आओ-इन पर विचार करें (Page 6)
प्रश्न 1: अलग-अलग लोगों की विकास की धारणाएँ अलग क्यों हैं? नीचे दी गई व्याख्याओं में कौन सी अधिक महत्त्वपूर्ण है और क्यों?
(क) क्योंकि लोग भिन्न होते हैं।
(ख) क्योंकि लोगों के जीवन की परिस्थितियाँ भिन्न हैं।
उत्तर: (ख) क्योंकि लोगों के जीवन की परिस्थितियाँ भिन्न हैं।
कारण: लोगों की आकांक्षाएँ और इच्छाएँ उनकी सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक परिस्थितियों पर निर्भर करती हैं, जो विकास की धारणाओं को प्रभावित करती हैं।
प्रश्न 2: क्या निम्न दो कथनों का एक अर्थ है, कारण सहित उत्तर दीजिए।
(क) लोगों के विकास के लक्ष्य भिन्न होते हैं।
(ख) लोगों के विकास के लक्ष्यों में परस्पर विरोध होता है।
उत्तर: नहीं, दोनों कथनों का अर्थ अलग है।
कारण: पहला कथन यह बताता है कि लोगों के विकास के लक्ष्य उनकी व्यक्तिगत जरूरतों और परिस्थितियों के कारण अलग हो सकते हैं। दूसरा कथन यह कहता है कि कुछ लोगों के लक्ष्य परस्पर विरोधी हो सकते हैं, जैसे उद्योगपति और आदिवासी के लक्ष्य।
प्रश्न 3: कुछ ऐसे उदाहरण दीजिए, जहाँ आय के अतिरिक्त अन्य कारक हमारे जीवन के महत्त्वपूर्ण पहलू हैं।
उत्तर: बराबरी का व्यवहार, स्वतंत्रता, सुरक्षा, दूसरों से सम्मान, मित्रता, और सामाजिक भेदभाव से मुक्ति।
प्रश्न 4: ऊपर दिए गए खण्ड के कुछ महत्त्वपूर्ण विचारों को अपनी भाषा में समझाइए।
उत्तर:
- विकास के लक्ष्य लोगों के बीच भिन्न हो सकते हैं।
- एक व्यक्ति के लिए विकास दूसरे के लिए विनाशकारी हो सकता है।
- आय के अलावा अभौतिक चीजें जैसे सम्मान, स्वतंत्रता और सुरक्षा भी महत्त्वपूर्ण हैं।
- सामूहिक सुविधाएँ व्यक्तिगत सुविधाओं से सस्ती और प्रभावी होती हैं।
आओ-इन पर विचार करें (page 7)
निम्नलिखित स्थितियों पर चर्चा कीजिए –
प्रश्न 1: दाहिनी ओर दिए गए चित्र को देखिए। इस प्रकार के क्षेत्र के विकासात्मक लक्ष्य क्या होने चाहिए?
उत्तर: इस प्रकार के क्षेत्र के विकासात्मक लक्ष्य निम्नलिखित होने चाहिए:
- स्वच्छ पेयजल की उपलब्धता।
- बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएँ।
- शिक्षा के अवसर।
- रोजगार के अवसर।
- पर्यावरण संरक्षण और बेहतर आवास सुविधाएँ।
प्रश्न 2: इस अखबार की रिपोर्ट देखिए और दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
(क) किन लोगों को लाभ हुआ और किन को नहीं?
उत्तर:
लाभ हुआ: बहुराष्ट्रीय कंपनी और स्थानीय कंपनी को लाभ हुआ, जिन्होंने जहरीले पदार्थ फेंकने का ठेका लिया था।
लाभ नहीं हुआ: अबिदजान शहर के लोगों को, जिन्हें जी मिचलाना, चमड़ी पर ददोरे पड़ना, बेहोशी, दस्त, और मृत्यु जैसी समस्याएँ हुईं।
(ख) इस देश के विकास के लक्ष्य क्या होने चाहिए?
उत्तर:
- पर्यावरण संरक्षण।
- जहरीले अवशेषों का सुरक्षित निपटान।
- बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएँ।
- लोगों के लिए सुरक्षित जीवन।
प्रश्न 3: आपके गाँव या शहर या स्थानीय इलाके के विकास के लक्ष्य क्या होने चाहिए?
उत्तर: बेहतर शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाएँ, रोजगार के अवसर, स्वच्छ पर्यावरण, और सामाजिक समानता।
अभ्यास
प्रश्न 1. सामान्यतः किसी देश का विकास किस आधार पर निर्धारित किया जा सकता है –
(क) प्रतिव्यक्ति आय
(ख) औसत साक्षरता स्तर
(ग) लोगों की स्वास्थ्य स्थिति
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर: (घ) उपरोक्त सभी।
प्रश्न 2. निम्नलिखित पड़ोसी देशों में से मानव विकास के लिहाज़ से किस देश की स्थिति सबसे अच्छी है?
(क) बांग्लादेश
(ख) श्रीलंका
(ग) नेपाल
(घ) पाकिस्तान
उत्तर: (ख) श्रीलंका।
प्रश्न 3. मान लीजिए कि एक देश में चार परिवार हैं। इन परिवारों की प्रतिव्यक्ति आय 5,000 रुपये हैं। अगर तीन परिवारों की आय क्रमशः 4,000, 7,000 और 3,000 रुपये है, तो चौथे परिवार की आय क्या है?
(क) 7,500 रुपये
(ख) 3,000 रुपये
(ग) 2,000 रुपये
(घ) 6,000 रुपये
उत्तर: (घ) 6,000 रुपये।
प्रश्न 4. विश्व बैंक विभिन्न वर्गों का वर्गीकरण करने के लिये किस प्रमुख मापदण्ड का प्रयोग करता है? इस मापदण्ड की, अगर कोई है तो सीमाएँ क्या है?
उत्तर: विश्व बैंक देशों का वर्गीकरण करने के लिए प्रतिव्यक्ति आय (Per Capita Income) को प्रमुख मापदण्ड मानता है। इसके अनुसार –
- जिन देशों की प्रतिव्यक्ति आय अधिक होती है, उन्हें समृद्ध अथवा विकसित देश माना जाता है।
- जिन देशों की प्रतिव्यक्ति आय कम होती है, उन्हें अविकसित या निम्न आय वाले देश कहा जाता है।
सीमाएँ:
हालाँकि प्रतिव्यक्ति आय एक महत्त्वपूर्ण आर्थिक संकेतक है, लेकिन इसकी कुछ सीमाएँ हैं –
- यह केवल औसत आय बताती है, परंतु यह नहीं बताती कि आय लोगों में बराबर बँटी है या नहीं।
- इससे यह नहीं पता चलता कि देश में शिक्षा, स्वास्थ्य और जीवन स्तर कैसा है।
- यदि किसी देश की औसत आय अधिक है, तो भी संभव है कि अधिकांश लोग गरीब हों और केवल कुछ ही लोग अमीर हों।
- यह सामाजिक असमानता, सुरक्षा, स्वतंत्रता और समान अवसरों जैसी गैर-आर्थिक बातों को नहीं दर्शाती।
इसलिए केवल प्रतिव्यक्ति आय के आधार पर विकास मापना अधूरा है।
प्रश्न 5. विकास मापने का यू.एन.डी.पी. का मापदण्ड किन पहलुओं में विश्व बैंक के मापदण्ड से अलग है?
उत्तर: यू.एन.डी.पी. (संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम) विकास को मापने के लिए केवल आय को ही आधार नहीं मानता, बल्कि वह मानव विकास सूचकांक (HDI) तैयार करता है।
यू.एन.डी.पी. के मापदण्ड:
- स्वास्थ्य – जन्म के समय संभावित आयु (Life Expectancy)।
- शिक्षा – औसत शिक्षा अवधि और साक्षरता स्तर।
- आय – प्रतिव्यक्ति आय (Per Capita Income)।
अंतर:
- विश्व बैंक केवल प्रतिव्यक्ति आय को ही आधार मानता है।
- यू.एन.डी.पी. स्वास्थ्य और शिक्षा को भी साथ लेकर चलता है।
इसलिए यू.एन.डी.पी. का मापदण्ड अधिक व्यापक, संतुलित और वास्तविक है। यह दिखाता है कि किसी देश का विकास केवल आय पर नहीं बल्कि लोगों की जीवन गुणवत्ता पर भी निर्भर करता है।
प्रश्न 6. हम औसत का प्रयोग क्यों करते हैं? इनके प्रयोग करने की क्या कोई सीमाएँ हैं? विकास से जुड़े अपने उदाहरण देकर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
औसत का प्रयोग करने का कारण:
- औसत (Average) का प्रयोग इसलिए किया जाता है ताकि हम विभिन्न देशों, राज्यों या व्यक्तियों की तुलना कर सकें।
- यह हमें एक साधारण और त्वरित माप उपलब्ध कराता है, जिससे पता चलता है कि सामान्यतः लोग कितनी आय प्राप्त कर रहे हैं।
सीमाएँ:
- औसत आय यह नहीं बताती कि आय का बँटवारा समान रूप से हुआ है या नहीं।
- यह अमीर और गरीब के बीच असमानता को छुपा देता है।
- केवल औसत आय से यह नहीं पता चलता कि लोगों को शिक्षा, स्वास्थ्य, समान अवसर और सुरक्षा मिल रही है या नहीं।
उदाहरण:
मान लीजिए किसी देश में पाँच लोगों की आय इस प्रकार है – 500, 500, 500, 500 और 48,000।
- इस देश की औसत आय लगभग 10,000 रुपये होगी।
- लेकिन हकीकत में केवल एक व्यक्ति बहुत अमीर है और बाकी चार लोग बेहद गरीब हैं।
इस प्रकार औसत आय से वास्तविक स्थिति स्पष्ट नहीं होती।
प्रश्न 7. प्रतिव्यक्ति आय कम होने पर भी केरल का मानव विकास क्रमांक हरियाणा से ऊँचा है। इसलिए प्रतिव्यक्ति आय एक उपयोगी मापदण्ड बिल्कुल नहीं है और राज्यों की तुलना के लिए इसका उपयोग नहीं करना चाहिए। क्या आप सहमत हैं? चर्चा कीजिए।
उत्तर:
प्रतिव्यक्ति आय किसी राज्य या देश के औसत आय स्तर को दर्शाती है। यह मापदण्ड उपयोगी तो है, लेकिन यह पूर्णत: विश्वसनीय नहीं है, क्योंकि इससे केवल यह पता चलता है कि औसतन लोग कितना कमा रहे हैं, परंतु यह नहीं बताता कि –
- आय समाज में किस तरह बँटी हुई है।
- लोगों के जीवन स्तर, स्वास्थ्य और शिक्षा की स्थिति क्या है।
उदाहरण के लिए -हरियाणा की प्रतिव्यक्ति आय केरल से अधिक है। इसका मतलब यह हुआ कि औसतन हरियाणा का नागरिक केरल के नागरिक से ज़्यादा कमाता है। लेकिन जब हम अन्य सूचकों को देखते हैं, जैसे –
- शिशु मृत्यु दर – केरल में केवल 7 प्रति 1000 शिशु एक वर्ष की आयु तक पहुँचने से पहले मरते हैं, जबकि हरियाणा में यह संख्या 30 है।
- साक्षरता दर – केरल की साक्षरता दर 96% है, जबकि हरियाणा की केवल 80%।
- विद्यालयी उपस्थिति – केरल में बच्चों की स्कूल उपस्थिति अधिक है।
इन तथ्यों से स्पष्ट है कि प्रतिव्यक्ति आय अधिक होने के बावजूद हरियाणा के लोग शिक्षा और स्वास्थ्य में पीछे हैं।
इसीलिए केरल का मानव विकास क्रमांक हरियाणा से ऊँचा है। मानव विकास की वास्तविक तस्वीर केवल आय से नहीं बल्कि शिक्षा, स्वास्थ्य और जीवन की गुणवत्ता जैसे पहलुओं से मिलती है।
प्रश्न 8. भारत के लोगों द्वारा ऊर्जा के किन स्त्रोतों का प्रयोग किया जाता है? अब से 50 वर्ष पश्चात् क्या संभावनाएँ हो सकती हैं?
उत्तर: वर्तमान में भारत में ऊर्जा के प्रमुख स्रोत हैं – कोयला, पेट्रोलियम, प्राकृतिक गैस, जलविद्युत, बायोमास, पवन ऊर्जा, सौर ऊर्जा और परमाणु ऊर्जा।
50 वर्ष पश्चात्:
- कोयला और पेट्रोलियम जैसे गैर-नवीकरणीय स्रोत कम हो जाएँगे।
- नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत जैसे सौर, पवन और जलविद्युत का अधिक उपयोग होगा।
- ऊर्जा के क्षेत्र में तकनीकी सुधार होंगे और पर्यावरण-अनुकूल स्रोतों पर अधिक निर्भरता होगी।
प्रश्न 9. धारणीयता का विषय विकास के लिए क्यों महत्त्वपूर्ण है?
उत्तर:
- धारणीयता (Sustainability) का अर्थ है – वर्तमान विकास की आवश्यकताओं को पूरा करते हुए भविष्य की पीढ़ियों की आवश्यकताओं से समझौता न करना।
- यदि प्राकृतिक संसाधनों का अति-उपयोग हुआ, तो आने वाली पीढ़ियों के पास संसाधन नहीं बचेंगे।
- भूमिगत जल का अत्यधिक उपयोग, तेल और कोयले का दोहन, वनों की कटाई – ये सब अस्थायी विकास हैं।
- इसलिए विकास तभी सार्थक है जब वह दीर्घकाल तक बना रहे।
प्रश्न 10. धरती के पास सब लोगों की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिये पर्याप्त संसाधन हैं, लेकिन एक भी व्यक्ति के लालच को पूरा करने के लिए पर्याप्त संसाधन नहीं हैं। यह कथन विकास की चर्चा में कैसे प्रासंगिक है? चर्चा कीजिए।
उत्तर:
- यह कथन दिखाता है कि संसाधन सीमित हैं।
- यदि उनका प्रयोग सभी की ज़रूरत के हिसाब से किया जाए तो पर्याप्त है।
- परंतु अगर कोई लालच के कारण अधिक प्रयोग करे तो संसाधनों की कमी हो जाएगी।
- इसलिए संतुलित और न्यायपूर्ण उपयोग ही टिकाऊ विकास है।
प्रश्न 11. पर्यावरण में गिरावट के कुछ ऐसे उदाहरणों की सूची बनाइए जो आपने अपने आसपास देखे हों।
उत्तर:
- जंगलों की कटाई
- वायु प्रदूषण
- नदियों में गंदगी
- भूमिगत जल का अति-उपयोग
- प्लास्टिक कचरे का बढ़ना
प्रश्न 12 . तालिका 1.6 में दी गई प्रत्येक मद के लिए ज्ञात कीजिए कि कौन-सा देश सबसे ऊपर है और कौन-सा सबसे नीचे।
उत्तर:
मापदण्ड | सबसे ऊपर देश | सबसे नीचे देश |
---|---|---|
सकल राष्ट्रीय आय (प्रति व्यक्ति अमेरिकी डॉलर में) | श्रीलंका (12,707) | नेपाल (3,457) |
जन्म के समय संभावित आयु | श्रीलंका (75.5 वर्ष) | पाकिस्तान (66.6 वर्ष) |
विद्यालयी औसत आयु (25 वर्ष या उससे अधिक आयु वर्ग) | श्रीलंका (10.6 वर्ष) | म्यांमार और नेपाल (5.0 वर्ष) |
मानव विकास सूचकांक (HDI) में क्रमांक (2018) | श्रीलंका (73 – सबसे अच्छा) | पाकिस्तान (154- सबसे नीचे) |
प्रश्न 13 . नीचे दी गई तालिका में भारत में व्यस्कों (15-49 वर्ष आयु वाले) जिनका बी.एम.आई. सामान्य से कम है (बी.एम.आई. <18.5kg/m²) का अनुपात दिखाया गया है। यह वर्ष 2015-16 में देश के विभिन्न राज्यों के एक सर्वेक्षण पर आधारित है। तालिका का अध्ययन करके निम्नलिखित प्रश्नों का उत्तर दीजिए।
स्रोत : राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-4, 2015-16, http://rchilps.org.
(क) केरल और मध्य प्रदेश के लोगों के पोषण स्तरों की तुलना कीजिए।
उत्तर: केरल में पुरुषों का अल्पपोषण दर 8.5% और महिलाओं का 10% है, जबकि मध्य प्रदेश में पुरुषों और महिलाओं दोनों का अल्पपोषण दर 28% है। इसलिए, केरल के लोगों का पोषण स्तर मध्य प्रदेश से काफी बेहतर है, जहाँ अल्पपोषण की समस्या अधिक गंभीर है।
(ख) क्या आप अन्दाज लगा सकते हैं कि देश में लगभग हर पाँच में से एक व्यक्ति अल्पपोषित क्यों है, यद्यपि यह तर्क दिया जाता है कि देश में पर्याप्त खाद्य है? अपने शब्दों में विवरण दीजिए।
उत्तर: देश में सभी राज्यों के औसत के अनुसार पुरुषों में 20% और महिलाओं में 23% अल्पपोषित हैं, जो लगभग हर पाँच में से एक व्यक्ति को दर्शाता है। पर्याप्त खाद्य होने के बावजूद, इसका कारण खाद्य वितरण में असमानता, गरीबी के कारण पहुँच की कमी, जागरूकता की कमी और सामाजिक-आर्थिक असमानताएँ हैं, जिससे खाद्य पदार्थों का लाभ सभी तक नहीं पहुँच पाता।
Leave a Reply