उपभोक्ता अधिकार
1. परिचय
- यह अध्याय उपभोक्ता अधिकारों की जानकारी देता है।
- इसका उद्देश्य विद्यार्थियों को जागरूक उपभोक्ता बनाना है।
- हमारे देश में बाजार की कार्यविधि में असमानता है, जिससे उपभोक्ताओं का शोषण होता है।
- इसलिए उपभोक्ताओं को अपने अधिकारों की जानकारी होनी चाहिए ताकि वे अन्याय के खिलाफ आवाज उठा सकें।
2. बाजार में उपभोक्ता की भूमिका
- हर व्यक्ति बाजार में दो रूपों में भाग लेता है –
- उत्पादक (Producer) – जो वस्तुएँ और सेवाएँ बनाता है।
- उपभोक्ता (Consumer) – जो वस्तुओं और सेवाओं का उपयोग करता है।
- उपभोक्ता वस्तुओं और सेवाओं को अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए खरीदता है।
- लेकिन उपभोक्ता प्रायः बाजार में कमजोर स्थिति में होता है।
3. बाजार में शोषण के रूप
बाजार में उपभोक्ताओं का शोषण विभिन्न तरीकों से होता है, जैसे –
- गलत तौलना या मापना (जैसे दुकानदार कम वजन देना)।
- मिलावटी या दोषपूर्ण वस्तुएँ बेचना।
- मुद्रित मूल्य (MRP) से अधिक कीमत वसूलना।
- वस्तु या सेवा की गलत जानकारी देना।
- भ्रामक विज्ञापन – उपभोक्ताओं को आकर्षित करने के लिए झूठे दावे करना।
- मजबूरी में वस्तुएँ थोपना – जैसे गैस कनेक्शन के साथ जबरन चूल्हा बेचना।
➡ इन स्थितियों से बचाने के लिए नियमों और कानूनों की आवश्यकता होती है।
4. उपभोक्ता आंदोलन (Consumer Movement)
➤ (i) प्रारंभिक कारण
- बाजार में अनुचित व्यापारिक व्यवहार और उपभोक्ता के प्रति अन्याय के कारण उपभोक्ता आंदोलन शुरू हुआ।
- पहले उपभोक्ताओं को अपने अधिकारों की जानकारी नहीं थी, इसलिए वे चुप रहते थे।
- धीरे-धीरे लोगों ने अपने अधिकारों के लिए आवाज उठाई।
➤ (ii) भारत में विकास
- 1960 के दशक में खाद्य वस्तुओं की कमी, जमाखोरी, कालाबाजारी, और मिलावट के कारण आंदोलन तेज हुआ।
- 1970 के दशक में उपभोक्ता संस्थाओं ने लेख, प्रदर्शनी और जागरूकता अभियानों का आयोजन किया।
- 1985 में संयुक्त राष्ट्र ने उपभोक्ता सुरक्षा के लिए दिशानिर्देश अपनाए।
- 1986 में भारत सरकार ने उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम (COPRA) पारित किया।
➤ (iii) उद्देश्य
- उपभोक्ताओं के अधिकारों की रक्षा करना।
- शोषण से बचाना।
- सरकार और कंपनियों पर जवाबदेही सुनिश्चित करना।
5. उपभोक्ता अधिकार (Consumer Rights)
भारत में उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 (COPRA) के अंतर्गत उपभोक्ताओं को छह प्रमुख अधिकार प्राप्त हैं –
क्रमांक | अधिकार का नाम | विवरण |
---|---|---|
1 | सुरक्षा का अधिकार | उपभोक्ता को खतरनाक वस्तुओं और सेवाओं से सुरक्षित रहने का अधिकार है। उदाहरण: खराब प्रेशर कुकर या दोषपूर्ण दवा। |
2 | सूचना का अधिकार | उपभोक्ता को वस्तु के घटक, मूल्य, निर्माण तिथि, समाप्ति तिथि, निर्माता का नाम आदि की जानकारी मिलनी चाहिए। |
3 | चयन का अधिकार | उपभोक्ता अपनी पसंद की वस्तु या सेवा चुन सकता है। उसे कोई वस्तु जबरन नहीं दी जा सकती। |
4 | निवारण का अधिकार | यदि उपभोक्ता को हानि पहुँची है तो वह मुआवजा (compensation) प्राप्त कर सकता है। |
5 | प्रतिनिधित्व का अधिकार | उपभोक्ता अदालत में अपनी शिकायत दर्ज कर सकता है और न्याय प्राप्त कर सकता है। |
6 | उपभोक्ता शिक्षा का अधिकार | उपभोक्ता को अपने अधिकारों और जिम्मेदारियों के बारे में शिक्षित होना चाहिए। |
6. उपभोक्ता अधिकारों से जुड़े प्रमुख उदाहरण
(1) रेजी मैथ्यू का मामला (सुरक्षा का अधिकार)
- केरल के छात्र रेजी मैथ्यू को अस्पताल में टॉन्सिल निकालने के दौरान बेहोशी की दवा के गलत उपयोग से जीवनभर के लिए अपंगता हो गई।
- राज्य आयोग ने मुआवजा नहीं दिया, पर राष्ट्रीय आयोग ने अस्पताल को दोषी ठहराया और मुआवजा देने का आदेश दिया।➡ यह दर्शाता है कि उपभोक्ता को जीवन और संपत्ति की सुरक्षा का अधिकार है।
(2) अबिरामी का मामला (चयन का अधिकार)
- दिल्ली की छात्रा अबिरामी ने कोचिंग संस्था में दो वर्ष की फीस भरी लेकिन पढ़ाई की गुणवत्ता खराब थी।
- उसने एक वर्ष की फीस वापसी की माँग की, संस्था ने इंकार कर दिया।
- जिला आयोग ने 28,000 रुपये लौटाने और दंड का आदेश दिया।➡ यह “चयन के अधिकार” का उदाहरण है।
(3) प्रकाश का मामला (निवारण का अधिकार)
- श्री प्रकाश ने बेटी की शादी के लिए मनीऑर्डर भेजा जो समय पर नहीं पहुँचा।
- उन्होंने उपभोक्ता आयोग में शिकायत की।
- आयोग ने डाक विभाग को दोषी मानते हुए निर्णय दिया।➡ यह “निवारण के अधिकार” का उदाहरण है।
7. उपभोक्ता न्यायालय (Consumer Courts)
उपभोक्ताओं की शिकायतें सुनने और निवारण के लिए तीन-स्तरीय न्यायिक व्यवस्था स्थापित है —
स्तर | संस्था | दावे की राशि |
---|---|---|
1️⃣ | जिला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग | ₹1 करोड़ तक |
2️⃣ | राज्य उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग | ₹1 करोड़ से ₹10 करोड़ तक |
3️⃣ | राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (NCDRC) | ₹10 करोड़ से अधिक |
- उपभोक्ता किसी भी स्तर पर अपील कर सकता है।
- उपभोक्ता स्वयं या किसी संगठन के माध्यम से शिकायत कर सकता है।
8. सूचना का अधिकार (Right to Information – RTI)
- RTI अधिनियम 2005 नागरिकों को सरकारी विभागों से जानकारी प्राप्त करने का अधिकार देता है।
- इसका उद्देश्य शासन में पारदर्शिता (Transparency) और जवाबदेही (Accountability) लाना है।
उदाहरण:अमृता नामक छात्रा ने इंटरव्यू देने के बाद परिणाम न मिलने पर RTI लगाई। परिणाम घोषित हुआ और उसे नियुक्ति का पत्र मिला।
9. वस्तुओं की गुणवत्ता के प्रतीक (Quality Marks)
- ISI मार्क (BIS) – औद्योगिक वस्तुओं की गुणवत्ता सुनिश्चित करता है।
- AGMARK – कृषि और खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता का प्रमाण।
- HALLMARK – सोने और चाँदी के आभूषणों की शुद्धता दर्शाता है।
- FSSAI / ISO प्रमाणन – खाद्य पदार्थों की सुरक्षा और स्वच्छता सुनिश्चित करता है।
10. उपभोक्ता आंदोलन की उपलब्धियाँ
- 24 दिसंबर को राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस मनाया जाता है।
- 1986 में इसी दिन उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम (COPRA) पारित हुआ था।
- देश में अब लगभग 2000 से अधिक उपभोक्ता संगठन कार्यरत हैं।
- ये संगठन उपभोक्ताओं की सहायता और जागरूकता फैलाने का काम करते हैं।
11. COPRA संशोधन 2019
- अब ऑनलाइन खरीदारी (E-Commerce) को भी कानून के दायरे में शामिल किया गया।
- दोषपूर्ण उत्पाद या सेवा के लिए निर्माता और विक्रेता दोनों जिम्मेदार होंगे।
- अब मध्यस्थता (Mediation) से विवादों का निपटारा किया जा सकता है।
- दंड और जेल की व्यवस्था भी की गई है।
12. जागरूक उपभोक्ता के गुण
एक जागरूक उपभोक्ता वह है जो –
- वस्तु खरीदते समय रसीद मांगता और सुरक्षित रखता है।
- ISI, AGMARK, Hallmark आदि प्रतीकों की जाँच करता है।
- वस्तु की समाप्ति तिथि (Expiry Date) देखता है।
- धोखा मिलने पर शिकायत दर्ज करता है।
- दूसरों को भी जागरूक बनाता है।
13. उपभोक्ता आंदोलन की चुनौतियाँ
- शिकायत प्रक्रिया धीमी और खर्चीली है।
- बहुत से लोग रसीद नहीं लेते, जिससे प्रमाण मिलना कठिन होता है।
- उपभोक्ता संगठनों की संख्या बढ़ी है, लेकिन बहुत कम संगठन प्रभावी रूप से कार्य करते हैं।
- अभी भी ग्रामीण और असंगठित क्षेत्र के लोग अपने अधिकारों से अनजान हैं।
14. उपभोक्ता नारे और संदेश
- “ग्राहक सावधान!”
- “सतर्क उपभोक्ता ही सुरक्षित उपभोक्ता है।”
- “अपने अधिकारों को पहचानो।”
- “उठो, जागो और अपने अधिकार की रक्षा करो।”
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