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निबंध लेखन – Essay Writing for UPSC, PSC Mains, SBI PO, IB ACIO

ESSAY WRITING For Competitive Exams

निबंध लेखन एक महत्वपूर्ण कौशल है जो आपको अपने विचारों को स्पष्ट, संक्षिप्त और संगठित तरीके से व्यक्त करने में सक्षम बनाता है। यह स्कूल, कॉलेज और प्रतियोगी परीक्षाओं में भी आवश्यक है।

आप एक प्रभावशाली निबंध कैसे लिख सकते हैं, इसके बारे में यहां कुछ सुझाव दिए गए हैं:

निबंध : कैसे और कहां से करें तैयारी? निबंध : भाषा और अभिव्यक्ति में सुधार (Essay Language and Expression) निबंध : उपशीर्षकों और कच्चे मसौदों पर ( Essay on Subtitles and Rough Drafts) निबंध : आपको किन बातों से बचना चाहिए निबंध : एक प्रभावशाली परिचय कैसे लिखें? विषय-वस्तु का विकास (Content Development) अपने तर्कों को पुष्ट करना (Strengthening Your Arguments) निबंध का समापन कैसे करें (How to conclude) शब्दावली उपशीर्षक और रफ़ ड्राफ्ट (Subtitles and rough draft) एक पैरा से दूसरे पैरा तक आसानी से कैसे जाएं

निबंध विषय

प्रशासन

  • सार्वजनिक प्रशासन: यह सरकार के विभिन्न स्तरों (केंद्रीय, राज्य और स्थानीय) के संगठन, कार्यप्रणाली और जवाबदेही से संबंधित है। इसमें नीति निर्माण, कार्यान्वयन, कार्मिक प्रबंधन, वित्तीय प्रबंधन, और सार्वजनिक सेवा वितरण जैसे विषय शामिल हैं।
  • लोक नीति: यह सरकारी नीतियों के निर्माण, कार्यान्वयन और मूल्यांकन से संबंधित है। इसमें सामाजिक नीति, आर्थिक नीति, विदेश नीति, रक्षा नीति, और पर्यावरण नीति जैसे विषय शामिल हैं।
  • अंतरराष्ट्रीय संबंध: यह विभिन्न देशों और अंतरराष्ट्रीय संगठनों के बीच संबंधों से संबंधित है। इसमें राजनीतिक संबंध, आर्थिक संबंध, सांस्कृतिक संबंध, और सुरक्षा संबंध जैसे विषय शामिल हैं।
  • शासन: यह शक्ति के वितरण और उपयोग से संबंधित है। इसमें लोकतंत्र, सर्वसत्तावाद, राजशाही, और अन्य राजनीतिक व्यवस्थाएं जैसे विषय शामिल हैं।
  • नैतिकता और प्रशासन: यह सार्वजनिक अधिकारियों के लिए नैतिक मानकों और आचरण संहिता से संबंधित है। इसमें भ्रष्टाचार, जवाबदेही, पारदर्शिता, और नैतिकता जैसे विषय शामिल हैं।

आर्थिक विकास और विकास

  • आर्थिक विकास के विभिन्न मॉडल: पूंजीवाद, समाजवाद, मिश्रित अर्थव्यवस्था आदि।
  • आर्थिक विकास के कारक: प्राकृतिक संसाधन, मानव पूंजी, तकनीकी प्रगति, संस्थागत ढांचा आदि।
  • विकास के विभिन्न आयाम: आर्थिक विकास, सामाजिक विकास, मानव विकास, पर्यावरणीय विकास आदि।
  • आर्थिक विकास और विकास के बीच संबंध: क्या वे एक दूसरे के पूरक हैं या विरोधाभासी हैं?
  • भारत में आर्थिक विकास और विकास की चुनौतियां: गरीबी, असमानता, भ्रष्टाचार, बुनियादी ढांचे की कमी आदि।
  • भारत में आर्थिक विकास और विकास को बढ़ावा देने के लिए रणनीतियाँ: शिक्षा में निवेश, स्वास्थ्य सेवा, बुनियादी ढांचे, वित्तीय समावेशन, नवाचार को बढ़ावा देना आदि।

संघवाद, विकेंद्रीकरण

1. संघवाद की संरचना:

  • संविधान में केंद्र और राज्य सरकारों के बीच शक्तियों का विभाजन
  • संघ सूची, राज्य सूची और समवर्ती सूची
  • संसद और राज्य विधानसभाओं की शक्तियां
  • राज्यों के बीच संबंध

2. विकेंद्रीकरण के रूप:

  • त्रिस्तरीय शासन प्रणाली: केंद्र, राज्य और स्थानीय स्तर
  • पंचायती राज संस्थाएं: ग्राम पंचायत, ब्लॉक पंचायत, जिला पंचायत
  • नगरपालिकाएं: नगर निगम, नगर परिषद, नगर पंचायत
  • विकेंद्रीकरण के अन्य रूप: वित्तीय विकेंद्रीकरण, प्रशासनिक विकेंद्रीकरण, योजना विकेंद्रीकरण

3. संघवाद और विकेंद्रीकरण के लाभ:

  • बेहतर शासन और सेवा वितरण
  • स्थानीय आवश्यकताओं के प्रति अधिक जवाबदेही
  • नागरिकों की भागीदारी में वृद्धि
  • सामाजिक न्याय और समानता को बढ़ावा देना
  • लोकतंत्र को मजबूत करना

4. संघवाद और विकेंद्रीकरण की चुनौतियां:

  • केंद्र और राज्यों के बीच समन्वय की कमी
  • वित्तीय संसाधनों का असमान वितरण
  • क्षमता और विशेषज्ञता का अभाव
  • राजनीतिक हस्तक्षेप
  • भ्रष्टाचार और जवाबदेही की कमी

5. भारत में संघवाद और विकेंद्रीकरण का भविष्य:

  • संवैधानिक सुधारों की आवश्यकता
  • वित्तीय विकेंद्रीकरण को मजबूत करना
  • क्षमता निर्माण और प्रशिक्षण
  • नागरिकों की भागीदारी को बढ़ावा देना
  • जवाबदेही और पारदर्शिता में सुधार

इन उप-विषयों के अलावा, आप निम्नलिखित पर भी विचार कर सकते हैं:

  • विभिन्न राज्यों में संघवाद और विकेंद्रीकरण के मॉडल
  • संघवाद और विकेंद्रीकरण पर न्यायिक निर्णय
  • संघवाद और विकेंद्रीकरण के तुलनात्मक अध्ययन
  • संघवाद और विकेंद्रीकरण के भविष्य पर विशेषज्ञों की राय

भारतीय संस्कृति और समाज

1. सामाजिक परिवर्तन और सांस्कृतिक मूल्यों में बदलाव:

  • आधुनिकीकरण और वैश्वीकरण का भारतीय समाज पर प्रभाव
  • नारीवाद, जातिवाद और सामाजिक न्याय जैसे मुद्दों पर बहस
  • पारंपरिक मूल्यों और आधुनिक जीवनशैली के बीच संतुलन बनाना

2. भारतीय संस्कृति की विविधता:

  • विभिन्न क्षेत्रों, भाषाओं और धर्मों की समृद्ध विरासत
  • कला, संगीत, नृत्य और साहित्य में विविधता
  • सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने और बढ़ावा देने की चुनौतियां

3. सामाजिक-आर्थिक विकास और सांस्कृतिक परिवर्तन:

  • गरीबी, भ्रष्टाचार और असमानता जैसी सामाजिक समस्याएं
  • शिक्षा, स्वास्थ्य और सामाजिक सुरक्षा तक पहुंच में सुधार
  • सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए संस्कृति की भूमिका

4. भारतीय संस्कृति और मीडिया:

  • मीडिया का समाज और संस्कृति पर प्रभाव
  • लोकप्रिय संस्कृति का उदय और इसका प्रभाव
  • मीडिया में सांस्कृतिक विविधता और प्रतिनिधित्व

5. भारतीय संस्कृति और वैश्विक समुदाय:

  • भारत का योगदान वैश्विक संस्कृति और सभ्यता
  • सांस्कृतिक आदान-प्रदान और अंतरराष्ट्रीय संबंध
  • वैश्वीकरण के युग में भारतीय संस्कृति की पहचान

सामाजिक न्याय/गरीबी

1. सामाजिक न्याय: अवधारणा, महत्व और चुनौतियां

  • सामाजिक न्याय की परिभाषा और इसके विभिन्न पहलू
  • भारत में सामाजिक न्याय का महत्व
  • भारत में सामाजिक न्याय की राह में आने वाली चुनौतियां
  • सामाजिक न्याय प्राप्त करने के लिए उपाय

2. गरीबी: अवधारणा, मापन और प्रभाव

  • गरीबी की परिभाषा और इसके विभिन्न प्रकार
  • भारत में गरीबी का मापन
  • गरीबी के व्यक्तिगत और सामाजिक प्रभाव
  • गरीबी उन्मूलन के लिए रणनीतियां

3. सामाजिक सुरक्षा योजनाएं: गरीबों को सशक्त बनाना

  • भारत में विभिन्न सामाजिक सुरक्षा योजनाएं
  • इन योजनाओं का गरीबों पर प्रभाव
  • सामाजिक सुरक्षा योजनाओं को अधिक प्रभावी बनाने के उपाय

4. शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा: गरीबी से बाहर निकलने के द्वार

  • शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा तक पहुंच का महत्व
  • शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा के माध्यम से गरीबी उन्मूलन
  • शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा में सुधार के लिए नीतिगत पहल

5. लैंगिक समानता और महिला सशक्तिकरण: गरीबी से मुक्ति की कुंजी

  • लैंगिक समानता और महिला सशक्तिकरण का महत्व
  • गरीबी में महिलाओं की स्थिति
  • लैंगिक समानता और महिला सशक्तिकरण के माध्यम से गरीबी उन्मूलन
  • महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए नीतिगत पहल

6. ग्रामीण विकास और कृषि: गरीबी का समाधान

  • ग्रामीण विकास और कृषि का महत्व
  • ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबी का स्तर
  • ग्रामीण विकास और कृषि के माध्यम से गरीबी उन्मूलन
  • ग्रामीण विकास और कृषि के लिए नीतिगत पहल

7. शहरी विकास और रोजगार: गरीबी का मुकाबला

  • शहरी विकास और रोजगार का महत्व
  • शहरी क्षेत्रों में गरीबी का स्तर
  • शहरी विकास और रोजगार के माध्यम से गरीबी उन्मूलन
  • शहरी विकास और रोजगार के लिए नीतिगत पहल

8. तकनीकी प्रगति और गरीबी उन्मूलन

  • तकनीकी प्रगति का महत्व
  • तकनीकी प्रगति के माध्यम से गरीबी उन्मूलन
  • तकनीकी प्रगति के लाभों को सभी तक पहुंचाने के उपाय

9. पर्यावरणीय संरक्षण और गरीबी उन्मूलन

  • पर्यावरणीय संरक्षण का महत्व
  • गरीबी और पर्यावरणीय क्षरण के बीच संबंध
  • पर्यावरणीय संरक्षण के माध्यम से गरीबी उन्मूलन
  • पर्यावरणीय संरक्षण और गरीबी उन्मूलन के लिए नीतिगत पहल

10. वैश्वीकरण और गरीबी: अवसर और चुनौतियां

  • वैश्वीकरण का महत्व
  • वैश्वीकरण के माध्यम से गरीबी उन्मूलन
  • वैश्वीकरण के नकारात्मक प्रभावों को कम करने के उपाय

मीडिया और समाज

1. मीडिया की भूमिका और जिम्मेदारियां:

  • सूचना और शिक्षा का प्रसार
  • चौथी शक्ति के रूप में कार्य करना
  • सामाजिक मुद्दों पर जागरूकता बढ़ाना
  • मनोरंजन प्रदान करना
  • सामाजिक परिवर्तन को बढ़ावा देना

2. मीडिया का समाज पर प्रभाव:

  • सकारात्मक प्रभाव: जागरूकता बढ़ाना, शिक्षा को बढ़ावा देना, सामाजिक परिवर्तन को प्रेरित करना
  • नकारात्मक प्रभाव: हिंसा और नकारात्मकता को बढ़ावा देना, गलत सूचना का प्रसार, सामाजिक मानदंडों को प्रभावित करना

3. मीडिया और विभिन्न सामाजिक समूह:

  • महिलाओं का प्रतिनिधित्व
  • अल्पसंख्यकों का प्रतिनिधित्व
  • ग्रामीण क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व
  • वंचित समुदायों का प्रतिनिधित्व

4. मीडिया और नैतिकता:

  • पत्रकारिता की नैतिकता
  • निष्पक्षता और सटीकता
  • गोपनीयता और मानहानि
  • घृणास्पद भाषण और ऑनलाइन उत्पीड़न

5. मीडिया का भविष्य:

  • डिजिटल मीडिया का उदय
  • सोशल मीडिया का प्रभाव
  • नागरिक पत्रकारिता
  • मीडिया का व्यवसायीकरण

इन विषयों के अलावा, आप विशिष्ट मीडिया प्रकारों या मुद्दों पर भी ध्यान केंद्रित कर सकते हैं, जैसे:

  • प्रिंट मीडिया का प्रभाव
  • टेलीविजन और रेडियो का प्रभाव
  • इंटरनेट और सोशल मीडिया का प्रभाव
  • मीडिया और राजनीति
  • मीडिया और अर्थव्यवस्था
  • मीडिया और शिक्षा
  • मीडिया और स्वास्थ्य

पर्यावरण/शहरीकरण

1. जलवायु परिवर्तन और शहरी क्षेत्रों पर इसका प्रभाव:

  • बढ़ते तापमान, बाढ़, सूखे और चरम मौसम की घटनाओं के कारण शहरी क्षेत्रों पर जलवायु परिवर्तन का प्रभाव।
  • शहरी क्षेत्रों में जलवायु परिवर्तन के अनुकूलन और शमन के उपाय।
  • स्मार्ट शहरों और टिकाऊ शहरी विकास की अवधारणा।

2. शहरी प्रदूषण और इसके स्वास्थ्य और पर्यावरणीय प्रभाव:

  • वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण और ध्वनि प्रदूषण के विभिन्न स्रोत।
  • शहरी प्रदूषण का मानव स्वास्थ्य और पर्यावरण पर प्रभाव।
  • शहरी प्रदूषण को कम करने के लिए नीतियां और रणनीतियां।

3. शहरीकरण और अपशिष्ट प्रबंधन:

  • बढ़ती शहरी आबादी के कारण ठोस कचरे, इलेक्ट्रॉनिक कचरे और खतरनाक कचरे का उत्पादन।
  • शहरी क्षेत्रों में अपशिष्ट प्रबंधन की चुनौतियां और समाधान।
  • अपशिष्ट को कम करने, पुनर्चक्रण और पुन: उपयोग के लिए रणनीतियां।

4. शहरीकरण और जैव विविधता का नुकसान:

  • शहरी विकास के कारण प्राकृतिक आवासों का विनाश और प्रजातियों का नुकसान।
  • शहरी क्षेत्रों में जैव विविधता के संरक्षण और बहाली के लिए रणनीतियां।
  • टिकाऊ शहरी विकास और जैव विविधता संरक्षण के बीच तालमेल।

5. शहरीकरण और सामाजिक-आर्थिक असमानता:

  • शहरी क्षेत्रों में गरीबी, बेरोजगारी और आवास की कमी।
  • शहरी क्षेत्रों में सामाजिक-आर्थिक असमानता को कम करने के लिए नीतियां।
  • समावेशी और न्यायसंगत शहरों का निर्माण।

आर्थिक क्षेत्र / बहुराष्ट्रीय कंपनियां

भारतीय अर्थव्यवस्था में बहुराष्ट्रीय कंपनियों की भूमिका:

  • बहुराष्ट्रीय कंपनियों द्वारा किए गए निवेश और रोजगार सृजन का मूल्यांकन करें।
  • प्रौद्योगिकी हस्तांतरण और नवाचार में बहुराष्ट्रीय कंपनियों के योगदान पर चर्चा करें।
  • बहुराष्ट्रीय कंपनियों और भारतीय उद्योगों के बीच प्रतिस्पर्धा के प्रभावों का विश्लेषण करें।

बहुराष्ट्रीय कंपनियों का सामाजिक और पर्यावरणीय प्रभाव:

  • बहुराष्ट्रीय कंपनियों के पर्यावरणीय प्रभाव का मूल्यांकन करें।
  • बहुराष्ट्रीय कंपनियों द्वारा श्रम प्रथाओं पर चर्चा करें।
  • सामाजिक जिम्मेदारी में बहुराष्ट्रीय कंपनियों की भूमिका का विश्लेषण करें।

भारत में बहुराष्ट्रीय कंपनियों पर नीतिगत मुद्दे:

  • विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (एफडीआई) नीति और बहुराष्ट्रीय कंपनियों का प्रवेश।
  • बौद्धिक संपदा अधिकार (आईपीआर) और बहुराष्ट्रीय कंपनियां।
  • कराधान और बहुराष्ट्रीय कंपनियां।

शिक्षा

1. शिक्षा का महत्व:

  • शिक्षा व्यक्तियों और समाज के लिए कैसे लाभकारी है?
  • शिक्षा सामाजिक और आर्थिक विकास में कैसे योगदान देती है?
  • शिक्षा लैंगिक समानता, गरीबी उन्मूलन और सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने में कैसे मदद कर सकती है?

2. भारत में शिक्षा की वर्तमान स्थिति:

  • भारत में शिक्षा की पहुंच और गुणवत्ता कैसी है?
  • सरकारी और निजी क्षेत्र शिक्षा क्षेत्र में क्या भूमिका निभाते हैं?
  • भारत में शिक्षा के सामने क्या चुनौतियां हैं?

3. भारत में शिक्षा में सुधार के लिए उपाय:

  • शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के लिए क्या किया जा सकता है?
  • शिक्षा को अधिक सुलभ और समावेशी कैसे बनाया जा सकता है?
  • शिक्षा को 21वीं सदी की कौशल और आवश्यकताओं के अनुरूप कैसे बनाया जा सकता है?

4. शिक्षा नीति:

  • भारत में वर्तमान शिक्षा नीति क्या है?
  • शिक्षा नीति के उद्देश्य और लक्ष्य क्या हैं?
  • शिक्षा नीति को अधिक प्रभावी कैसे बनाया जा सकता है?

5. शिक्षा और प्रौद्योगिकी:

  • शिक्षा में प्रौद्योगिकी की भूमिका क्या है?
  • प्रौद्योगिकी का उपयोग शिक्षा को कैसे बेहतर बना सकता है?
  • शिक्षा में प्रौद्योगिकी के उपयोग से जुड़ी चुनौतियां क्या हैं?

6. शिक्षा और कौशल विकास:

  • शिक्षा और कौशल विकास के बीच क्या संबंध है?
  • शिक्षा प्रणाली को कौशल विकास पर अधिक ध्यान केंद्रित करने के लिए कैसे बदला जा सकता है?
  • कौशल विकास को बढ़ावा देने के लिए सरकार और उद्योग क्या भूमिका निभा सकते हैं?

7. शिक्षा और नैतिकता:

  • शिक्षा का उद्देश्य नैतिकता और मूल्यों को विकसित करना क्यों है?
  • शिक्षा प्रणाली को नैतिकता और मूल्यों पर अधिक ध्यान केंद्रित करने के लिए कैसे बदला जा सकता है?
  • नैतिकता और मूल्यों को बढ़ावा देने में माता-पिता, शिक्षक और समुदाय क्या भूमिका निभा सकते हैं?

8. शिक्षा और लैंगिक समानता:

  • शिक्षा लैंगिक समानता को प्राप्त करने में कैसे मदद कर सकती है?
  • लड़कियों और महिलाओं के लिए शिक्षा तक पहुंच में सुधार के लिए क्या किया जा सकता है?
  • लैंगिक समानता को बढ़ावा देने में शिक्षा प्रणाली क्या भूमिका निभा सकती है?

9. शिक्षा और समावेशी विकास:

  • शिक्षा समावेशी विकास को प्राप्त करने में कैसे मदद कर सकती है?
  • विकलांग बच्चों, वंचित समुदायों और अल्पसंख्यकों के लिए शिक्षा तक पहुंच में सुधार के लिए क्या किया जा सकता है?
  • शिक्षा प्रणाली को अधिक समावेशी बनाने के लिए क्या किया जा सकता है?

10. शिक्षा और वैश्वीकरण:

  • शिक्षा वैश्वीकरण की चुनौतियों और अवसरों का जवाब कैसे दे सकती है?
  • शिक्षा प्रणाली को वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए छात्रों को तैयार करने के लिए कैसे बदला जा सकता है?
  • शिक्षा के माध्यम से अंतरराष्ट्रीय समझ और सहयोग को कैसे बढ़ावा दिया जा सकता है?

महिला

1. सामाजिक और आर्थिक सशक्तिकरण:

  • महिला शिक्षा और साक्षरता का महत्व
  • महिलाओं के लिए समान अवसर और समानता
  • महिलाओं के खिलाफ हिंसा का मुद्दा
  • महिला उद्यमिता और आर्थिक भागीदारी को बढ़ावा देना

2. राजनीतिक भागीदारी:

  • महिलाओं के लिए राजनीतिक प्रतिनिधित्व में वृद्धि
  • महिला नेतृत्व और निर्णय लेने में भागीदारी
  • महिलाओं के अधिकारों और मुद्दों के लिए वकालत

3. स्वास्थ्य और कल्याण:

  • महिलाओं के लिए स्वास्थ्य सेवा तक पहुंच में सुधार
  • मातृ स्वास्थ्य और शिशु मृत्यु दर में कमी
  • महिलाओं के लिए पोषण सुरक्षा और खाद्य सुरक्षा

4. शिक्षा और कौशल विकास:

  • लड़कियों के लिए शिक्षा और कौशल विकास का महत्व
  • महिलाओं के लिए STEM शिक्षा और तकनीकी शिक्षा में भागीदारी
  • महिलाओं के लिए आजीविका के अवसरों को बढ़ावा देना

5. कानूनी और न्यायिक सुधार:

  • महिलाओं के अधिकारों की रक्षा के लिए कानूनों का कार्यान्वयन
  • महिलाओं के खिलाफ अपराधों के लिए न्याय तक पहुंच
  • महिलाओं के लिए कानूनी सहायता और जागरूकता

इन विषयों के अलावा, आप “औरत” विषय के अन्य पहलुओं पर भी निबंध लिख सकते हैं, जैसे:

  • महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ भेदभाव के विभिन्न रूप
  • महिलाओं के अधिकारों के लिए आंदोलन का इतिहास
  • महिलाओं की सांस्कृतिक और सामाजिक भूमिका
  • महिलाओं और पुरुषों के बीच समानता प्राप्त करने के लिए चुनौतियां और अवसर

उद्धरण – आधारित/दर्शन

चरित्र

भूमंडलीकरण

विज्ञान और तकनीक

इंटरनेट/आईटी

अंतर्राष्ट्रीय संगठन / संबंध

सुरक्षा

विविध

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