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सामाजिक, आर्थिक और धार्मिक जीवन – Social, Economic and Religious Life

नगरीय योजना और विन्यास-

  • हड़प्पाई सभ्यता अपनी नगरीय योजना प्रणाली के लिये जानी जाती है।
  • मोहनजोदड़ो और हड़प्पा के नगरों में अपने- अपने दुर्ग थे जो नगर से कुछ ऊँचाई पर स्थित होते थे जिसमें अनुमानतः उच्च वर्ग के लोग निवास करते थे ।
  • दुर्ग से नीचे सामान्यतः ईंटों से निर्मित नगर होते थे,जिनमें सामान्य लोग निवास करते थे।
  • हड़प्पा सभ्यता की एक ध्यान देने योग्य बात यह भी है कि इस सभ्यता में ग्रिड प्रणाली मौजूद थी जिसके अंतर्गत सडकें एक दूसरे को समकोण पर काटती थीं ।
  • अन्न भंडारों का निर्माण हड़प्पा सभ्यता के नगरों की प्रमुख विशेषता थी।
  • जली हुई ईंटों का प्रयोग हड़प्पा सभ्यता की एक प्रमुख विशेषता थी क्योंकि समकालीन मिस्र में मकानों के निर्माण के लिये शुष्क ईंटों का प्रयोग होता था।
  • हड़प्पा सभ्यता में जल निकासी प्रणाली बहुत प्रभावी थी।
  • हर छोटे और बड़े घर के अंदर स्वंय का स्नानघर और आँगन होता था।
  • कालीबंगा के बहुत से घरों में कुएँ नही पाए जाते थे।
  • कुछ स्थान जैसे लोथल और धौलावीरा में संपूर्ण विन्यास मज़बूत और नगर दीवारों द्वारा भागों में विभाजित थे।

कृषि-

  • हड़प्पाई गाँव मुख्यतः प्लावन मैदानों के पास स्थित थे,जो पर्याप्त मात्रा में अनाज का उत्पादन करते थे।
  • गेहूँ, जौ, सरसों, तिल, मसूर आदि का उत्पादन होता था। गुजरात के कुछ स्थानों से बाजरा उत्पादन के संकेत भी मिले हैं,जबकि यहाँ चावल के प्रयोग के संकेत तुलनात्मक रूप से बहुत ही दुर्लभ मिलते हैं।
  • सिंधु सभ्यता के मनुष्यों ने सर्वप्रथम कपास की खेती प्रारंभ की थी।
  • वास्तविक कृषि परंपराओं को पुनर्निर्मित करना कठिन होता है क्योंकि कृषि की प्रधानता का मापन इसके अनाज उत्पादन क्षमता के आधार पर किया जाता है।
  • मुहरों और टेराकोटा की मूर्तियों पर सांड के चित्र मिले हैं तथा पुरातात्त्विक खुदाई से बैलों से जुते हुए खेत के साक्ष्य मिले हैं।
  • हड़प्पा सभ्यता के अधिकतम स्थान अर्द्ध शुष्क क्षेत्रों में मिले हैं,जहाँ खेती के लिये सिंचाई की आवश्यकता होती है।
  • नहरों के अवशेष हड़प्पाई स्थल शोर्तुगई अफगानिस्तान में पाए गए हैं ,लेकिन पंजाब और सिंध में नहीं।
  • हड़प्पाई लोग कृषि के साथ -साथ बड़े पैमाने पर पशुपालन भी करते थे ।
  • घोड़े के साक्ष्य सूक्ष्म रूप में मोहनजोदड़ो और लोथल की एक संशययुक्त टेराकोटा की मूर्ति से मिले हैं।हड़प्पाई संस्कृति किसी भी स्थिति में अश्व केंद्रित नहीं थी।

अर्थव्यवस्था-

  • अनगिनत संख्या में मिली मुहरें ,एकसमान लिपि,वजन और मापन की विधियों से सिंधु घाटी सभ्यता के लोगों के जीवन में व्यापार के महत्त्व के बारे में पता चलता है।
  • हड़प्पाई लोग पत्थर ,धातुओं, सीप या शंख का व्यापर करते थे।
  • धातु मुद्रा का प्रयोग नहीं होता था। व्यापार की वस्तु विनिमय प्रणाली मौजूद थी।
  • अरब सागर के तट पर उनके पास कुशल नौवहन प्रणाली भी मौजूद थी।
  • उन्होंने उत्तरी अफगानिस्तान में अपनी व्यापारिक बस्तियाँ स्थापित की थीं जहाँ से प्रमाणिक रूप से मध्य एशिया से सुगम व्यापार होता था।
  • दजला -फरात नदियों की भूमि वाले क्षेत्र से हड़प्पा वासियों के वाणिज्यिक संबंध थे।
  • हड़प्पाई प्राचीन ‘लैपिस लाजुली’ मार्ग से व्यापार करते थे जो संभवतः उच्च लोगों की सामाजिक पृष्ठभूमि से संबधित था ।

शिल्पकला –

  • हड़प्पाई कांस्य की वस्तुएँ निर्मित करने की विधि ,उसके उपयोग से भली भाँति परिचित थे।
  • तांबा राजस्थान की खेतड़ी खान से प्राप्त किया जाता था और टिन अनुमानतः अफगानिस्तान से लाया जाता था ।
  • बुनाई उद्योग में प्रयोग किये जाने वाले ठप्पे बहुत सी वस्तुओं पर पाए गए हैं।
  • बड़ी -बड़ी ईंट निर्मित संरचनाओं से राजगीरी जैसे महत्त्वपूर्ण शिल्प के साथ साथ राजमिस्त्री वर्ग के अस्तित्व का पता चलता है।
  • हड़प्पाई नाव बनाने की विधि,मनका बनाने की विधि,मुहरें बनाने की विधि से भली- भाँति परिचित थे। टेराकोटा की मूर्तियों का निर्माण हड़प्पा सभ्यता की महत्त्वपूर्ण शिल्प विशेषता थी।
  • जौहरी वर्ग सोने ,चांदी और कीमती पत्थरों से आभूषणों का निर्माण करते थे ।
  • मिट्टी के बर्तन बनाने की विधि पूर्णतः प्रचलन में थी,हड़प्पा वासियों की स्वयं की विशेष बर्तन बनाने की विधियाँ थीं, हड़प्पाई लोग चमकदार बर्तनों का निर्माण करते थे ।

संस्थाएँ-

  • सिंधु घाटी सभ्यता से बहुत कम मात्रा में लिखित साक्ष्य मिले हैं ,जिन्हें अभी तक पुरातत्त्वविदों तथा शोधार्थियों द्वारा पढ़ा नहीं जा सका है।
  • एक परिणाम के अनुसार, सिंधु घाटी सभ्यता में राज्य और संस्थाओं की प्रकृति समझना काफी कठिनाई का कार्य है ।
  • हड़प्पाई स्थलों पर किसी मंदिर के प्रमाण नहीं मिले हैं। अतः हड़प्पा सभ्यता में पुजारियों के प्रुभुत्व या विद्यमानता को नकारा जा सकता है।
  • हड़प्पा सभ्यता अनुमानतः व्यापारी वर्ग द्वारा शासित थी।
  • अगर हम हड़प्पा सभ्यता में शक्तियों के केंद्रण की बात करें तो पुरातत्त्वीय अभिलेखों द्वारा कोई ठोस जानकारी नहीं मिलती है।
  • कुछ पुरातत्त्वविदों की राय में हड़प्पा सभ्यता में कोई शासक वर्ग नहीं था तथा समाज के हर व्यक्ति को समान दर्जा प्राप्त था ।
  • कुछ पुरातत्त्वविदों की राय में हड़प्पा सभ्यता में कई शासक वर्ग मौजूद थे ,जो विभिन्न हड़प्पाई शहरों में शासन करते थे ।

धर्म-

  • टेराकोटा की लघुमूर्तियों पर एक महिला का चित्र पाया गया है, इनमें से एक लघुमूर्ति में महिला के गर्भ से उगते हुए पौधे को दर्शाया गया है।
  • हड़प्पाई पृथ्वी को उर्वरता की देवी मानते थे और पृथ्वी की पूजा उसी तरह करते थे, जिस प्रकार मिस्र के लोग नील नदी की पूजा देवी के रूप में करते थे ।
  • पुरुष देवता के रूप में मुहरों पर तीन शृंगी चित्र पाए गए हैं जो कि योगी की मुद्रा में बैठे हुए हैं ।
  • देवता के एक तरफ हाथी, एक तरफ बाघ, एक तरफ गैंडा तथा उनके सिंहासन के पीछे भैंसा का चित्र बनाया गया है। उनके पैरों के पास दो हिरनों के चित्र है। चित्रित भगवान की मूर्ति को पशुपतिनाथ महादेव की संज्ञा दी गई है।
  • अनेक पत्थरों पर लिंग तथा स्त्री जनन अंगों के चित्र पाए गए हैं।
  • सिंधु घाटी सभ्यता के लोग वृक्षों तथा पशुओं की पूजा किया करते थे।
  • सिंधु घाटी सभ्यता में सबसे महत्त्वपूर्ण पशु एक सींग वाला गैंडा था तथा दूसरा महत्त्वपूर्ण पशु कूबड़ वाला सांड था।
  • अत्यधिक मात्रा में ताबीज भी प्राप्त किये गए हैं।

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