वैश्वीकरण और भारतीय अर्थव्यवस्था
1. प्रस्तावना
- आज का विश्व एक-दूसरे से अत्यधिक जुड़ चुका है।
- उपभोक्ताओं के पास अब वस्तुओं और सेवाओं के कई विकल्प हैं।
- भारतीय बाज़ारों में अब देशी ही नहीं, बल्कि विदेशी कंपनियों के उत्पाद भी उपलब्ध हैं।
- दो दशक पहले यह स्थिति नहीं थी – तब वस्तुओं की विविधता बहुत कम थी।
- यह परिवर्तन वैश्वीकरण (Globalization) का परिणाम है।
2. वैश्वीकरण की परिभाषा
- वैश्वीकरण वह प्रक्रिया है जिसमें विभिन्न देशों के बीच वस्तुओं, सेवाओं, निवेश और प्रौद्योगिकी का आदान-प्रदान बढ़ता है।
- इससे विश्व की अर्थव्यवस्थाएँ एक-दूसरे से जुड़ जाती हैं और परस्पर निर्भर हो जाती हैं।
- यह प्रक्रिया विदेश व्यापार (Foreign Trade) और विदेशी निवेश (Foreign Investment) के माध्यम से होती है।
- इस पूरी प्रक्रिया में बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ (MNCs) प्रमुख भूमिका निभाती हैं।
3. बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ (MNCs)
(क) अर्थ :
- वे कंपनियाँ जो एक से अधिक देशों में उत्पादन या व्यापार पर नियंत्रण रखती हैं।
(ख) विशेषताएँ :
- कई देशों में कार्यालय या कारखाने स्थापित करती हैं।
- उन देशों में उत्पादन करती हैं जहाँ –
- सस्ता श्रम उपलब्ध हो,
- संसाधन सस्ते हों,
- बाज़ार पास हों,
- और सरकारी नीतियाँ अनुकूल हों।
- उद्देश्य – कम लागत में अधिक लाभ अर्जित करना।
(ग) उदाहरण :
- फोर्ड मोटर्स (Ford Motors) – अमेरिका की कंपनी जिसने भारत में चेन्नई के पास कार संयंत्र लगाया।
- कारगिल फूड्स (Cargill Foods) – अमेरिकी कंपनी जिसने भारतीय कंपनी “परख फूड्स” को खरीदा।
(घ) बहुराष्ट्रीय कंपनियों के निवेश के तरीके :
- संयुक्त उत्पादन (Joint Production) – स्थानीय कंपनियों के साथ साझेदारी में उत्पादन।
- स्थानीय कंपनियों की खरीद (Buyout) – मौजूदा कंपनी को खरीद लेना और उत्पादन बढ़ाना।
- ठेका उत्पादन (Contract Production) – छोटे उत्पादकों को उत्पादन का ऑर्डर देना (जैसे – वस्त्र, जूते, खेल के सामान)।
4. विदेशी निवेश (Foreign Investment)
- जब कोई विदेशी कंपनी किसी देश में कारखाना, मशीनरी, भवन आदि में पूँजी लगाती है तो इसे विदेशी निवेश कहते हैं।
- निवेश का उद्देश्य – लाभ कमाना।
- भारत में बहुराष्ट्रीय कंपनियों ने कई क्षेत्रों में निवेश किया है जैसे –
- मोटरगाड़ी उद्योग
- खाद्य पदार्थ
- इलेक्ट्रॉनिक सामान
- बैंकिंग व सेवाएँ
5. विदेश व्यापार और बाज़ारों का एकीकरण
(क) विदेश व्यापार का अर्थ :
- यह घरेलू बाजार को अन्य देशों के बाजारों से जोड़ता है।
- उत्पादक अपने माल को अन्य देशों में बेच सकते हैं।
- उपभोक्ताओं को विदेशी वस्तुओं के अधिक विकल्प मिलते हैं।
(ख) उदाहरण :
भारतीय खिलौने बनाम चीनी खिलौने
- चीन के सस्ते व आकर्षक खिलौनों ने भारत के खिलौना उद्योग को पीछे छोड़ दिया।
- इससे उपभोक्ताओं को लाभ हुआ लेकिन भारतीय उत्पादकों को नुकसान पहुँचा।
(ग) निष्कर्ष :
- विदेश व्यापार से देशों के बीच बाज़ारों का एकीकरण (Integration) होता है।
- अब विभिन्न देशों के उत्पादक एक-दूसरे से प्रतिस्पर्धा करने लगे हैं।
6. वैश्वीकरण की प्रक्रिया को बढ़ाने वाले कारक
(1) प्रौद्योगिकी में तीव्र उन्नति
- आधुनिक परिवहन (जहाज, विमान, कंटेनर प्रणाली) से माल सस्ता और जल्दी पहुँचता है।
- सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी (IT) – इंटरनेट, मोबाइल, उपग्रह संचार से दुनिया जुड़ गई है।
- उदाहरण: भारत में कॉल सेंटर या डिजाइनिंग सेवाएँ विदेशी कंपनियों के लिए कार्य करती हैं।
(2) व्यापार और निवेश नीतियों का उदारीकरण (Liberalization)
- 1991 से पहले भारत ने विदेशी व्यापार पर कड़े प्रतिबंध लगाए थे।
- उद्देश्य था देशी उद्योगों को विदेशी प्रतिस्पर्धा से बचाना।
- 1991 के बाद नीतियों में बदलाव हुआ – अब आयात-निर्यात और विदेशी निवेश आसान हो गया।
- सरकार द्वारा अवरोध हटाने की प्रक्रिया को उदारीकरण कहा जाता है।
(3) विश्व व्यापार संगठन (WTO)
- WTO की स्थापना अंतर्राष्ट्रीय व्यापार को उदार (Free Trade) बनाने के लिए की गई।
- यह संगठन देशों के बीच व्यापार के नियम बनाता है।
- लेकिन व्यवहार में विकसित देश अपने किसानों और उद्योगों को सहायता देकर नियमों का उल्लंघन करते हैं।
- विकासशील देशों को व्यापार खोलने के लिए मजबूर किया जाता है।
7. भारत में वैश्वीकरण का प्रभाव
(क) उपभोक्ताओं पर प्रभाव
- उपभोक्ताओं को अब बेहतर गुणवत्ता की वस्तुएँ सस्ते दाम पर मिल रही हैं।
- जीवन स्तर में सुधार हुआ है।
- विकल्पों की विविधता बढ़ी है।
(ख) भारतीय उत्पादकों पर प्रभाव
- बड़ी कंपनियों ने नई तकनीक अपनाई, जिससे उत्पादकता बढ़ी।
- कुछ भारतीय कंपनियाँ स्वयं बहुराष्ट्रीय बन गईं –टाटा मोटर्स, इंफोसिस, रैनबैक्सी, एशियन पेंट्स।
(ग) सरकार द्वारा उठाए गए कदम
- विदेशी निवेश आकर्षित करने के लिए विशेष आर्थिक क्षेत्र (SEZs) बनाए गए।
- वहाँ कर में छूट, बिजली-पानी-परिवहन जैसी सुविधाएँ दी गईं।
- श्रम कानूनों में लचीलापन लाया गया ताकि कंपनियाँ आसानी से श्रमिक रख सकें।
(घ) छोटे उत्पादकों पर प्रभाव
- प्रतिस्पर्धा बढ़ने से लघु उद्योग जैसे खिलौने, बैटरी, डेयरी उत्पाद आदि प्रभावित हुए।
- अनेक इकाइयाँ बंद हुईं और बेरोज़गारी बढ़ी।
(ङ) श्रमिकों पर प्रभाव
- श्रमिकों का रोजगार अस्थायी हो गया।
- मजदूरी कम, कार्य-घंटे लंबे, और सामाजिक सुरक्षा घट गई।
- महिलाएँ रोजगार में आईं, परंतु लाभ और सुरक्षा सीमित रही।
- उदाहरण: सुशीला, जो पहले स्थायी श्रमिक थी, अब अस्थायी कार्य में आधी मजदूरी पाती है।
8. न्यायसंगत वैश्वीकरण (Fair Globalization)
(क) समस्या :
- वैश्वीकरण का लाभ सभी को समान रूप से नहीं मिला।
- शिक्षित और संपन्न वर्ग को फायदा हुआ, जबकि छोटे उत्पादक व श्रमिक प्रभावित हुए।
(ख) समाधान :
- सरकार की भूमिका
- श्रमिक कानूनों का पालन सुनिश्चित करे।
- छोटे उत्पादकों को ऋण, तकनीक और बुनियादी सुविधाएँ दे।
- आवश्यक होने पर व्यापार व निवेश पर सीमाएँ लगाये।
- WTO में सुधार
- विकासशील देश मिलकर “न्यायसंगत नियमों” की माँग करें।
- जनसंगठन और जनता की भागीदारी
- लोग एकजुट होकर समान अवसरों की माँग करें।
- निष्पक्ष व्यापार की दिशा में अभियान चलाएँ।
9. सारांश
- वैश्वीकरण ने देशों के बीच वस्तुओं, सेवाओं और निवेश का प्रवाह बढ़ाया है।
- बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ इसके प्रमुख चालक हैं।
- प्रौद्योगिकी, उदारीकरण और WTO ने इसे गति दी।
- इससे उपभोक्ताओं और बड़ी कंपनियों को लाभ हुआ, पर छोटे उत्पादकों और श्रमिकों को कठिनाइयाँ झेलनी पड़ीं।
- न्यायसंगत वैश्वीकरण का उद्देश्य है – सभी को समान अवसर और लाभ सुनिश्चित करना।
10. मुख्य शब्दावली (Key Terms)
शब्द | अर्थ |
---|---|
वैश्वीकरण | देशों के बीच वस्तुओं, सेवाओं और निवेश का एकीकरण |
बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ | जो एक से अधिक देशों में उत्पादन करती हैं |
विदेशी निवेश | विदेशी कंपनी द्वारा अन्य देश में धन लगाना |
उदारीकरण | व्यापार और निवेश पर सरकारी अवरोध हटाना |
WTO | विश्व व्यापार संगठन – अंतर्राष्ट्रीय व्यापार को प्रोत्साहित करने वाला संगठन |
SEZ | विशेष आर्थिक क्षेत्र – विदेशी निवेश को आकर्षित करने के लिए बनाया गया औद्योगिक क्षेत्र |
न्यायसंगत वैश्वीकरण | ऐसा वैश्वीकरण जिसमें सभी को समान अवसर और लाभ मिले |
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