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खनिजों का पर्यावरणीय प्रभाव और प्रबंधन (Environmental impact and management of minerals)

मध्यप्रदेश में खनिज संसाधनों का दोहन आर्थिक विकास के लिए महत्वपूर्ण है, लेकिन इससे पर्यावरण पर भी कई नकारात्मक प्रभाव पड़ते हैं। पर्यावरणीय प्रभावों के प्रबंधन के लिए सरकार और उद्योगों द्वारा विभिन्न कदम उठाए जा रहे हैं। यहाँ खनिज दोहन के प्रमुख पर्यावरणीय प्रभावों और उनके प्रबंधन के तरीकों की जानकारी दी गई है:

पर्यावरणीय प्रभाव

  1. भूमि क्षरण (Land Degradation)
    • खनन गतिविधियों से भूमि का क्षरण होता है, जिससे भूमि की उपजाऊ क्षमता कम होती है।
    • प्रबंधन: पुनःभूमि सुधार (Reclamation) कार्यक्रमों के तहत खनन समाप्त होने के बाद भूमि को पुनः उपजाऊ बनाने के प्रयास किए जाते हैं।
  2. जल प्रदूषण (Water Pollution)
    • खनन से निकलने वाले रसायन और धातु जल स्रोतों को प्रदूषित कर सकते हैं।
    • प्रबंधन: जल शोधन संयंत्र (Water Treatment Plants) स्थापित किए जाते हैं ताकि खनन से निकले जल को शुद्ध किया जा सके।
  3. वायु प्रदूषण (Air Pollution)
    • खनन और संबंधित गतिविधियों से धूल और हानिकारक गैसें वायुमंडल में फैलती हैं।
    • प्रबंधन: धूल नियंत्रण उपायों, जैसे कि स्प्रिंकलर सिस्टम और हरे पट्टों का निर्माण, से वायु गुणवत्ता में सुधार किया जाता है।
  4. वन और जैव विविधता की हानि (Loss of Forest and Biodiversity)
    • खनन के कारण वन क्षेत्र कम होते हैं और वन्यजीवों के आवास नष्ट होते हैं।
    • प्रबंधन: पुनर्वनीकरण (Reforestation) और जैव विविधता संरक्षण कार्यक्रम लागू किए जाते हैं।
  5. ध्वनि प्रदूषण (Noise Pollution)
    • खनन उपकरणों और विस्फोटों से ध्वनि प्रदूषण होता है।
    • प्रबंधन: ध्वनि नियंत्रण उपकरणों का उपयोग और ध्वनि अवरोधक संरचनाओं का निर्माण किया जाता है।

प्रबंधन के उपाय

  1. पर्यावरण प्रभाव आकलन (Environmental Impact Assessment – EIA)
    • खनन परियोजनाओं के शुरू होने से पहले EIA रिपोर्ट तैयार की जाती है, जिसमें पर्यावरणीय प्रभावों का विश्लेषण और उनके प्रबंधन के सुझाव शामिल होते हैं।
  2. खनन बंदोबस्ती (Mine Closure)
    • खनन समाप्त होने के बाद भूमि और पर्यावरण को पुनःस्थापित करने के लिए योजनाएं बनाई जाती हैं, जिसमें पुनर्वनीकरण और भूमि सुधार शामिल हैं।
  3. हरित पट्टी (Green Belt)
    • खनन क्षेत्रों के आसपास हरे पट्टों का निर्माण किया जाता है ताकि धूल और वायु प्रदूषण को कम किया जा सके।
  4. सामुदायिक भागीदारी (Community Participation)
    • खनन गतिविधियों के पर्यावरणीय प्रभावों को कम करने के लिए स्थानीय समुदायों की भागीदारी सुनिश्चित की जाती है।
  5. तकनीकी सुधार (Technological Improvements)
    • खनन प्रक्रिया में नवीनतम और पर्यावरण मित्र तकनीकों का उपयोग किया जाता है ताकि पर्यावरणीय नुकसान को कम किया जा सके।
  6. नियम और कानून (Regulations and Laws)
    • खनन उद्योग के लिए सख्त पर्यावरणीय नियम और कानून लागू किए जाते हैं, जिनका पालन अनिवार्य होता है।

पुनर्वास और पर्यावरणीय पुनर्स्थापन की तकनीक

पुनर्वास की तकनीकें

  1. विस्थापन और पुनर्स्थापन योजना:
    • स्थानीय समुदायों को खनन या परियोजना स्थल से अन्यत्र स्थानांतरित करते समय उनके पुनर्वास के लिए विस्तृत योजना बनाई जाती है।
    • इसमें नए घर, बुनियादी सुविधाएँ, शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाएँ और रोजगार के अवसर शामिल होते हैं।
  2. सामाजिक विकास कार्यक्रम:
    • स्थानीय समुदायों के लिए कौशल विकास, शिक्षा, और स्वास्थ्य सेवाओं के कार्यक्रम चलाए जाते हैं।
    • महिलाओं और बच्चों के लिए विशेष योजनाएँ बनाई जाती हैं।
  3. साझेदारी और संवाद:
    • स्थानीय समुदायों, गैर-सरकारी संगठनों और सरकारी एजेंसियों के साथ मिलकर पुनर्वास और विकास की योजनाओं को लागू किया जाता है।
    • संवाद और साझेदारी से स्थानीय समस्याओं और आवश्यकताओं को समझने और समाधान करने में मदद मिलती है।

पर्यावरणीय पुनर्स्थापन की तकनीकें

  1. खनन क्षेत्र पुनर्स्थापन:
    • खनन के बाद भूमि की सतह को पुनः आकार दिया जाता है और उसे स्थिर बनाया जाता है।
    • मिट्टी का संरक्षण और पुनरावर्तन किया जाता है ताकि कृषि और वन्य जीवन के लिए भूमि उपयुक्त हो सके।
  2. वनीकरण (Afforestation):
    • खनन और अन्य गतिविधियों से प्रभावित क्षेत्रों में वृक्षारोपण किया जाता है।
    • स्थानीय वनस्पतियों का चयन किया जाता है ताकि पर्यावरणीय संतुलन बना रहे।
  3. जल संसाधन प्रबंधन:
    • खनन क्षेत्रों में जल संचयन और पुनर्भरण की तकनीकों का उपयोग किया जाता है।
    • तालाब, चेक डैम, और रिचार्ज वेल का निर्माण किया जाता है ताकि जलस्तर को बनाए रखा जा सके।
  4. मिट्टी और भूमि प्रबंधन:
    • क्षतिग्रस्त भूमि को पुनः उपजाऊ बनाने के लिए जैविक खाद और संशोधन का उपयोग किया जाता है।
    • भूमि कटाव को रोकने के लिए कंटूर बैंक्स और टेरेसिंग की जाती है।
  5. पर्यावरणीय निगरानी और प्रबंधन:
    • पर्यावरणीय प्रभावों की नियमित निगरानी की जाती है।
    • प्रदूषण नियंत्रण उपायों का सख्ती से पालन किया जाता है।
  6. स्थानीय वन्यजीव संरक्षण:
    • वन्यजीवों के आवास की रक्षा और पुनर्स्थापना के लिए प्रयास किए जाते हैं।
    • संवेदनशील प्रजातियों की सुरक्षा के लिए विशेष संरक्षण क्षेत्र बनाए जाते हैं।

सरकारी और गैर-सरकारी प्रयास

  1. सरकारी नीतियाँ और कानून:
    • खनन और अन्य उद्योगों के लिए पर्यावरणीय स्वीकृति प्रक्रिया में पुनर्वास और पर्यावरणीय पुनर्स्थापन को अनिवार्य किया गया है।
    • राज्य और केंद्रीय स्तर पर वन और पर्यावरण विभाग इन नीतियों की निगरानी करते हैं।
  2. गैर-सरकारी संगठन (NGOs):
    • विभिन्न एनजीओ पुनर्वास और पर्यावरणीय पुनर्स्थापन में सक्रिय भागीदारी करते हैं।
    • ये संगठन स्थानीय समुदायों की आवाज़ बनते हैं और सरकार और उद्योगों के साथ मिलकर काम करते हैं।

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