बिहार और उड़ीसा ब्रिटिश भारत का एक प्रांत था, जिसमें वर्तमान भारतीय राज्य बिहार , झारखंड और ओडिशा के कुछ हिस्से शामिल थे। 18वीं और 19वीं शताब्दी में इन क्षेत्रों पर अंग्रेजों ने कब्ज़ा कर लिया था और इनका शासन तत्कालीन बंगाल प्रेसीडेंसी की भारतीय सिविल सेवा द्वारा किया जाता था , जो ब्रिटिश भारत का सबसे बड़ा प्रशासनिक उपखंड था।
22 मार्च 1912 को बिहार और उड़ीसा दोनों डिवीजनों को बंगाल प्रेसीडेंसी से अलग करके बिहार और उड़ीसा प्रांत बना दिया गया। 1 अप्रैल 1936 को प्रांत को बिहार और उड़ीसा प्रांत में विभाजित कर दिया गया । बिहार का विभाजन और नए राज्यों का गठन भारतीय स्वतंत्रता के बाद के वर्षों में महत्वपूर्ण घटनाएँ थीं। इनमें सबसे महत्वपूर्ण घटना झारखंड राज्य का गठन है, जो बिहार के दक्षिणी हिस्से को अलग करके 2000 में बनाया गया।
यहाँ बिहार के विभाजन और नए राज्य के गठन की पूरी जानकारी दी गई है:
पृष्ठभूमि
- आर्थिक और सांस्कृतिक भिन्नताएँ:
- बिहार का दक्षिणी क्षेत्र, जो अब झारखंड के रूप में जाना जाता है, संसाधनों से समृद्ध है और वहाँ की अधिकांश आबादी आदिवासी समुदायों की है। इस क्षेत्र की आर्थिक और सांस्कृतिक परिस्थितियाँ उत्तर बिहार से काफी अलग थीं।
- विकास और उपेक्षा:
- झारखंड क्षेत्र के लोग लंबे समय से विकास की कमी और उपेक्षा का अनुभव कर रहे थे। संसाधनों के बावजूद, इस क्षेत्र का विकास अपेक्षित दर से नहीं हो पाया था।
- आदिवासी आंदोलनों का प्रभाव:
- 20वीं सदी की शुरुआत से ही इस क्षेत्र में अलग राज्य की मांग जोर पकड़ रही थी। बिरसा मुंडा जैसे आदिवासी नेताओं ने इस आंदोलन को दिशा दी। 1938 में, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के रामगढ़ अधिवेशन में भी झारखंड राज्य की मांग की गई थी।
विभाजन की प्रक्रिया
- आंदोलनों का उभार:
- 1970 और 1980 के दशकों में झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) और अन्य संगठनों ने आंदोलन को तेज कर दिया। ये संगठन झारखंड क्षेत्र के विकास और आत्मनिर्णय के अधिकार की मांग कर रहे थे।
- राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा:
- 1990 के दशक में झारखंड राज्य की मांग ने राष्ट्रीय स्तर पर ध्यान आकर्षित किया। विभिन्न राजनीतिक दलों और नेताओं ने इस मांग का समर्थन किया।
- बिहार पुनर्गठन विधेयक, 2000:
- 2000 में, बिहार पुनर्गठन विधेयक संसद में पारित हुआ। इस विधेयक के तहत बिहार का विभाजन करके झारखंड राज्य का गठन किया गया।
झारखंड का गठन
- आधिकारिक गठन:
- 15 नवंबर 2000 को, बिरसा मुंडा की जयंती के अवसर पर, झारखंड राज्य का औपचारिक रूप से गठन हुआ। इस दिन झारखंड भारत का 28वां राज्य बना।
- राजधानी और प्रशासनिक संरचना:
- झारखंड की राजधानी रांची बनी। राज्य में 24 जिले हैं और यह मुख्य रूप से आदिवासी बहुल क्षेत्र है।
विभाजन के प्रभाव
- विकास और प्रशासन:
- झारखंड के गठन के बाद, क्षेत्र में विकास की प्रक्रिया में तेजी आई। राज्य सरकार ने औद्योगिक और बुनियादी ढांचा परियोजनाओं पर जोर दिया। हालांकि, प्रशासनिक चुनौतियाँ और राजनीतिक अस्थिरता भी देखी गईं।
- आर्थिक प्रभाव:
- झारखंड खनिज संसाधनों से समृद्ध है, विशेष रूप से कोयला, लोहा और बॉक्साइट। राज्य के गठन के बाद, इन संसाधनों का दोहन और बेहतर तरीके से किया जाने लगा, जिससे आर्थिक विकास को बढ़ावा मिला।
- सामाजिक और सांस्कृतिक प्रभाव:
- झारखंड के आदिवासी समुदायों को अपनी सांस्कृतिक पहचान और अधिकारों के संरक्षण का मौका मिला। राज्य सरकार ने आदिवासी कल्याण और सांस्कृतिक संरक्षण के लिए कई योजनाएँ चलाईं।
निष्कर्ष
बिहार का विभाजन और झारखंड का गठन भारतीय राजनीतिक और सामाजिक इतिहास में एक महत्वपूर्ण घटना है। इसने झारखंड क्षेत्र के लोगों को विकास और आत्मनिर्णय का अवसर प्रदान किया। हालांकि, विभाजन के बाद भी दोनों राज्यों को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा, लेकिन यह कदम भारतीय संघीय ढाँचे और लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं की सफलता का प्रतीक है।
Leave a Reply