महेश्वरी साड़ी, मध्य प्रदेश के खरगोन जिले के महेश्वर शहर में बनी एक प्रसिद्ध हस्तशिल्प साड़ी है। यह अपनी चमकदार रंगों, ज्यामितीय डिजाइनों और ज़री के काम के लिए जानी जाती है। महेश्वरी साड़ी को सूती, रेशमी और मिश्रित कपड़ों में बुना जाता है, लेकिन रेशमी महेश्वरी साड़ी सबसे लोकप्रिय है।
इतिहास
महेश्वरी साड़ी का इतिहास 18वीं शताब्दी का है जब होल्कर राजवंश की रानी अहिल्याबाई होल्कर ने महेश्वर शहर को अपनी राजधानी बनाया था। उन्होंने कला और शिल्प को प्रोत्साहन दिया और महेश्वर को एक प्रमुख हस्तशिल्प केंद्र के रूप में विकसित किया। महेश्वरी साड़ी उन्हीं के संरक्षण में विकसित हुई।
विशेषताएं
- रंग:महेश्वरी साड़ी चमकीले और जीवंत रंगों के लिए प्रसिद्ध है। इनमें अक्सर लाल, पीला, हरा, नीला और बैंगनी जैसे रंगों का इस्तेमाल होता है।
- डिजाइन:महेश्वरी साड़ी में ज्यामितीय डिजाइन होते हैं, जैसे कि त्रिकोण, वर्ग और हीरे। इनमें अक्सर ज़री के काम से बने जटिल पैटर्न भी होते हैं।
- कपड़ा: महेश्वरी साड़ी को सूती, रेशमी और मिश्रित कपड़ों में बुना जाता है। रेशमी महेश्वरी साड़ी सबसे लोकप्रिय है और इसे विशेष अवसरों के लिए पहना जाता है।
- बुनाई: महेश्वरी साड़ी को पिटलूम पर हाथ से बुना जाता है। यह एक जटिल और समय लेने वाली प्रक्रिया है, जिसमें कुशल कारीगरों की आवश्यकता होती है।
महत्व
महेश्वरी साड़ी मध्य प्रदेश की समृद्ध संस्कृति और विरासत का प्रतीक है। यह न केवल एक खूबसूरत और पारंपरिक परिधान है, बल्कि यह स्थानीय कारीगरों की कुशलता और कलात्मकता को भी दर्शाता है।
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