भारतीय अर्थव्यवस्था के क्षेत्रक
Short Questions Answers
प्रश्न 1. प्राथमिक क्षेत्रक क्या है?
उत्तर: प्राकृतिक संसाधनों के प्रत्यक्ष उपयोग पर आधारित गतिविधियाँ प्राथमिक क्षेत्रक कहलाती हैं।
प्रश्न 2. तृतीयक क्षेत्रक को किस नाम से भी जाना जाता है?
उत्तर: सेवा क्षेत्रक।
प्रश्न 3. द्वितीयक क्षेत्रक में किस प्रकार की वस्तुएँ बनाई जाती हैं?
उत्तर: विनिर्मित वस्तुएँ।
प्रश्न 4. सकल घरेलू उत्पाद (GDP) किसे कहते हैं?
उत्तर: किसी वर्ष में देश में उत्पादित सभी अंतिम वस्तुओं और सेवाओं का कुल मूल्य।
प्रश्न 5. छिपी हुई बेरोजगारी को क्या कहते हैं?
उत्तर: प्रच्छन्न बेरोजगारी।
प्रश्न 6. कपास की खेती किस क्षेत्रक में आती है?
उत्तर: प्राथमिक क्षेत्रक।
प्रश्न 7. परिवहन और संचार किस क्षेत्रक में आते हैं?
उत्तर: तृतीयक क्षेत्रक।
प्रश्न 8. किस क्षेत्रक का उत्पादन 2013-14 में सबसे अधिक था?
उत्तर: तृतीयक क्षेत्रक।
प्रश्न 9. अंतिम वस्तुओं और सेवाओं की ही गणना क्यों की जाती है?
उत्तर: ताकि एक ही वस्तु का मूल्य बार-बार न गिना जाए।
प्रश्न 10. असंगठित क्षेत्रक में श्रमिकों की मुख्य समस्या क्या है?
उत्तर: संरक्षण और स्थायी रोजगार की कमी।
Long Questions Answers
प्रश्न 1. प्राथमिक, द्वितीयक और तृतीयक क्षेत्रकों में अंतर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
- प्राथमिक क्षेत्रक प्राकृतिक संसाधनों के प्रत्यक्ष उपयोग पर आधारित है जैसे कृषि, पशुपालन।
- द्वितीयक क्षेत्रक में प्राकृतिक उत्पादों को कारखानों में बदलकर विनिर्मित वस्तुएँ बनाई जाती हैं, जैसे कपड़ा, चीनी।
- तृतीयक क्षेत्रक अन्य दोनों क्षेत्रकों को सेवा प्रदान करता है जैसे परिवहन, संचार, बैंक।
प्रश्न 2. तृतीयक क्षेत्रक का महत्व भारत में क्यों बढ़ा है?
उत्तर:
तृतीयक क्षेत्रक का महत्व इसलिए बढ़ा है क्योंकि—
- अस्पताल, विद्यालय, परिवहन, डाक, बैंक जैसी बुनियादी सेवाओं की माँग बढ़ी है।
- कृषि और उद्योग के विकास से व्यापार, भंडारण, परिवहन की आवश्यकता बढ़ी।
- आय बढ़ने पर लोग निजी सेवाओं जैसे पर्यटन, रेस्तरां, निजी अस्पताल का उपयोग करने लगे।
- सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी आधारित सेवाओं का तेजी से विस्तार हुआ।
प्रश्न 3. सकल घरेलू उत्पाद (GDP) की गणना कैसे की जाती है?
उत्तर:
GDP की गणना अंतिम वस्तुओं और सेवाओं के मूल्य से की जाती है। उदाहरण: किसान गेहूँ बेचता है, उससे आटा बनता है और फिर बिस्कुट तैयार होते हैं। केवल बिस्कुट का मूल्य ही अंतिम उत्पाद माना जाएगा, क्योंकि उसमें गेहूँ और आटे का मूल्य पहले से शामिल है।
प्रश्न 4. क्षेत्रकों की परस्पर निर्भरता को उदाहरण सहित समझाइए।
उत्तर:
- यदि किसान गन्ना न बेचें तो चीनी मिल बंद हो जाएगी।
- यदि ट्रांसपोर्टर हड़ताल करें तो शहरी क्षेत्रों में सब्जी व दूध नहीं पहुँच पाएगा।
- उद्योगों को कच्चा माल प्राथमिक क्षेत्र से मिलता है।
इस प्रकार तीनों क्षेत्रक एक-दूसरे पर निर्भर हैं।
प्रश्न 5. भारत में अल्प बेरोजगारी की स्थिति को उदाहरण सहित समझाइए।
उत्तर:
लक्ष्मी नामक किसान के पास दो हेक्टेयर असिंचित भूमि है, जहाँ उसके पाँचों परिवारजन काम करते हैं। जबकि उत्पादन के लिए इतने लोगों की आवश्यकता नहीं है। दो लोग हट भी जाएँ तो उत्पादन प्रभावित नहीं होगा। यह स्थिति अल्प या प्रच्छन्न बेरोजगारी कहलाती है।
प्रश्न 6. विकसित देशों में क्षेत्रकों में किस प्रकार के परिवर्तन देखे गए?
उत्तर:
विकसित देशों के इतिहास में प्रारंभ में प्राथमिक क्षेत्रक सबसे महत्त्वपूर्ण था। बाद में औद्योगिकीकरण के कारण द्वितीयक क्षेत्रक प्रमुख हुआ। फिर धीरे-धीरे सेवा क्षेत्रक का योगदान सबसे अधिक हो गया और अधिकांश लोग सेवा क्षेत्र में नियोजित होने लगे।
प्रश्न 7. भारत में रोजगार और उत्पादन के बीच असमानता क्यों है?
उत्तर:
क्योंकि प्राथमिक क्षेत्र में आधे से अधिक लोग कार्यरत हैं, पर उसका योगदान GDP में बहुत कम है। जबकि तृतीयक क्षेत्रक GDP में अधिक योगदान देता है, पर रोजगार कम देता है। द्वितीयक क्षेत्रक में भी पर्याप्त रोजगार के अवसर नहीं बने।
प्रश्न 8. GDP में वृद्धि के बावजूद बेरोजगारी क्यों बनी रहती है?
उत्तर:
GDP में वृद्धि का अधिकांश भाग तृतीयक क्षेत्रक से आता है, जिसमें उत्पादन बढ़ा है लेकिन रोजगार उतनी मात्रा में नहीं बढ़ा। औद्योगिक क्षेत्र में भी उत्पादन बढ़ा है पर रोजगार सीमित रहा। इसलिए GDP वृद्धि के साथ बेरोजगारी बनी रहती है।
प्रश्न 9. अतिरिक्त रोजगार के सृजन हेतु सरकार क्या उपाय कर सकती है?
उत्तर:
- कृषि में सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराना।
- नए बाँध और नहरों का निर्माण।
- ग्रामीण क्षेत्रों में लघु उद्योगों को बढ़ावा देना।
- सेवा क्षेत्र में सूचना प्रौद्योगिकी व पर्यटन को प्रोत्साहन देना।
इनसे रोजगार के नए अवसर पैदा हो सकते हैं।
प्रश्न 10. भारत में 1973-74 से 2013-14 तक क्षेत्रकों की स्थिति में क्या परिवर्तन हुआ?
उत्तर:
1973-74 में प्राथमिक क्षेत्रक सबसे बड़ा उत्पादक था। 2013-14 में तृतीयक क्षेत्रक सबसे बड़ा उत्पादक बन गया। इस दौरान तृतीयक क्षेत्रक का योगदान सबसे तेजी से बढ़ा, जबकि प्राथमिक क्षेत्रक का हिस्सा घटता गया।
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