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भारत का वैदेशिक क्षेत्र External Sectors in India

वैदेशिक क्षेत्र (Foreign Sector) किसी देश की अर्थव्यवस्था का वह हिस्सा है जो अंतर्राष्ट्रीय व्यापार, विदेशी निवेश, विदेशी मुद्रा, और भुगतान संतुलन से संबंधित होता है। यह क्षेत्र देश के विदेशी व्यापारिक गतिविधियों और आर्थिक संबंधों का प्रतिनिधित्व करता है।

विदेशी मुद्रा भंडार

विदेशी मुद्रा भंडार एक देश के केंद्रीय बैंक द्वारा आयोजित विदेशी मुद्राओं और स्वर्ण का संग्रह है। यह भंडार व्यापार संतुलन बनाए रखने, विनिमय दर स्थिरता, और आर्थिक आपातकालीन स्थिति में सहायता करता है।

ईष्टतम विदेशी मुद्रा पहेली

ईष्टतम विदेशी मुद्रा भंडार का स्तर निर्धारित करने की चुनौती। यह सुनिश्चित करता है कि देश के पास पर्याप्त विदेशी मुद्रा हो ताकि आयात, विदेशी ऋण भुगतान और अन्य अंतरराष्ट्रीय दायित्वों को पूरा किया जा सके।

विदेशी ऋण

विदेशी ऋण (External Debt) किसी देश द्वारा विदेशी संस्थाओं से उधार ली गई राशि है। यह ऋण विभिन्न रूपों में हो सकता है जैसे सरकारी ऋण, निजी क्षेत्र का ऋण, और अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों का ऋण।

नियत मुद्रा व्यवस्था

नियत मुद्रा व्यवस्था (Fixed Exchange Rate System) में एक देश की मुद्रा की विनिमय दर एक निश्चित स्तर पर तय की जाती है और केंद्रीय बैंक द्वारा इसे बनाए रखा जाता है।

उत्प्लावित मुद्रा व्यवस्था

उत्प्लावित मुद्रा व्यवस्था (Floating Exchange Rate System) में मुद्रा की विनिमय दर विदेशी मुद्रा बाजार की मांग और आपूर्ति के आधार पर बदलती रहती है।

प्रबंधित विनिमय दर

प्रबंधित विनिमय दर (Managed Exchange Rate) में विनिमय दर को पूर्णतः मुक्त नहीं छोड़ा जाता, बल्कि केंद्रीय बैंक आवश्यकतानुसार हस्तक्षेप कर दर को नियंत्रित करता है।

विदेशी विनिमय बाजार

विदेशी विनिमय बाजार (Foreign Exchange Market) एक वैश्विक विकेंद्रीकृत बाजार है जहां विभिन्न मुद्राओं का व्यापार होता है। इसे फॉरेक्स (Forex) भी कहा जाता है।

भारत में विनिमय दर

भारत में विनिमय दर का निर्धारण मुख्यतः मांग और आपूर्ति के आधार पर होता है, लेकिन भारतीय रिजर्व बैंक समय-समय पर हस्तक्षेप कर इसे नियंत्रित करता है।

व्यापार शेष

व्यापार शेष (Trade Balance) किसी देश के निर्यात और आयात के मूल्य के बीच का अंतर है। यह सकारात्मक (सुरplus) या नकारात्मक (deficit) हो सकता है।

व्यापार नीति

व्यापार नीति (Trade Policy) किसी देश की सरकार द्वारा निर्यात और आयात को नियंत्रित करने के लिए बनाई गई नीतियों और विनियमों का सेट है।

मूल्य सस्ता

मूल्य सस्ता (Devaluation) किसी देश की मुद्रा के मूल्य को जानबूझकर कम करना ताकि निर्यात को बढ़ावा दिया जा सके।

पुनर्मूल्यन

पुनर्मूल्यन (Revaluation) किसी देश की मुद्रा के मूल्य को बढ़ाना ताकि आयात सस्ता हो सके और मुद्रास्फीति को नियंत्रित किया जा सके।

अधिमूल्यन

अधिमूल्यन (Appreciation) मुद्रा के मूल्य में स्वतः वृद्धि जो बाजार की ताकतों के कारण होती है।

चालू खाता

चालू खाता (Current Account) किसी देश के कुल आयात और निर्यात, सेवाओं, निवेश आय और एकतरफा हस्तांतरणों का लेखा-जोखा है।

पूंजी खाता

पूंजी खाता (Capital Account) किसी देश के निवेश प्रवाह, ऋण और क्रेडिट के अलावा, विदेशी मुद्रा भंडार में हुए परिवर्तन का लेखा-जोखा है।

भुगतान संतुलन

भुगतान संतुलन (Balance of Payments) किसी देश के सभी आर्थिक लेन-देन का एक समग्र लेखा-जोखा है, जिसमें चालू खाता, पूंजी खाता और वित्तीय खाता शामिल होते हैं।

परिवर्तनीयता

परिवर्तनीयता (Convertibility) का अर्थ है कि किसी देश की मुद्रा को विदेशी मुद्रा में बिना किसी प्रतिबंध के बदला जा सकता है।

भारत में परिवर्तनीयता

भारत में चालू खाता पूरी तरह परिवर्तनीय है जबकि पूंजी खाता आंशिक रूप से परिवर्तनीय है।

चालू खाता

यह खाता निर्यात, आयात, सेवाएं और एकतरफा हस्तांतरणों का लेखा-जोखा रखता है।

पूंजी खाता

यह खाता देश में निवेश प्रवाह, ऋण और क्रेडिट का लेखा-जोखा रखता है।

एलआरएस (Liberalised Remittance Scheme)

एलआरएस भारतीय नागरिकों को प्रति वित्तीय वर्ष एक निश्चित सीमा तक विदेशी मुद्रा भेजने की अनुमति देता है।

सामान्य प्रभावी विनिमय दर (NEER)

सामान्य प्रभावी विनिमय दर (Nominal Effective Exchange Rate) एक सूचकांक है जो एक मुद्रा की मूल्य की तुलना अन्य मुद्राओं की एक टोकरी के साथ करता है।

वास्तविक प्रभावी विनिमय दर (REER)

वास्तविक प्रभावी विनिमय दर (Real Effective Exchange Rate) NEER को मुद्रास्फीति के अंतर को समायोजित करने के बाद का माप है।

ईएपफएपफ (External Affairs and Finance Portfolio Forecasting Framework)

यह एक ढांचा है जो विदेशी मामलों और वित्तीय पोर्टफोलियो की भविष्यवाणी के लिए उपयोग किया जाता है।

भारत पर IMF की शर्तें

IMF द्वारा दिए गए ऋणों के बदले में लागू की गई शर्तें जो आमतौर पर आर्थिक सुधारों और नीतिगत परिवर्तनों की मांग करती हैं।

कड़ी मुद्रा (Hard Currency)

कड़ी मुद्रा वह मुद्रा है जो स्थिर और व्यापक रूप से स्वीकार की जाती है।

मुलायम मुद्रा (Soft Currency)

मुलायम मुद्रा वह मुद्रा है जो अस्थिर और कम स्वीकार की जाती है।

उष्ण मुद्रा (Hot Money)

उष्ण मुद्रा वह पूंजी है जो अल्पकालिक लाभ प्राप्त करने के लिए एक देश से दूसरे देश में स्थानांतरित होती है।

उफष्मित मुद्रा

उफष्मित मुद्रा उच्च मुद्रास्फीति के कारण अपनी क्रय शक्ति खो रही मुद्रा होती है।

सस्ती मुद्रा (Cheap Currency)

सस्ती मुद्रा वह मुद्रा है जिसका मूल्य अन्य मुद्राओं की तुलना में कम है।

महंगी मुद्रा (Expensive Currency)

महंगी मुद्रा वह मुद्रा है जिसका मूल्य अन्य मुद्राओं की तुलना में अधिक है।

विशेष आर्थिक क्षेत्र (SEZ)

विशेष आर्थिक क्षेत्र एक निर्दिष्ट क्षेत्र होता है जहां व्यापार और निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए कर और अन्य नीतिगत लाभ प्रदान किए जाते हैं।

जी.ए.ए.आर. (General Anti-Avoidance Rules)

यह नियम कर की चोरी और कर से बचने की प्रथाओं को रोकने के लिए लागू किए जाते हैं।

विदेशी मुद्रा उधारी में जोखिम

विदेशी मुद्रा उधारी में मुद्रा विनिमय दरों के बदलाव का जोखिम होता है जो उधारी की लागत को प्रभावित कर सकता है।

भारत का बाह्य निष्पादन

भारत का बाह्य निष्पादन (External Performance) देश की विदेशी व्यापार, निवेश और आर्थिक संबंधों की स्थिति को दर्शाता है।

व्यापार परिदृश्य

भारत का व्यापार परिदृश्य निर्यात और आयात के चलन, प्रमुख निर्यात वस्तुओं और आयात वस्तुओं को दर्शाता है।

व्यापार साझेदार

भारत के प्रमुख व्यापार साझेदार अमेरिका, चीन, यूएई, सऊदी अरब, जर्मनी, जापान आदि हैं।

अदृश्य

अदृश्य व्यापार सेवाओं, निवेश आय और अन्य गैर-भौतिक वस्तुओं का व्यापार होता है।

व्यापार की बनावट

भारत के व्यापार की बनावट में कृषि उत्पाद, खनिज, वस्त्र, रसायन, इंजीनियरिंग सामान आदि शामिल हैं।

व्यापार को बढ़ाने के लिए नए कदम

सरकार ने व्यापार को बढ़ाने के लिए विभिन्न सुधार और नीतिगत पहलें की हैं जैसे मेक इन इंडिया, डिजिटल इंडिया, व्यापार सुगमता आदि।

विनिमय दर निगरानी

विनिमय दरों की निगरानी भारतीय रिजर्व बैंक और अन्य नियामक संस्थानों द्वारा की जाती है।

भारत के आरटीए (Regional Trade Agreements)

भारत विभिन्न क्षेत्रीय व्यापार समझौतों में शामिल है जैसे SAFTA, ASEAN-India FTA आदि।

नई विदेश व्यापार नीति, 2015

इस नीति का उद्देश्य निर्यात को बढ़ावा देना, आयात को नियंत्रित करना और व्यापार संतुलन बनाए रखना है।

अंतर-प्रशांत भागीदारी (Trans-Pacific Partnership)

यह एक प्रमुख क्षेत्रीय व्यापार समझौता है जिसमें अमेरिका और अन्य प्रशांत रिम देशों के बीच मुक्त व्यापार को बढ़ावा दिया जाता है।

ट्रांस अटलांटिक व्यापार एवं निवेश साझेदारी (Transatlantic Trade and Investment Partnership)

यह अमेरिका और यूरोपीय संघ के बीच प्रस्तावित व्यापार और निवेश समझौता है।

अवैश्वीकरण और भारत

अवैश्वीकरण (De-globalization) का प्रभाव भारतीय अर्थव्यवस्था पर गहरा हो सकता है, विशेषकर व्यापार, निवेश, और रोजगार के संदर्भ में। भारत को अवैश्वीकरण के प्रभाव से निपटने के लिए अपनी आर्थिक नीतियों और व्यापार रणनीतियों को पुनः मूल्यांकन करने की आवश्यकता है।

निष्कर्ष

भारत का वैदेशिक क्षेत्र देश की आर्थिक समृद्धि और वैश्विक

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