मध्य प्रदेश की छिपा शिल्प कला:
छिपा शिल्प कला, मध्य प्रदेश की एक अनोखी और समृद्ध कला परंपरा है। यह कला, कपड़े पर हाथ से बारीकी से उकेरी गई छापों से निर्मित होती है। इस कला में, लकड़ी के सांचों का उपयोग करके, प्राकृतिक रंगों से बनी स्याही को कपड़े पर छापा जाता है।
यह कला सदियों से चली आ रही है और इसकी जड़ें भील जनजाति से जुड़ी हुई हैं। भील, प्राचीन काल से ही इस कला का अभ्यास करते रहे हैं और उन्होंने अपनी संस्कृति और परंपराओं को दर्शाने के लिए इसका उपयोग किया है।
छिपा शिल्प कला की विशेषताएं:
- ब्लॉक प्रिंटिंग: इसमें लकड़ी के ब्लॉकों का उपयोग करके कपड़ों पर डिज़ाइन उकेरे जाते हैं। इन ब्लॉकों पर पहले से ही नक्काशी की जाती है, जिससे कपड़े पर छपाई के समय सुन्दर और बारीक डिज़ाइन उभरते हैं।
- रंगों का उपयोग: छिपा शिल्प में प्राकृतिक रंगों का व्यापक उपयोग होता है। ये रंग पौधों, फलों, और मिट्टी से प्राप्त किए जाते हैं। बाग प्रिंटिंग में, खासकर, लाल, काला और नीला रंग प्रमुख होते हैं।
- डिज़ाइन और मोटिफ: छिपा शिल्प में प्रयुक्त डिज़ाइन आमतौर पर पारंपरिक और स्थानीय तत्वों पर आधारित होते हैं। इनमें फूल, पत्तियाँ, पक्षी, और ज्यामितीय आकार शामिल होते हैं।
- हाथ से बना: यह कला पूरी तरह से हाथ से बनाई जाती है, जो इसे और भी खास बनाती है।
मध्य प्रदेश में छिपा शिल्प कला के प्रमुख केंद्र:
- बाग: बाग, मध्य प्रदेश में छिपा शिल्प कला का सबसे प्रसिद्ध केंद्र है। यहां के कलाकार, अपनी कलाकृति के लिए राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्ध हैं।
- मंदसौर: मंदसौर भी छिपा शिल्प कला के लिए जाना जाता है। यहां के कलाकार, अपनी कलाकृति में बारीकी और रंगों के प्रयोग के लिए जाने जाते हैं।
- धार: धार में भी छिपा शिल्प कला का एक समृद्ध इतिहास रहा है। यहां के कलाकार, पारंपरिक डिजाइनों और पैटर्नों का उपयोग करते हैं।
प्रक्रिया:
- कपड़े की तैयारी: पहले कपड़े को अच्छी तरह धोकर और सुखाकर तैयार किया जाता है।
- ब्लॉक की तैयारी: लकड़ी के ब्लॉक पर डिज़ाइन उकेरा जाता है।
- रंग तैयार करना: प्राकृतिक तत्वों से रंग बनाए जाते हैं।
- छपाई प्रक्रिया: ब्लॉक को रंग में डुबोकर कपड़े पर प्रिंट किया जाता है।
- धुलाई और फिनिशिंग: प्रिंटिंग के बाद कपड़े को धोकर सुखाया जाता है और फिनिशिंग दी जाती है।
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