eVidyarthi Exam Preparation
Main Menu
  • School
    • CBSE English Medium
    • CBSE Hindi Medium
    • UP Board
    • Bihar Board
    • Maharashtra Board
    • MP Board
    • Close
  • Sarkari Exam Preparation
    • Upcoming Govt Exams Calendar
    • State Wise Competitive Exam Preparation
    • All Govt Exams Preparation
    • MCQs for Competitive Exams
    • Notes For Competitive Exams
    • NCERT Syllabus for Competitive Exam
    • Close
  • Sarkari Naukri News
    • Sarkari Naukri
    • Govt Jobs by State
    • Govt Jobs by Qualification
    • Govt Jobs by Position
    • Upcoming Govt Exams Calendar
    • Walk In Interviews for Govt Jobs
    • Close
  • Study Abroad
    • Study in Australia
    • Study in Canada
    • Study in UK
    • Study in Germany
    • Study in USA
    • Close
Pol Science || Menu
  • MCQ Political Science
  • Notes Political Science
SELECT YOUR LANGUAGE

न्यायिक सक्रियता का अर्थ – Meaning of judicial activism

  • न्यायिक सक्रियता (Judicial activism) नागरिकों के अधिकारों के संरक्षण और समाज में न्याय को बढ़ावा देने में न्यायपालिका द्वारा निभाई गई सक्रिय भूमिका को दर्शाती है।
  • दूसरे शब्दों में इसका अर्थ है न्यायपालिका द्वारा सरकार के अन्य दो अंगों (विधायिका एवं कार्यपालिका) को अपने संवैधानिक दायित्वों के पालन के लिए बाध्य करना।
  • न्यायिक सक्रियता को “न्यायिक गतिशीलता’ भी कहते हैं। यह “न्यायिक संयम’ के बिल्कुल विपरीत है जिसका मतलब है न्यायपालिका द्वारा आत्म-नियंत्रण बनाए रखना।

न्यायिक सक्रियता को निम्न प्रकार से परिभाषित किया जाता हैः-

1. “न्यायिक सक्रियता न्यायिक शक्ति के उपयोग का एक तरीका है जो कि न्यायाधीश को प्रेरित करता है कि वह सामान्य रुप से व्यवहरत सख्त न्यायिक प्रक्रियाओं एवं पूर्व नियमों को प्रगतिशील एवं नयी सामाजिक नीतियों के पक्ष में त्याग दे। इसमें ऐसे निर्णय देखने में आते हैं जिसमें सामाजिक अभियंत्रण अथवा इंजीनियरिंग होता है, अनेक अवसरों पर विधायिका एवं कार्यपालिका संबंधी मामलों में दखलंदाजी भी होती है।’

” 2. “न्यायिक सक्रियता न्यायपालिका का वह चलन है जिसमें वैयक्तिक अधिकारों को ऐसे निर्णयों द्वारा संरक्षित या विस्तारित किया जाता है जो कि पूर्व नियमों या परिपाटियों से अलग हटकर होते हैं, अथवा वांछित या करणीय संवैधानिक या विधायी इरादे से स्वतंत्र अथवा उसके विरुद्ध हो

न्यायिक सक्रियता को अवधारणा जनहित याचिका की अवधारणा से निकटता से जुड़ी है। यह सर्वोच्च न्यायालय की न्यायिक सक्रियता है जिसके कारण जनहित याचिकाओं की संख्या बड़ी है। दूसरे शब्दों में पीआईएल न्यायिक सक्रियता का परिणाम है। वास्तव में पीआईएल या जनहित याचिका न्यायिक सक्रियता का सबसे लोकप्रिय स्वरूप है।

भारत की न्यायिक सक्रियता सकारात्मक और नकारात्मक दोनों हो सकती है:-

  1. सत्ता संबंधों को अधिक न्यायसंगत बनाने के लिए उनमें परिवर्तन करने में लगी अदालत को सकारात्मक रूप से सक्रिय कहा जाता है और
  2. सत्ता संबंधों में यथास्थिति बनाए रखने के लिए अपनी चतुराई का उपयोग करने वाले न्यायालय को नकारात्मक रूप से सक्रियवादी कहा जाता है।

ब्लैक के लॉ डिक्शनरी के अनुसार, न्यायिक सक्रियता न्यायिक निर्णय लेने का एक दर्शन है जिसके तहत न्यायाधीश अन्य कारकों के अलावा सार्वजनिक नीति के बारे में अपने व्यक्तिगत विचारों को अपने निर्णयों का मार्गदर्शन करने की अनुमति देते हैं।

वी.डी कुलश्रेष्ठ के अनुसार, न्यायिक सक्रियता तब होती है जब न्यायपालिका पर वास्तव में कानून बनाने की प्रक्रिया में भाग लेने का आरोप लगाया जाता है और बाद में वह कानूनी प्रणाली में एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी के रूप में उभरती है।

समकालीन (Contemporary) निश्चित शब्दों में, न्यायिक सक्रियता को अक्सर संविधान की सीमाओं के भीतर लोकतांत्रिक शक्ति का उपयोग करके कार्यकारी गलतियों को ठीक करने के तरीके के रूप में देखा जाता है।

ऐसा कहा जाता है कि न्यायिक सक्रियता न्यायाधीशों को उनकी पारंपरिक भूमिका के अलावा, देश के नागरिकों की ओर से व्यक्तिगत नीति निर्माताओं और स्वतंत्र ट्रस्टी के रूप में कार्य करने का अधिकार देती है।

सामान्य तौर पर, न्यायिक सक्रियता सभी तीन महत्वपूर्ण स्तंभों के कुशल समन्वय (Coordination) को सुनिश्चित करने के लिए कार्यकारी या विधायी शाखाओं द्वारा की गई गलतियों को ठीक करने में न्यायपालिका की सक्रिय भूमिका को संदर्भित करती है।

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Sarkari Exam Preparation Youtube
Subscribe
Privacy Policies, Terms and Conditions, Contact Us
eVidyarthi and its licensors. All Rights Reserved.