कर्पूरी ठाकुर भारतीय राजनीति के एक प्रमुख और सम्मानित नेता थे, जिन्हें “जननायक” के रूप में भी जाना जाता है। उन्होंने सामाजिक न्याय और दलितों, पिछड़ों और गरीबों के अधिकारों के लिए अपने जीवन को समर्पित किया। उनका जीवन और करियर भारतीय राजनीति में एक प्रेरणादायक और महत्वपूर्ण स्थान रखता है। यहाँ कर्पूरी ठाकुर के जीवन, उनके योगदान, और उनकी उपलब्धियों के बारे में जानकारी दी गई है:
प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
जन्म और प्रारंभिक जीवन
- जन्म: कर्पूरी ठाकुर का जन्म 24 जनवरी 1924 को बिहार के समस्तीपुर जिले के पितौंझिया (अब कर्पूरी ग्राम) गाँव में हुआ था।
- परिवार: उनका परिवार अत्यंत गरीब था और उनके पिता एक नाई थे।
शिक्षा
- प्रारंभिक शिक्षा: कर्पूरी ठाकुर ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा गाँव के स्कूल में प्राप्त की। उनके परिवार की आर्थिक स्थिति खराब होने के बावजूद उन्होंने अपनी शिक्षा जारी रखी।
- उच्च शिक्षा: पटना के शिक्षक प्रशिक्षण कॉलेज से शिक्षक प्रशिक्षण प्राप्त किया और बाद में दरभंगा के M.L. Academy में अध्यापन किया।
राजनीतिक करियर
स्वतंत्रता संग्राम में योगदान
- भारत छोड़ो आंदोलन: कर्पूरी ठाकुर ने 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में भाग लिया और उन्हें ब्रिटिश सरकार द्वारा गिरफ्तार कर लिया गया। उन्होंने कई महीनों तक जेल में समय बिताया।
स्वतंत्रता के बाद का जीवन
- समाजवादी आंदोलन: स्वतंत्रता के बाद, कर्पूरी ठाकुर समाजवादी आंदोलन से जुड़े और राम मनोहर लोहिया के नेतृत्व में राजनीति में सक्रिय हुए।
- विधानसभा: 1952 में, वे बिहार विधानसभा के लिए चुने गए और 1952 से 1967 तक विधायक रहे।
मुख्यमंत्री और उप मुख्यमंत्री
- उप मुख्यमंत्री: 1967 में, जब पहली बार बिहार में गैर-कांग्रेसी सरकार बनी, कर्पूरी ठाकुर उप मुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री बने।
- मुख्यमंत्री: वे दो बार बिहार के मुख्यमंत्री रहे (1970-1971 और 1977-1979)। उनके कार्यकाल के दौरान, उन्होंने कई सामाजिक और आर्थिक सुधार किए।
प्रमुख उपलब्धियाँ और योगदान
सामाजिक न्याय और आरक्षण
- पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण: कर्पूरी ठाकुर ने बिहार में पिछड़े वर्गों के लिए 27% आरक्षण की नीति लागू की, जो उनके सबसे महत्वपूर्ण और विवादास्पद निर्णयों में से एक था। उनके इस कदम ने सामाजिक न्याय की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रगति की।
शिक्षा सुधार
- मातृभाषा में शिक्षा: कर्पूरी ठाकुर ने शिक्षा के क्षेत्र में सुधार किए और प्राथमिक शिक्षा को मातृभाषा में अनिवार्य किया। उन्होंने गरीब और पिछड़े वर्गों के लिए शिक्षा को सुलभ बनाने के लिए कई कदम उठाए।
भ्रष्टाचार के खिलाफ संघर्ष
- कर्पूरी ठाकुर ने अपने राजनीतिक करियर में हमेशा ईमानदारी और नैतिकता को प्राथमिकता दी। उन्होंने भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई लड़ी और अपने सार्वजनिक जीवन में पारदर्शिता बनाए रखी।
व्यक्तिगत जीवन और विरासत
व्यक्तिगत जीवन
- सरल जीवन: कर्पूरी ठाकुर ने अपने जीवन को बहुत ही सरल और विनम्र तरीके से जिया। वे अपने सिद्धांतों और मूल्यों के प्रति हमेशा समर्पित रहे।
निधन और विरासत
- निधन: कर्पूरी ठाकुर का निधन 17 फरवरी 1988 को हुआ।
- विरासत: उनकी स्मृति में कई संस्थान और योजनाएं शुरू की गई हैं। बिहार में कई स्थानों के नाम उनके नाम पर रखे गए हैं। उनका जीवन और संघर्ष आज भी सामाजिक न्याय और समानता की दिशा में प्रेरणा का स्रोत है।
सम्मान और स्मारक
- जननायक: कर्पूरी ठाकुर को ‘जननायक’ कहा जाता है, जो उनके द्वारा किए गए सामाजिक और राजनीतिक कार्यों के प्रति लोगों के सम्मान और प्रेम को दर्शाता है।
- स्मारक: बिहार में कई स्मारक और संस्थान उनकी याद में स्थापित किए गए हैं, जैसे कि कर्पूरी ठाकुर मेडिकल कॉलेज।
कर्पूरी ठाकुर का जीवन और उनका संघर्ष समाज के वंचित और पिछड़े वर्गों के अधिकारों की रक्षा के लिए एक प्रेरणादायक उदाहरण है। उनकी शिक्षाएं और उनकी राजनीतिक विरासत आज भी सामाजिक न्याय और समानता की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान दे रही हैं।
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