1. विकास की अवधारणा
- विकास का अर्थ केवल आर्थिक प्रगति (आय) नहीं है, बल्कि जीवन की गुणवत्ता में सुधार भी है।
 - विकास में शामिल हैं –
- आर्थिक प्रगति (आय, रोजगार)
 - सामाजिक प्रगति (शिक्षा, स्वास्थ्य, समानता)
 - राजनीतिक प्रगति (स्वतंत्रता, अधिकार, सुरक्षा)
 
 - अलग-अलग लोगों की परिस्थितियाँ अलग होती हैं, इसलिए उनके विकास के लक्ष्य भी भिन्न होते हैं।
 
2. व्यक्तियों के विकास लक्ष्य
- भूमिहीन मजदूर – काम के अवसर, बेहतर मजदूरी, बच्चों की शिक्षा, सामाजिक समानता।
 - समृद्ध किसान (पंजाब) – फसल का उचित मूल्य, सस्ते व मेहनती मजदूर, उच्च आय, बच्चों की विदेश में पढ़ाई।
 - वर्षा पर निर्भर किसान – सिंचाई सुविधाएँ, स्थिर कृषि उत्पादन।
 - ग्रामीण महिला – समान अधिकार, भेदभाव से मुक्ति।
 - बेरोजगार युवक – रोजगार के अवसर।
 - अमीर परिवार की लड़की – अपने फैसले खुद करने की स्वतंत्रता, शिक्षा का अवसर।
 - आदिवासी – अपनी जमीन और पर्यावरण की सुरक्षा, विस्थापन से बचाव।
 
निष्कर्ष: विकास सबके लिए अलग है और कभी-कभी एक के लिए लाभकारी चीज़ दूसरे के लिए हानिकारक हो सकती है।
3. आय और अन्य लक्ष्य
- अधिकांश लोग आय बढ़ाना चाहते हैं (रोजगार, मजदूरी, उत्पादन का उचित मूल्य)।
 - लेकिन केवल आय पर्याप्त नहीं है।
 - अन्य महत्वपूर्ण लक्ष्य:
- बराबरी का व्यवहार
 - स्वतंत्रता और सुरक्षा
 - सामाजिक सम्मान
 - भेदभाव से मुक्ति
 
 - अभौतिक कारक (जैसे मित्रता, सुरक्षा, सम्मान) जीवन को बेहतर बनाते हैं, जिन्हें मापा नहीं जा सकता।
 
4. राष्ट्रीय विकास
- देश का विकास केवल आर्थिक प्रगति से नहीं, बल्कि न्यायपूर्ण व सामूहिक प्रगति से होता है।
 - विभिन्न लोगों की राष्ट्रीय विकास की धारणाएँ भिन्न हो सकती हैं।
 - सही नीति वही है जो अधिकतम लोगों को लाभ पहुँचाए।
 
5. देशों की तुलना
- विकास की तुलना करने के लिए आय को मुख्य मापदंड माना जाता है।
 - कुल आय – देश के सभी निवासियों की कुल आय।
 - औसत आय (प्रतिव्यक्ति आय) – कुल आय ÷ कुल जनसंख्या।
 - विश्व बैंक का वर्गीकरण (2019 के अनुसार):
- उच्च आय देश – $49,300 से अधिक।
 - निम्न आय देश – $2500 से कम।
 - भारत – मध्य आय वर्ग (लगभग $6700)।
 
 - केवल औसत आय से असमानता नहीं पता चलती।
- उदाहरण: देश ‘क’ और ‘ख’ की औसत आय समान होने पर भी, ‘ख’ में आय असमान रूप से बंटी हुई है।
 
 
6. अन्य मापदंड
- शिशु मृत्यु दर – 1000 जीवित जन्मों में 1 वर्ष से पहले मरने वाले शिशुओं की संख्या।
 - साक्षरता दर – 7 वर्ष या उससे ऊपर के साक्षर लोगों का प्रतिशत।
 - निवल उपस्थिति अनुपात – किसी आयु वर्ग के स्कूल जाने वाले बच्चों का अनुपात।
 - जीवन प्रत्याशा – जन्म के समय औसत जीवन संभावना।
 - मानव विकास सूचकांक (HDI) – आय + शिक्षा + स्वास्थ्य।
 
7. राज्यवार तुलना (हरियाणा, केरल, बिहार)
- हरियाणा – सर्वाधिक प्रति व्यक्ति आय।
 - केरल – शिशु मृत्यु दर कम (7 प्रति 1000), साक्षरता सबसे अधिक (96%), शिक्षा व स्वास्थ्य सुविधाएँ बेहतर।
 - बिहार – आय सबसे कम, शिक्षा और स्वास्थ्य में भी पिछड़ा।
 
निष्कर्ष: अधिक आय का होना हमेशा बेहतर विकास नहीं दर्शाता।
8. सार्वजनिक सुविधाओं का महत्व
- व्यक्तिगत आय से हमेशा सभी आवश्यक वस्तुएँ और सेवाएँ नहीं खरीदी जा सकतीं।
 - स्वास्थ्य, शिक्षा, सुरक्षा जैसी सेवाएँ सामूहिक रूप से उपलब्ध कराना सस्ता और प्रभावी है।
 - उदाहरण –
- सामूहिक सुरक्षा गार्ड की तुलना में सामुदायिक सुरक्षा व्यवस्था।
 - सार्वजनिक शिक्षा व स्वास्थ्य सेवाएँ।
 
 - केरल – बेहतर स्वास्थ्य व शिक्षा सुविधाओं के कारण शिशु मृत्यु दर कम है।
 
9. मानव विकास रिपोर्ट (UNDP)
- देशों की तुलना आय, शिक्षा और स्वास्थ्य के आधार पर।
 - 2019 में:
- श्रीलंका – भारत से बेहतर HDI।
 - भारत – 130वाँ स्थान।
 - नेपाल और बांग्लादेश की आय कम होने पर भी जीवन प्रत्याशा भारत के बराबर या अधिक।
 
 - निष्कर्ष: केवल आय पर्याप्त नहीं, शिक्षा और स्वास्थ्य भी उतने ही महत्वपूर्ण हैं।
 
10. विकास की धारणीयता (Sustainability)
- वर्तमान प्रकार का विकास हमेशा टिकाऊ नहीं है।
 - प्राकृतिक संसाधनों का अति-उपयोग भविष्य के लिए संकट बनाता है।
 - उदाहरण:
- भूमिगत जल का अति-उपयोग – अगले 25 वर्षों में 60% क्षेत्र संकटग्रस्त हो सकता है।
 - कच्चे तेल का सीमित भंडार – केवल 50-70 वर्षों तक।
 
 - सतत विकास – प्राकृतिक संसाधनों का सोच-समझकर उपयोग ताकि भविष्य की पीढ़ियों को भी लाभ मिले।
 

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