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हिंदी – ठेस Chapter 7 Important Questions Hindi Class 8 Kislay Bihar Board बिहार बोर्ड

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Important Questions For All Chapters – हिंदी Class 8

1. ‘ठेस’ कहानी में किसकी लोकसंस्कृति का वर्णन है?

उत्तर: ‘ठेस’ कहानी में मिथिलांचल की लोकसंस्कृति का प्रभावी वर्णन किया गया है। फणीश्वरनाथ रेणु ने इस कहानी के माध्यम से ग्रामीण जीवन, कारीगरों की स्थिति, और मानवीय संवेदनाओं को चित्रित किया है।

2. गाँव के किसान सिरचन को क्या समझते थे?

उत्तर: गाँव के किसान सिरचन को कामचोर और बेकार मानते थे। वे उसे खेती-बारी के लिए नहीं बुलाते थे क्योंकि उन्हें लगता था कि वह धीरे-धीरे काम करता है और मजदूरी के बदले मुफ्त खाना चाहता है।

3. सिरचन को क्यों बुलाया जाता था, और उसका क्या महत्व था?

उत्तर: सिरचन एक कुशल कारीगर था जो गाँव में मोथी, शीतलपाटी, और चिक बनाने का काम करता था। इन कलात्मक चीजों को बनाने में उसका कोई मुकाबला नहीं था, और लोग विशेष अवसरों के लिए ही उसे बुलाते थे।

4. सिरचन का महत्व कैसे कम हो गया?

उत्तर: सिरचन का महत्व इसलिए कम हो गया क्योंकि गाँव के लोग उसके पारंपरिक काम को बेकाम का काम समझने लगे थे। उसकी कला का महत्व घटने लगा और लोग उसे मुफ्त में काम करने के लिए बुलाने लगे।

5. सिरचन को पान का बीड़ा किसने दिया था?

उत्तर: सिरचन को पान का बीड़ा मानू ने दिया था। मानू ने उसे समझाया कि लोग कई तरह की बातें करेंगे, लेकिन उसे उनकी बातों की चिंता नहीं करनी चाहिए।

6. सिरचन के काम के प्रति समर्पण का क्या प्रमाण मिलता है?

उत्तर: सिरचन अपने काम में अत्यधिक समर्पित था। वह कुशलता और मेहनत से मोथी और चिक बनाता था, और उसका काम देखकर लोग उसकी कारीगरी की प्रशंसा करते थे।

7. सिरचन को मुफ्तखोर और चटोर क्यों कहा जाता था?

उत्तर: सिरचन को मुफ्तखोर और चटोर इसलिए कहा जाता था क्योंकि वह स्वादिष्ट भोजन का शौकीन था। अगर खाने-पीने में कमी होती, तो वह काम अधूरा छोड़ देता था।

8. सिरचन ने काम के बदले क्या चाहा था?

उत्तर: सिरचन ने काम के बदले कभी धन या वस्त्र की माँग नहीं की, बल्कि वह अच्छे भोजन की अपेक्षा रखता था। उसे स्नेह और सम्मान की अधिक आवश्यकता थी।

9. सिरचन की कारीगरी का एक उदाहरण दीजिए।

उत्तर: सिरचन ने मोहर छापवाली धोती के बदले बेहद खूबसूरत चिक तैयार की थी, जिसमें उसने सात रंगों के तारों का प्रयोग किया था। उसकी कारीगरी में बारीकी और सुंदरता झलकती थी।

10. सिरचन ने मानू को क्या दिया और क्यों?

उत्तर: सिरचन ने स्टेशन पर मानू को शीतलपाटी, चिक, और एक जोड़ी आसनी दी। यह उसकी समर्पण और कला के प्रति प्रेम का प्रतीक था, जिससे उसकी महानता प्रकट होती है।

11. सिरचन का काम अधूरा छोड़कर जाने का कारण क्या था?

उत्तर: सिरचन को जब उसके सम्मान में कमी दिखाई दी या अपमानित किया गया, तब वह काम अधूरा छोड़कर चला गया। वह अपने आत्म-सम्मान से कभी समझौता नहीं करता था।

12. कहानी में सिरचन के आत्म-सम्मान की झलक कैसे मिलती है?

उत्तर: कहानी में सिरचन का आत्म-सम्मान तब प्रकट होता है जब वह मँझली भाभी की बातें सुनकर आहत हो जाता है। इसके बावजूद वह अंत में अपने वादे को निभाता है और स्टेशन पर मानू को सामग्री देने पहुँचता है।

13. सिरचन की कौन सी कला गाँव में प्रसिद्ध थी?

उत्तर: सिरचन की मोथी, शीतलपाटी, और चिक बनाने की कला गाँव में प्रसिद्ध थी। उसकी कला इतनी सुंदर थी कि लोग विशेष अवसरों पर उसे बुलाकर उसके हाथों बने सामान की माँग करते थे।

14. सिरचन के कार्य करने की शैली कैसी थी?

उत्तर: सिरचन अपने काम में पूर्ण तन्मयता और समर्पण से लगा रहता था। यदि कोई उसका ध्यान भटकाता, तो वह अपना काम छोड़ देता था, जिससे उसकी आत्म-सम्मान की भावना झलकती है।

15. कहानी के अंत में सिरचन की क्या विशेषता उजागर होती है?

उत्तर: कहानी के अंत में सिरचन की उदारता और कारीगरी की उत्कृष्टता उजागर होती है। उसने बिना किसी लोभ के मानू के लिए खूबसूरत चीजें तैयार कीं, जो उसके सच्चे कलाकार होने का प्रमाण है।

Long Questions with Answers:

1. ‘ठेस’ कहानी में ग्रामीण जीवन और कारीगर की स्थिति का वर्णन कैसे किया गया है?

उत्तर: ‘ठेस’ कहानी में ग्रामीण जीवन का यथार्थ चित्रण किया गया है, जहाँ कारीगरों की स्थिति कठिनाई भरी है। सिरचन एक कुशल कारीगर होते हुए भी गाँव के लोग उसे कामचोर समझते हैं। उसके काम को बेकाम का काम माना जाता है, और उसकी कला का मूल्य घट जाता है। इस कहानी के माध्यम से फणीश्वरनाथ रेणु ने कारीगरों के सम्मान और पारंपरिक कला के महत्व को प्रस्तुत किया है। कारीगर की मेहनत को सम्मान देने की आवश्यकता पर बल दिया गया है।

2. सिरचन को काम अधूरा छोड़ने के लिए क्यों मजबूर होना पड़ा?

उत्तर: सिरचन अपने आत्म-सम्मान और प्रतिष्ठा का सम्मान करता था। जब मँझली भाभी ने उसकी मेहनत का मज़ाक उड़ाया, तो वह आहत हो गया और काम अधूरा छोड़कर चला गया। सिरचन के लिए काम से अधिक महत्वपूर्ण उसका आत्म-सम्मान था। उसे केवल अच्छे भोजन या कपड़े की चाह नहीं थी, बल्कि अपने काम के प्रति सम्मान की उम्मीद थी। इसलिए, अपमानित महसूस करने पर वह काम छोड़ देता है।

3. सिरचन की कारीगरी का वर्णन कीजिए और उसकी विशिष्टता क्या थी?

उत्तर: सिरचन की कारीगरी में मोथी, शीतलपाटी, और चिक जैसी चीजों को बनाने की कला थी। उसकी कारीगरी में बारीकी, सुंदरता, और नवीनता थी। उसने मोहर छापवाली धोती के बदले जो चिक बनाई, उसमें सात रंगों के तारों का प्रयोग किया, जो गाँव में पहले कभी नहीं देखा गया था। उसकी कारीगरी में पारंपरिक कला की झलक और नवीनता का संगम था, जो उसे अन्य कारीगरों से अलग बनाता था।

4. सिरचन के आत्म-सम्मान की भावना का क्या महत्व है?

उत्तर: सिरचन का आत्म-सम्मान उसकी सबसे बड़ी विशेषता थी। वह अपने काम में पूरी मेहनत और समर्पण से लगा रहता था, लेकिन अपमानित होने पर वह काम अधूरा छोड़ने से भी नहीं हिचकता था। सिरचन का आत्म-सम्मान उसे एक सच्चा कलाकार बनाता है, जो सम्मान के बिना काम नहीं कर सकता। यह कहानी आत्म-सम्मान की महत्ता को उजागर करती है, जो हर कारीगर के लिए आवश्यक है।

5. सिरचन के व्यवहार में उदारता और कला-प्रेम की झलक कहाँ मिलती है?

उत्तर: सिरचन के व्यवहार में उदारता और कला-प्रेम की झलक तब मिलती है जब वह स्टेशन पर मानू को शीतलपाटी, चिक, और एक जोड़ी आसनी भेंट करता है। उसने यह सब बिना किसी स्वार्थ के किया, जिससे उसकी महानता और कला के प्रति सच्चा प्रेम प्रकट होता है। इस घटना से सिरचन का उदार और समर्पित स्वभाव उजागर होता है, जो उसे एक महान कलाकार बनाता है।

6. कहानी में मानवीय संवेदनाओं का क्या महत्व है?

उत्तर: ‘ठेस’ कहानी में मानवीय संवेदनाएँ प्रमुखता से उभरती हैं। सिरचन के आत्म-सम्मान, मानू की सहानुभूति, और कारीगरी के प्रति गाँववालों के बदलते रवैये से मानवीय भावनाओं की विविधता सामने आती है। कहानी में कारीगर की संघर्षपूर्ण स्थिति को प्रस्तुत कर संवेदनाओं की गहराई का चित्रण किया गया है। यह कहानी इस बात पर जोर देती है कि सच्ची मानवता और सहानुभूति के बिना समाज का विकास संभव नहीं है।

7. ‘ठेस’ कहानी में रिश्तों की गहराई का वर्णन कैसे किया गया है?

उत्तर: कहानी में सिरचन और मानू के बीच का रिश्ता उनके संवादों में झलकता है। सिरचन मानू के लिए विशेष रूप से सुंदर चिक तैयार करता है, और मानू उसकी कला का सम्मान करती है। कहानी में मानवीय रिश्तों की गहराई का वर्णन सिरचन के समर्पण और मानू की सहानुभूति के माध्यम से किया गया है। यह दर्शाता है कि कारीगरों के प्रति सच्चे सम्मान का भाव उनके काम को उत्कृष्ट बनाता है।

8. सिरचन के कार्य और सम्मान की क्या तुलना की जा सकती है?

उत्तर: सिरचन के कार्य में कुशलता और मेहनत है, लेकिन उसका सम्मान केवल तभी होता है जब लोग उसे अपने स्वार्थ के लिए बुलाते हैं। वह पारंपरिक कला का ज्ञाता होते हुए भी समाज में उसकी कला का मूल्य नहीं समझा जाता। इस कहानी से यह स्पष्ट होता है कि कारीगरों के कार्य को उचित सम्मान देना आवश्यक है। कला और कलाकार के बीच का सम्मान का यह संतुलन कहानी का मुख्य संदेश है।

9. ‘ठेस’ कहानी का शीर्षक सार्थक क्यों है?

उत्तर: कहानी का शीर्षक ‘ठेस’ इसलिए सार्थक है क्योंकि यह कारीगर सिरचन के आत्म-सम्मान को ठेस पहुँचाने की बात करती है। समाज द्वारा कारीगर की मेहनत का अपमान उसकी आत्मा को ठेस पहुँचाता है। यह शीर्षक उसकी संघर्षपूर्ण यात्रा और समाज द्वारा उसके प्रति किए गए व्यवहार को प्रतीकात्मक रूप से प्रस्तुत करता है। इस प्रकार, ‘ठेस’ कहानी का शीर्षक उसकी भावनात्मक पीड़ा को प्रकट करता है।

10. कहानी में आत्म-सम्मान और मेहनत की महत्ता का क्या संदेश मिलता है?

उत्तर: ‘ठेस’ कहानी में आत्म-सम्मान और मेहनत की महत्ता का संदेश प्रमुखता से उभरता है। सिरचन एक मेहनती कारीगर है, जो अपने आत्म-सम्मान के लिए समाज के दबावों के आगे झुकता नहीं। यह कहानी बताती है कि मेहनत का उचित सम्मान मिलना चाहिए और कलाकारों की कला का मूल्य समाज को समझना चाहिए। मेहनत और आत्म-सम्मान की यह भावना हर व्यक्ति के लिए प्रेरणादायक है।

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