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हिंदी Important Questions Chapter 5 नागरी लिपि Class 10 Hindi Godhuli Bihar Board बिहार बोर्ड

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Important Questions For All Chapters – हिंदी गोधूलि Class 10

Short Questions (with Answers)


1. गुणाकर मुले का अध्ययन क्षेत्र क्या था और उन्होंने किन विषयों पर लिखा?

  • गुणाकर मुले ने गणित, खगोल विज्ञान, अंतरिक्ष विज्ञान, विज्ञान का इतिहास, और प्राचीन भारत की संस्कृति पर लिखा। उनकी प्रमुख कृतियों में ‘अक्षरों की कहानी’, ‘भारतीय लिपियों की कहानी’, और ‘सौर मंडल’ जैसी पुस्तकें शामिल हैं। उन्होंने 2500 से अधिक लेख और 30 से अधिक पुस्तकें लिखीं।

2. देवनागरी लिपि का प्राचीनतम उपयोग कहाँ और कब हुआ?

  • देवनागरी लिपि का प्राचीनतम उपयोग दक्षिण भारत में ‘नंदिनागरी’ लिपि के रूप में हुआ। इसके शुरुआती लेख आठवीं सदी में विंध्य पर्वत के दक्षिण क्षेत्र से मिले हैं। राष्ट्रकूट राजा दंतिदुर्ग का सामांगड़ दानपत्र (754 ई.) इसका एक उदाहरण है।

3. दक्षिण भारत में नागरी लिपि का उपयोग किन रूपों में होता था?

  • दक्षिण भारत में नागरी लिपि का उपयोग शासकों के सिक्कों, ताम्रपत्रों, और वैदिक ग्रंथों के लिए किया जाता था। राजराज और राजेंद्र चोल जैसे शासकों ने अपने सिक्कों पर नागरी लिपि का प्रयोग किया।

4. गुर्जर-प्रतीहार शासकों के लेखों में नागरी लिपि का क्या महत्व था?

  • गुर्जर-प्रतीहार शासकों ने अपने शिलालेखों और प्रशस्तियों में नागरी लिपि का उपयोग किया। मिहिर भोज (840-881 ई.) की ग्वालियर प्रशस्ति नागरी लिपि में लिखी गई है। इससे पता चलता है कि यह लिपि उत्तर भारत में व्यापक रूप से प्रचलित थी।

5. नागरी लिपि को देवनागरी क्यों कहा गया?

  • माना जाता है कि गुप्त सम्राट चंद्रगुप्त द्वितीय के काल में उनकी राजधानी पाटलिपुत्र (देवनगर) से जुड़ाव के कारण इस लिपि को देवनागरी कहा गया। यह लिपि नगरों में विकसित हुई और पूरे उत्तर भारत में प्रचलित हो गई।

6. नागरी लिपि के विकास में ब्राह्मी और सिद्धम का क्या योगदान है?

  • नागरी लिपि का विकास ब्राह्मी और सिद्धम लिपियों से हुआ। ब्राह्मी लिपि में अक्षरों के सिरों पर त्रिकोणीय चिन्ह होते थे, जबकि नागरी लिपि में पूरी सिरोरेखा विकसित हुई। यह लिपि आठवीं सदी से पूरे भारत में प्रचलित हो गई।

7. महमूद गजनवी के सिक्कों पर नागरी लिपि का क्या उपयोग था?

  • महमूद गजनवी के 1028 ई. के सिक्कों पर नागरी लिपि में ‘मुहम्मद अवतार नृपति महमूदः’ अंकित है। इससे पता चलता है कि इस्लामी शासन में भी नागरी लिपि का उपयोग जारी रहा।

8. नागरी लिपि का वैश्विक महत्व क्या है?

  • नागरी लिपि में संस्कृत और प्राकृत ग्रंथ छपते हैं, जो विश्वभर में भारतीय संस्कृति और ज्ञान का प्रचार-प्रसार करते हैं। यह लिपि नेपाली, मराठी, और हिंदी जैसी भाषाओं की आधारशिला है।

9. ‘नंदिनागरी’ लिपि का महत्व क्या है?

  • नंदिनागरी, दक्षिण भारत में प्रचलित नागरी लिपि का रूप थी। विजयनगर के शासक इस लिपि का उपयोग करते थे। इसके माध्यम से वेदों और अन्य ग्रंथों को लिपिबद्ध किया गया।

10. गुणाकर मुले की रचना ‘भारतीय लिपियों की कहानी’ का उद्देश्य क्या है?

  • इस रचना में मुले ने देवनागरी लिपि के ऐतिहासिक विकास और इसके प्रभाव को स्पष्ट किया है। उन्होंने सरल और प्रवाहपूर्ण शैली में लिपि के विकास से संबंधित जानकारी दी है, ताकि पाठकों में जिज्ञासा बढ़ सके।

Medium Questions (with Answers)


1. गुणाकर मुले ने भारतीय लिपियों के विकास को कैसे प्रस्तुत किया?

  • उन्होंने अपनी रचनाओं में भारतीय लिपियों के ऐतिहासिक विकास को सरल और तथ्यपूर्ण तरीके से प्रस्तुत किया। ‘भारतीय लिपियों की कहानी’ में उन्होंने देवनागरी लिपि की प्राचीनता और व्यापकता का उल्लेख किया। उन्होंने दक्षिण भारत में नंदिनागरी के उपयोग और उत्तर भारत में देवनागरी के प्रसार को विस्तार से समझाया।

2. नागरी लिपि के साथ भारतीय इतिहास में क्या नया युग आरंभ हुआ?

  • आठवीं सदी से नागरी लिपि का उदय भारतीय इतिहास और संस्कृति के नए युग की शुरुआत का प्रतीक है। इस समय से हिंदी और अन्य आधुनिक भारतीय भाषाओं का विकास शुरू हुआ। नागरी लिपि ने सांस्कृतिक और भाषाई एकता में योगदान दिया।

3. देवनागरी लिपि का प्राचीन भारत में क्या महत्व था?

  • देवनागरी लिपि का उपयोग संस्कृत और प्राकृत ग्रंथों के लिए किया जाता था। यह लिपि पूरे भारत में प्रचलित थी और इसे सार्वदेशिक लिपि माना जाता था। तमिल, तेलुगु, और कन्नड़ जैसी भाषाओं के साथ भी इसका संपर्क था।

4. नागरी लिपि का दक्षिण भारत में उपयोग और उसका ऐतिहासिक महत्व क्या है?

  • दक्षिण भारत में नागरी लिपि का उपयोग शासकों के सिक्कों, ताम्रपत्रों, और ग्रंथों के लेखन में हुआ। चोल, राष्ट्रकूट, और पांड्य शासकों ने इसे अपनाया। यह लिपि वैदिक साहित्य को संरक्षित करने और क्षेत्रीय भाषाओं को विकसित करने में सहायक रही।

5. नागरी लिपि के वैश्विक प्रभावों को गुणाकर मुले ने कैसे समझाया?

  • उन्होंने बताया कि देवनागरी लिपि में प्रकाशित ग्रंथ संस्कृत और प्राकृत साहित्य के वैश्विक प्रसार में सहायक बने। यह लिपि न केवल भारत, बल्कि नेपाल और अन्य देशों में भी प्रचलित रही। इसकी सरलता और स्थिरता इसे प्रभावशाली बनाती है।

6. गुर्जर-प्रतीहार और नागरी लिपि का क्या संबंध है?

  • गुर्जर-प्रतीहार शासकों ने नागरी लिपि का व्यापक उपयोग किया। मिहिर भोज की ग्वालियर प्रशस्ति और अन्य शिलालेख नागरी लिपि में लिखे गए। इससे पता चलता है कि नागरी लिपि उत्तर भारत के प्रमुख शासकों के बीच मान्यता प्राप्त थी।

7. विजयनगर साम्राज्य में नागरी लिपि का उपयोग कैसे हुआ?

  • विजयनगर के राजाओं ने नंदिनागरी लिपि का उपयोग किया। वेदों को पहली बार लिपिबद्ध करने के लिए इस लिपि का प्रयोग किया गया। तेलुगु और कन्नड़ के साथ नागरी का उपयोग उनके प्रशासन और साहित्य में दिखाई देता है।

8. देवनागरी लिपि के ऐतिहासिक विकास के बारे में गुणाकर मुले का दृष्टिकोण क्या है?

  • गुणाकर मुले ने देवनागरी लिपि के विकास को ब्राह्मी और सिद्धम से जोड़कर समझाया। उन्होंने बताया कि आठवीं से ग्यारहवीं सदी के बीच यह लिपि पूरे भारत में प्रचलित हो गई। यह न केवल धार्मिक ग्रंथों, बल्कि प्रशासनिक और सांस्कृतिक अभिलेखों के लिए भी उपयोगी रही।

Long Questions (with Answers)


1. गुणाकर मुले ने देवनागरी लिपि के ऐतिहासिक विकास को कैसे प्रस्तुत किया?

  • गुणाकर मुले ने देवनागरी लिपि के विकास को ब्राह्मी और सिद्धम लिपि से जोड़ा। उन्होंने बताया कि यह लिपि आठवीं-नौवीं सदी में प्रचलन में आई और धीरे-धीरे पूरे भारत में फैल गई। दक्षिण भारत में इसे नंदी नागरी कहा गया, जबकि उत्तर भारत में इसे नागरी लिपि कहा गया। इसकी विशेषता शिरोरेखा और स्पष्ट अक्षर हैं, जो इसे अन्य लिपियों से अलग बनाते हैं। यह संस्कृत, हिंदी और मराठी जैसी भाषाओं का माध्यम बनी। उन्होंने इसे भारत के सांस्कृतिक इतिहास का महत्वपूर्ण अंग बताया।

2. देवनागरी लिपि को सार्वदेशिक लिपि क्यों कहा गया है?

  • देवनागरी लिपि आठवीं-ग्यारहवीं सदी के दौरान पूरे भारत में प्रचलित थी। इसका उपयोग उत्तर भारत के गुर्जर प्रतीहार, चौहान और सोलंकी शासकों से लेकर दक्षिण भारत के चोल और विजयनगर साम्राज्य के शासकों तक ने किया। संस्कृत, हिंदी और मराठी जैसी भाषाओं की रचनाएँ इसी लिपि में लिखी गईं। ताम्रपत्रों, सिक्कों, और धार्मिक ग्रंथों में इसका व्यापक उपयोग हुआ। इसकी सरलता और स्पष्टता के कारण यह भारत की सर्वाधिक लोकप्रिय लिपि बनी।

3. दक्षिण भारत में नागरी लिपि के उपयोग का क्या महत्व था?

  • दक्षिण भारत में नागरी लिपि का उपयोग राष्ट्रकूट, चोल, और विजयनगर साम्राज्य के दौरान हुआ। राष्ट्रकूट राजा दंतिदुर्ग के सामांगड़ दानपत्र (754 ईस्वी) को इसका पहला प्रमाण माना जाता है। चोल राजाओं के सिक्कों और ताम्रपत्रों में नागरी लिपि का उल्लेख मिलता है। विजयनगर के राजाओं के शासनकाल में वेदों को पहली बार नागरी लिपि में लिखा गया। यह लिपि दक्षिण भारत की द्रविड़ लिपियों के साथ समानांतर रूप से विकसित हुई।

4. गुर्जर-प्रतीहार वंश के नागरी लिपि में योगदान पर प्रकाश डालें।

  • गुर्जर-प्रतीहार वंश ने नागरी लिपि को बढ़ावा दिया। उनके शासनकाल में नागरी लिपि का उपयोग शिलालेखों और सिक्कों पर हुआ। मिहिर भोज की ग्वालियर प्रशस्ति, जो नागरी लिपि में है, इसका प्रमुख उदाहरण है। प्रतीहारों ने इसे प्रशासनिक और धार्मिक कार्यों के लिए अपनाया। यह लिपि उनके काल में संस्कृत के प्रचार-प्रसार का माध्यम बनी और बाद में इसे हिंदी व अन्य भाषाओं के लेखन के लिए इस्तेमाल किया गया।

5. गुणाकर मुले ने देवनागरी लिपि की विशेषताओं को कैसे प्रस्तुत किया?

  • गुणाकर मुले ने देवनागरी लिपि की शिरोरेखा और स्पष्ट अक्षरों को इसकी पहचान बताया। यह लिपि गुप्तकाल की ब्राह्मी और सिद्धम लिपि से विकसित हुई। इसमें हर अक्षर के ऊपर एक रेखा होती है, जिससे इसे पढ़ना सरल हो जाता है। उन्होंने इसे भारतीय भाषाओं और संस्कृत ग्रंथों के लिए सबसे उपयुक्त लिपि माना। यह न केवल भारत में बल्कि नेपाल जैसे पड़ोसी देशों में भी लोकप्रिय है। इसकी व्यापकता इसे भारतीय संस्कृति का अभिन्न अंग बनाती है।

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