स्वतंत्रता के बाद बिहार में राज्य निर्माण और प्रशासनिक परिवर्तन ने राज्य की प्रशासनिक संरचना और विकास के विभिन्न पहलुओं को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित किया है। यहाँ स्वतंत्रता के बाद बिहार में हुए प्रमुख राज्य निर्माण और प्रशासनिक परिवर्तनों का विवरण दिया गया है:
1. झारखंड का गठन (2000)
पृष्ठभूमि:
- क्षेत्रीय असंतोष: बिहार के दक्षिणी हिस्से में स्थित झारखंड क्षेत्र ने लंबे समय से अलग राज्य की मांग की थी। यहाँ की आदिवासी और पिछड़ी जातियाँ महसूस करती थीं कि उनके विकास के लिए एक अलग राज्य की आवश्यकता है। आर्थिक और सामाजिक असमानताओं ने इस मांग को बल दिया।
राजनीतिक प्रक्रिया:
- आंदोलन: झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) और अन्य क्षेत्रीय दलों ने अलग राज्य की मांग को लेकर आंदोलन चलाया। राजनीतिक दबाव और सामाजिक असंतोष ने इस मुद्दे को प्रमुखता दी।
- संवैधानिक प्रावधान: 15 नवंबर 2000 को झारखंड को बिहार से अलग करके एक स्वतंत्र राज्य के रूप में स्थापित किया गया। यह तारीख झारखंड दिवस के रूप में मनाई जाती है।
परिणाम:
- आर्थिक विकास: झारखंड ने अपने प्राकृतिक संसाधनों का बेहतर उपयोग किया और विकास की नई दिशा अपनाई।
- राजनीतिक बदलाव: झारखंड ने क्षेत्रीय दलों को प्रमुखता दी और आदिवासी और पिछड़ी जातियों की आवाज़ को प्रमुखता दी।
2. प्रशासनिक सुधार
1. पंचायती राज व्यवस्था
- संविधान संशोधन: 1993 में हुए संविधान संशोधन के बाद, पंचायती राज व्यवस्था को सशक्त बनाने के लिए कई सुधार किए गए। पंचायतों को अधिक स्वायत्तता और अधिकार प्रदान किए गए, जिससे ग्रामीण प्रशासन में सुधार हुआ और स्थानीय विकास को बढ़ावा मिला।
2. शहरी प्रशासन
- नगर निगम और नगर पालिकाएँ: शहरी क्षेत्रों के विकास और प्रशासन के लिए नगर निगमों और नगर पालिकाओं को सशक्त बनाने की दिशा में कई सुधार किए गए। शहरी विकास योजनाओं और बुनियादी ढाँचे में सुधार पर ध्यान केंद्रित किया गया।
3. जिला प्रशासन का पुनर्गठन
- नए जिलों का निर्माण: बिहार में प्रशासनिक सुधारों के तहत नए जिलों का निर्माण किया गया और कुछ जिलों का पुनर्गठन किया गया। यह कदम जिला प्रशासन को अधिक प्रभावी और कुशल बनाने के लिए उठाया गया।
4. सार्वजनिक सेवा सुधार
- ऑनलाइन सेवाएँ: सरकारी सेवाओं की डिलीवरी में सुधार के लिए कई ऑनलाइन सेवाओं की शुरुआत की गई, जिससे सेवाओं की पहुँच और पारदर्शिता में सुधार हुआ।
- भ्रष्टाचार नियंत्रण: भ्रष्टाचार को कम करने के लिए विभिन्न उपाय किए गए, जिनमें भ्रष्टाचार रोधी एजेंसियों का गठन और निगरानी समितियों का गठन शामिल था।
5. प्रशासनिक प्रशिक्षण और सुधार
- कर्मचारी प्रशिक्षण: प्रशासनिक कर्मचारियों के प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण पर जोर दिया गया। इससे प्रशासनिक दक्षता में सुधार हुआ और सरकारी सेवाओं की गुणवत्ता बढ़ी।
- अधिकारियों की निगरानी: प्रशासनिक सुधारों की निगरानी के लिए विभिन्न आयोगों और समितियों का गठन किया गया।
3. मौजूदा समय के बदलाव
1. आर्थिक और सामाजिक सुधार
- सार्वजनिक निवेश: बिहार ने इंफ्रास्ट्रक्चर और विकास परियोजनाओं में सार्वजनिक निवेश को बढ़ावा दिया, जैसे कि सड़कों, पुलों और जल आपूर्ति योजनाओं में सुधार।
- स्वास्थ्य और शिक्षा: शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार के लिए कई नई योजनाएँ और कार्यक्रम लागू किए गए हैं।
2. राजनीतिक परिदृश्य
- नए दल और गठबंधन: राजनीतिक परिदृश्य में कई नए दल और गठबंधन उभरे हैं, जो बिहार के विकास और राजनीति में सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं।
- स्थानीय मुद्दे: स्थानीय मुद्दों और जातिगत राजनीति ने बिहार की राजनीति को आकार दिया है, और विभिन्न दलों ने इन मुद्दों को अपने चुनावी एजेंडा में शामिल किया है।
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