रोत्साहित किया।
- इस दौरान उन्होंने प्रमुख नेताओं जैसे हसन इमाम और सच्चिदानन्द सिन्हा से मुलाकात की, जिससे आंदोलन को स्थानीय समर्थन मिला।
आंदोलन का उद्देश्य
- होमरूल आंदोलन का मुख्य लक्ष्य ब्रिटिश साम्राज्य के अंतर्गत संवैधानिक तरीकों से स्व-शासन प्राप्त करना था। यह आंदोलन भारतीयों को उनके राजनीतिक अधिकारों के प्रति जागरूक करने और स्वराज की मांग को मजबूत करने में महत्वपूर्ण रहा।
महत्वपूर्ण गतिविधियाँ और प्रभाव
- प्रचार सामग्री: बालमुकुन्द वाजपेयी द्वारा लिखित स्वराज कथा नामक पुस्तिका आंदोलन के प्रचार में महत्वपूर्ण थी। हालांकि, इसे बिहार-उड़ीसा, संयुक्त प्रांत, और पंजाब की सरकारों द्वारा जब्त कर लिया गया।
- स्थानीय भागीदारी: बिहार में मौलाना मजहरूल हक, जनकधारी प्रसाद, और अन्य स्थानीय नेताओं की सक्रिय भागीदारी ने आंदोलन को जन-जन तक पहुंचाने में मदद की।
निष्कर्ष
होमरूल आंदोलन ने बिहार में स्वराज की भावना को जागृत करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया। मौलाना मजहरूल हक, जनकधारी प्रसाद, और श्रीमती एनी बेसेन्ट जैसे नेताओं के प्रयासों ने इस आंदोलन को मजबूती प्रदान की। यह आंदोलन भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का एक महत्वपूर्ण पड़ाव था, जिसने लोगों में राजनीतिक जागरूकता बढ़ाई और स्व-शासन की मांग को बल दिया।
Leave a Reply