जयप्रकाश नारायण (JP) भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के प्रमुख नेता, समाज सुधारक, और राजनीतिक विचारक थे। उन्हें ‘लोकनायक’ के रूप में भी जाना जाता है। उन्होंने भारत की स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और बाद में भारतीय राजनीति में भी प्रभावशाली योगदान दिया। जयप्रकाश नारायण का जीवन, उनकी शिक्षाएं, और उनके योगदान को समझना महत्वपूर्ण है।
प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
जन्म और प्रारंभिक शिक्षा
- जन्म: जयप्रकाश नारायण का जन्म 11 अक्टूबर 1902 को बिहार के सारण जिले के सिताबदियारा गाँव में हुआ था।
- प्रारंभिक शिक्षा: उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा पटना में की और बाद में उच्च शिक्षा के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका गए।
उच्च शिक्षा और प्रेरणा
- संयुक्त राज्य अमेरिका: अमेरिका में, जयप्रकाश नारायण ने कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय, बर्कले, और अन्य संस्थानों में समाजशास्त्र और राजनीति विज्ञान का अध्ययन किया। उन्होंने मार्क्सवादी और समाजवादी विचारधारा से प्रेरित होकर भारत लौटने का निर्णय लिया।
स्वतंत्रता संग्राम में योगदान
कांग्रेस और समाजवादी आंदोलन
- भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस: जयप्रकाश नारायण भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सदस्य बने और स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय भूमिका निभाई।
- कांग्रेस सोशलिस्ट पार्टी: उन्होंने कांग्रेस सोशलिस्ट पार्टी (CSP) की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जो कांग्रेस के भीतर एक समाजवादी गुट था।
भारत छोड़ो आंदोलन
- 1942: जयप्रकाश नारायण ने महात्मा गांधी के नेतृत्व में भारत छोड़ो आंदोलन में सक्रिय भाग लिया। उन्हें ब्रिटिश सरकार द्वारा गिरफ्तार कर लिया गया और उन्होंने कई वर्षों तक जेल में समय बिताया।
स्वतंत्रता के बाद का जीवन
सार्वजनिक जीवन और समाज सुधार
- समाज सुधारक: स्वतंत्रता के बाद, जयप्रकाश नारायण ने राजनीति से दूर रहकर सामाजिक सुधार के कार्यों में ध्यान केंद्रित किया। उन्होंने भूदान आंदोलन, सर्वोदय आंदोलन और अन्य समाज सुधार आंदोलनों का समर्थन किया।
- सार्वजनिक सेवा: उन्होंने विनोबा भावे के साथ मिलकर भूदान आंदोलन को बढ़ावा दिया, जिसमें जमींदारों से स्वेच्छा से जमीन दान करने की अपील की गई थी।
राजनीतिक सक्रियता
- 1960 के दशक: जयप्रकाश नारायण ने भारतीय राजनीति में फिर से सक्रिय भूमिका निभानी शुरू की। उन्होंने भ्रष्टाचार और राजनीतिक अन्याय के खिलाफ आवाज उठाई।
- बिहार आंदोलन: 1974 में, उन्होंने बिहार में छात्रों और युवाओं के नेतृत्व में भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन का नेतृत्व किया। यह आंदोलन बाद में ‘जेपी आंदोलन’ के नाम से जाना गया।
आपातकाल और संघर्ष
आपातकाल का विरोध
- 1975: इंदिरा गांधी द्वारा लगाए गए आपातकाल के दौरान, जयप्रकाश नारायण ने लोकतंत्र और नागरिक अधिकारों की रक्षा के लिए मुखर विरोध किया।
- गिरफ्तारी: उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया और जेल में डाला गया। उनके संघर्ष ने भारतीय राजनीति में एक महत्वपूर्ण मोड़ दिया और आपातकाल के अंत में जनता पार्टी का गठन हुआ।
जनता पार्टी का गठन और चुनाव
- जनता पार्टी: आपातकाल के बाद, जयप्रकाश नारायण ने विभिन्न विपक्षी दलों को एकजुट करके जनता पार्टी का गठन किया।
- 1977 चुनाव: जनता पार्टी ने 1977 के आम चुनाव में विजय प्राप्त की और इंदिरा गांधी की सरकार को सत्ता से बाहर कर दिया।
व्यक्तिगत जीवन और मृत्यु
व्यक्तिगत जीवन
- विवाह: जयप्रकाश नारायण का विवाह प्रभावती देवी से हुआ था, जो गांधीवादी विचारधारा की अनुयायी थीं।
- सरल जीवन: उन्होंने अपने जीवन को बहुत ही सरल और विनम्र तरीके से जिया और हमेशा समाज सेवा में लगे रहे।
मृत्यु
- निधन: जयप्रकाश नारायण का निधन 8 अक्टूबर 1979 को पटना में हुआ। उनकी मृत्यु के बाद भी उनके विचार और उनके द्वारा किए गए कार्यों का भारतीय समाज और राजनीति पर गहरा प्रभाव है।
विरासत और सम्मान
लोकनायक
- जयप्रकाश नारायण को उनके अद्वितीय योगदान और संघर्ष के लिए ‘लोकनायक’ (जनता का नायक) कहा जाता है। उनकी शिक्षाएं और विचार आज भी प्रेरणा का स्रोत हैं।
स्मारक और सम्मान
- स्मारक: पटना में जयप्रकाश नारायण की याद में कई स्मारक और संस्थान स्थापित किए गए हैं, जैसे कि लोकनायक जयप्रकाश नारायण अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा।
- सम्मान: भारत सरकार ने उन्हें मरणोपरांत ‘भारत रत्न’ से सम्मानित किया, जो देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान है।
जयप्रकाश नारायण का जीवन और उनके संघर्ष भारतीय राजनीति और समाज में एक महत्वपूर्ण अध्याय हैं। उनके द्वारा सिखाए गए मूल्य और उनके संघर्ष की कहानियाँ आज भी युवाओं और समाज के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं।
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