शिशुनक वंश मगध पर शासन करने वाला चौथा राजवंश था। इस वंश ने 413 ईसा पूर्व से 345 ईसा पूर्व तक, लगभग 68 वर्षों तक शासन किया। इस वंश के छह राजा हुए:
- शिशुनाग (413-395 ईसा पूर्व)
- कालाशोक (394-366 ईसा पूर्व)
- भद्रवर्धन (366-345 ईसा पूर्व)
- आयुवर्धन
- नंदिवर्धन
- महापद्यनन्द
शिशुनक वंश के प्रमुख शासक:
- शिशुनाग:
- हर्यक वंश के अंतिम शासक नागदशक की हत्या करके उसने मगध पर शासन स्थापित किया।
- उसने गिरिव्रज (राजगीर) और वैशाली को अपनी राजधानी बनाया।
- कालाशोक:
- शिशुनाग का पुत्र था।
- उसने अपनी राजधानी को वापस पाटलिपुत्र स्थानांतरित कर दिया।
- बौद्ध धर्म अपनाने के लिए जाना जाता है।
- उसने द्वितीय बौद्ध संगीति का आयोजन करवाया।
- महापद्यनन्द:
- शिशुनक वंश का अंतिम शासक था।
- उसकी हत्या उसके पुत्र चंद्रगुप्त मौर्य ने कर दी थी, जिसने मौर्य साम्राज्य की स्थापना की।
शिशुनक वंश का महत्व:
- इस वंश ने मगध साम्राज्य को एक बार फिर से शक्तिशाली बनाया।
- कलाशोक के शासनकाल में बौद्ध धर्म का भारत में प्रचार-प्रसार हुआ।
- पाटलीपुत्र को मगध की राजधानी के रूप में पुनः स्थापित किया गया।
- इस वंश के पतन के बाद, मौर्य साम्राज्य का उदय हुआ, जो भारतीय इतिहास का एक स्वर्णिम युग था।
शिशुनक वंश के बारे में कुछ रोचक तथ्य:
- शिशुनक वंश के बारे में जानकारी मुख्य रूप से पुराणों, बौद्ध ग्रंथों और पुरातात्विक साक्ष्यों से प्राप्त होती है।
- इस वंश के शासकों ने अनेक भवनों और मंदिरों का निर्माण करवाया।
- शिशुनक वंश के काल में व्यापार और वाणिज्य भी flourished.
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