मुद्रा और साख
Short Questions Answer
प्र1. मुद्रा को विनिमय का माध्यम क्यों कहा जाता है?
उत्तर: क्योंकि यह वस्तु विनिमय में आवश्यकताओं के दोहरे संयोग की समस्या को समाप्त कर देती है।
प्र2. भारत में करेंसी नोट कौन जारी करता है?
उत्तर: भारतीय रिज़र्व बैंक केंद्रीय सरकार की ओर से करेंसी नोट जारी करता है।
प्र3. माँग जमा को मुद्रा क्यों माना जाता है?
उत्तर: क्योंकि इससे चैक के माध्यम से बिना नकद के भुगतान किया जा सकता है।
प्र4. बैंक अपनी जमा का कितना प्रतिशत नकद रूप में रखते हैं?
उत्तर: लगभग 15 प्रतिशत।
प्र5. कर्ज-जाल किसे कहते हैं?
उत्तर: जब ऋण व्यक्ति को ऐसी स्थिति में धकेल दे कि वह उसे चुका न सके और लगातार फँसता जाए, इसे कर्ज-जाल कहते हैं।
प्र6. समर्थक ऋणाधार क्या होता है?
उत्तर: वह संपत्ति जिसे कर्जदार गारंटी के रूप में गिरवी रखता है जब तक ऋण चुकता न हो।
प्र7. सहकारी समितियाँ ऋण किन उद्देश्यों के लिए देती हैं?
उत्तर: खेती, कृषि व्यापार, मछली पालन, घर बनाने और अन्य खर्चों के लिए।
प्र8. विमुद्रीकरण कब हुआ था?
उत्तर: नवंबर 2016 में 500 और 1000 रुपये के नोट अमान्य घोषित किए गए थे।
प्र9. अनौपचारिक क्षेत्र के ऋणदाता कौन-कौन हैं?
उत्तर: साहूकार, व्यापारी, मालिक, रिश्तेदार और दोस्त।
प्र10. स्वयं सहायता समूह (SHG) किसके लिए विशेष रूप से बनाए जाते हैं?
उत्तर: ग्रामीण गरीब, विशेषकर महिलाओं के लिए।
Long Questions Answer
प्र1. मुद्रा आवश्यकताओं के दोहरे संयोग की समस्या को कैसे हल करती है? उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: वस्तु-विनिमय प्रणाली में दोनों पक्षों की आवश्यकताओं का मेल होना जरूरी था, जिसे दोहरा संयोग कहते हैं। मुद्रा इस समस्या को खत्म कर देती है क्योंकि जूता निर्माता पहले जूते बेचकर मुद्रा ले सकता है और फिर उससे गेहूँ खरीद सकता है। इस तरह मुद्रा विनिमय को आसान बना देती है।
प्र2. माँग जमा को मुद्रा क्यों माना जाता है? चैक द्वारा भुगतान की प्रक्रिया समझाइए।
उत्तर: माँग जमा से व्यक्ति आवश्यकता अनुसार धन निकाल सकता है और चैक द्वारा भुगतान कर सकता है। उदाहरण के तौर पर जूता निर्माता सलीम चमड़ा आपूर्तिकर्ता को चैक देता है, जिसे वह अपने खाते में जमा कर देता है और कुछ दिनों में राशि एक खाते से दूसरे में स्थानांतरित हो जाती है। यह बिना नकद भुगतान के संभव होता है।
प्र3. ऋण सलीम और स्वप्ना की स्थिति में किस प्रकार अलग-अलग प्रभाव डालता है?
उत्तर: सलीम ने ऋण लेकर उत्पादन किया, समय पर ऑर्डर पूरा किया और लाभ कमाया। उसके लिए ऋण सकारात्मक रहा। जबकि स्वप्ना ने फसल उगाने के लिए ऋण लिया लेकिन फसल बर्बाद हो जाने से वह कर्ज़ नहीं चुका पाई और जमीन का हिस्सा बेचना पड़ा। उसके लिए ऋण नकारात्मक साबित हुआ।
प्र4. बैंक किस तरह से जमाकर्ताओं और कर्जदारों के बीच मध्यस्थता करते हैं?
उत्तर: लोग अपनी अतिरिक्त राशि बैंक में जमा करते हैं। बैंक इस जमा राशि का एक हिस्सा नकद रखते हैं और शेष राशि कर्जदारों को ऋण के रूप में देते हैं। इस प्रकार बैंक अतिरिक्त राशि वाले लोगों और जरूरतमंद लोगों के बीच मध्यस्थ का काम करते हैं।
प्र5. ऋण की शर्तों में किन-किन बातों को शामिल किया जाता है? उदाहरण सहित लिखिए।
उत्तर: ऋण की शर्तों में ब्याज दर, समर्थक ऋणाधार, आवश्यक कागजात और भुगतान की शर्तें शामिल होती हैं। जैसे, मेघा ने घर खरीदने के लिए बैंक से ऋण लिया, बैंक ने उससे नौकरी और वेतन का रिकॉर्ड माँगा और घर के कागज ऋणाधार के रूप में रख लिए।
प्र6. औपचारिक और अनौपचारिक ऋण स्रोतों में क्या अंतर है?
उत्तर: औपचारिक स्रोत बैंक और सहकारी समितियाँ हैं जिन पर आर.बी.आई. नजर रखता है और ये सस्ती दरों पर ऋण देते हैं। जबकि अनौपचारिक स्रोत जैसे साहूकार ऊँची ब्याज दर पर ऋण देते हैं और उनकी गतिविधियों पर कोई नियंत्रण नहीं होता।
प्र7. गरीब परिवारों को औपचारिक ऋण क्यों नहीं मिल पाता?
उत्तर: क्योंकि बैंकों से ऋण लेने के लिए ऋणाधार और विशेष कागजात की जरूरत होती है जो गरीबों के पास नहीं होते। इसके विपरीत साहूकार उन्हें व्यक्तिगत रूप से जानते हैं और बिना ऋणाधार के भी कर्ज दे देते हैं।
प्र8. स्वयं सहायता समूह (SHG) किस प्रकार गरीब महिलाओं की मदद करते हैं?
उत्तर: स्वयं सहायता समूह गरीब महिलाओं को संगठित करके उनकी बचत को एकत्रित करते हैं और जरूरत पड़ने पर कर्ज़ देते हैं। समूह स्वयं ऋण की शर्तें तय करता है और समय पर अदायगी सुनिश्चित करता है। इससे महिलाएँ आत्मनिर्भर होती हैं और सामाजिक मुद्दों पर चर्चा का मंच भी मिलता है।
प्र9. ऋण का बोझ (कर्ज-जाल) कैसे बढ़ता है?
उत्तर: जब ब्याज दरें बहुत ऊँची होती हैं और कर्जदार की आय कम होती है, तब वह ऋण चुका नहीं पाता। परिणामस्वरूप पुराना ऋण चुकाने के लिए नया ऋण लेना पड़ता है। इससे ऋण का बोझ बढ़ता जाता है और व्यक्ति कर्ज-जाल में फँस जाता है।
प्र10. भारत में ऋण के औपचारिक स्रोतों को बढ़ाना क्यों आवश्यक है?
उत्तर: क्योंकि वर्तमान में गरीब परिवार अधिकतर अनौपचारिक स्रोतों पर निर्भर हैं जहाँ ब्याज दरें ऊँची हैं। औपचारिक स्रोतों के विस्तार से गरीब परिवारों को सस्ता ऋण मिलेगा, उनकी आय बढ़ेगी और विकास प्रक्रिया में सभी शामिल हो पाएँगे।
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