उपभोक्ता अधिकार
अभ्यास
प्रश्न 1. बाज़ार में नियमों तथा विनियमों की आवश्यकता क्यों पड़ती है? कुछ उदाहरणों के द्वारा समझाएँ।
उत्तर: बाज़ार में उपभोक्ता अक्सर कमजोर स्थिति में होता है, इसलिए उसके संरक्षण के लिए नियमों और विनियमों की आवश्यकता होती है।
कई व्यापारी अनुचित व्यापार करते हैं, जैसे—कम वजन तौलना, छिपे हुए शुल्क जोड़ना या मिलावटी वस्तुएँ बेचना।
इसी कारण उपभोक्ताओं की सुरक्षा और न्याय सुनिश्चित करने के लिए कानून बनाए गए हैं।
उदाहरण के लिए—मिलावटी खाद्य पदार्थों, गलत दवाइयों और तंबाकू उत्पादों की बिक्री पर रोक लगाने के लिए नियम जरूरी हैं।
प्रश्न 2. भारत में उपभोक्ता आंदोलन की शुरुआत किन कारणों से हुई? इसके विकास के बारे में पता लगाएँ।
उत्तर: भारत में उपभोक्ता आंदोलन की शुरुआत 1960 के दशक में हुई, जब जमाखोरी, कालाबाजारी और खाद्य पदार्थों में मिलावट जैसी समस्याएँ बढ़ गईं।
विक्रेताओं के अनुचित व्यवहार से उपभोक्ताओं में असंतोष फैल गया।
1970 के दशक में उपभोक्ता संस्थाओं ने लेखन, प्रदर्शनी और निगरानी दल बनाकर आंदोलन को संगठित किया।
1986 में उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम (COPRA) लागू हुआ, जिसने आंदोलन को कानूनी अधिकार दिए।
अब यह आंदोलन अंतरराष्ट्रीय स्तर तक “उपभोक्ता इंटरनेशनल” जैसी संस्थाओं से जुड़ चुका है।
प्रश्न 3. दो उदाहरण देकर उपभोक्ता जागरूकता की जरूरत का वर्णन करें।
उत्तर:
(क) रेजी मेथ्यू का उदाहरण: अस्पताल की लापरवाही के कारण रेजी जीवनभर अपंग हो गया। यह दिखाता है कि उपभोक्ताओं को सेवा की गुणवत्ता और सुरक्षा के प्रति जागरूक रहना चाहिए।
(ख) अबिरामी का उदाहरण: खराब शिक्षा देने वाली कोचिंग संस्था ने फीस लौटाने से मना किया, लेकिन अबिरामी ने उपभोक्ता आयोग में मुकदमा जीतकर न्याय पाया।
इन घटनाओं से स्पष्ट होता है कि जागरूक उपभोक्ता अपने अधिकारों की रक्षा कर सकता है।
प्रश्न 4. कुछ ऐसे कारकों की चर्चा करें, जिनसे उपभोक्ताओं का शोषण होता है।
उत्तर:
उपभोक्ताओं का शोषण कई तरीकों से होता है—
- कम वजन या मिलावटी वस्तुएँ बेचना।
- छिपे हुए शुल्क जोड़ना या गलत मूल्य वसूलना।
- भ्रामक विज्ञापन देना।
- दोषपूर्ण वस्तुएँ या खराब सेवाएँ देना।
- उत्पाद की जानकारी जैसे समाप्ति तिथि या निर्माता का नाम न लिखना।
इन कारणों से उपभोक्ताओं को आर्थिक, सामाजिक और स्वास्थ्य संबंधी नुकसान होता है।
प्रश्न 5. उपभोक्ता सुरक्षा अधिनियम, 1986 के निर्माण की जरूरत क्यों पड़ी?
उत्तर: लंबे समय तक उपभोक्ताओं को शोषण से बचाने के लिए कोई कानूनी व्यवस्था नहीं थी।
उपभोक्ता आंदोलन के बढ़ने के बाद 1986 में भारत सरकार ने उपभोक्ता सुरक्षा अधिनियम (COPRA) लागू किया।
इस अधिनियम का उद्देश्य उपभोक्ताओं को अधिकार देना है—जैसे सुरक्षा का अधिकार, सूचना का अधिकार, चयन का अधिकार और निवारण का अधिकार।
इससे उपभोक्ताओं के लिए जिला, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर आयोग स्थापित किए गए, जहाँ वे न्याय प्राप्त कर सकते हैं।
प्रश्न 6. अपने क्षेत्र के बाजार में जाने पर उपभोक्ता के रूप में अपने कुछ कर्त्तव्यों का वर्णन करें।
उत्तर:
उपभोक्ता के रूप में हमारे कुछ प्रमुख कर्त्तव्य हैं—
- वस्तु या सेवा खरीदते समय उसकी गुणवत्ता, मात्रा, समाप्ति तिथि और मूल्य की जाँच करना।
- प्रत्येक खरीद पर रसीद लेना और उसे सुरक्षित रखना।
- आई.एस.आई., एगमार्क या हॉलमार्क जैसे मानक चिह्नों को देखना।
- दोषपूर्ण वस्तु मिलने पर उचित स्थान पर शिकायत करना।
- अनुचित व्यापारिक व्यवहार का विरोध करना और जागरूक रहना।
इन कर्त्तव्यों का पालन करके हम न केवल खुद सुरक्षित रहते हैं बल्कि समाज में जागरूकता भी फैलाते हैं।
प्रश्न 7. मान लीजिए, आप शहद की एक बोतल और बिस्किट का एक पैकेट खरीदते हैं। खरीदते समय आप कौन-सा लोगो या शब्द चिह्न देखेंगे और क्यों?
उत्तर: शहद की बोतल और बिस्किट खरीदते समय मैं “एगमार्क” और “आई.एस.आई.” जैसे प्रमाण चिह्न देखूँगा।
एगमार्क खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता को प्रमाणित करता है, जबकि आई.एस.आई. चिह्न उत्पाद की मानक गुणवत्ता और सुरक्षा को दर्शाता है।
इन लोगो को देखकर यह सुनिश्चित किया जा सकता है कि वस्तु सुरक्षित, शुद्ध और सरकार द्वारा स्वीकृत मानकों के अनुरूप है।
प्रश्न 8. भारत में उपभोक्ताओं को समर्थ बनाने के लिए सरकार द्वारा किन कानूनी मानदंडों को लागू करना चाहिए?
उत्तर:
भारत सरकार ने उपभोक्ताओं को समर्थ बनाने के लिए कई कानूनी मानदंड लागू किए हैं—
- उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम (COPRA) 1986 एवं संशोधित 2019: उपभोक्ता को सुरक्षा, सूचना, चयन, निवारण और प्रतिनिधित्व का अधिकार प्रदान करता है।
- आर.टी.आई. अधिनियम 2005: उपभोक्ता को सरकारी कार्यों की जानकारी पाने का अधिकार देता है।
- मानकीकरण संस्थाएँ: जैसे—भारतीय मानक ब्यूरो (BIS), एगमार्क और हॉलमार्क, जो वस्तुओं की गुणवत्ता सुनिश्चित करते हैं।
इन मानदंडों से उपभोक्ताओं को न्याय, सुरक्षा और पारदर्शिता प्राप्त होती है।
प्रश्न 9. उपभोक्ताओं के कुछ अधिकारों को बताएँ और प्रत्येक अधिकार पर कुछ पंक्तियाँ लिखें।
उत्तर:
उपभोक्ता सुरक्षा अधिनियम, 1986 के अंतर्गत उपभोक्ताओं को निम्नलिखित अधिकार प्राप्त हैं—
- सुरक्षा का अधिकार: उपभोक्ता को ऐसी वस्तुएँ और सेवाएँ प्राप्त करने का अधिकार है जो उसके जीवन और संपत्ति के लिए सुरक्षित हों।
- सूचना का अधिकार: उपभोक्ता को वस्तु के मूल्य, निर्माण तिथि, अवयव, समाप्ति तिथि आदि की जानकारी मिलनी चाहिए।
- चयन का अधिकार: उपभोक्ता अपनी इच्छा से किसी भी वस्तु या सेवा का चयन कर सकता है।
- निवारण का अधिकार: उपभोक्ता को क्षति या शोषण की स्थिति में मुआवजा पाने का अधिकार है।
- प्रतिनिधित्व का अधिकार: उपभोक्ता आयोगों में अपनी शिकायत दर्ज कर न्याय पाने का अधिकार रखता है।
- उपभोक्ता शिक्षा का अधिकार: उपभोक्ताओं को अपने अधिकारों और कर्त्तव्यों की जानकारी दी जानी चाहिए।
प्रश्न 10. उपभोक्ता अपनी एकजुटता का प्रदर्शन कैसे कर सकते हैं?
उत्तर:
उपभोक्ता अपनी एकजुटता का प्रदर्शन निम्नलिखित तरीकों से कर सकते हैं—
- उपभोक्ता क्लबों और संस्थाओं का निर्माण करके सामूहिक रूप से कार्य करना।
- अनुचित व्यापारिक गतिविधियों के खिलाफ शिकायत दर्ज कराना।
- उपभोक्ता दिवस (24 दिसंबर) पर जागरूकता अभियान चलाना।
- उपभोक्ता अदालतों और परिषदों में मिलकर न्याय की माँग करना।
एकजुट होकर उपभोक्ता अपने अधिकारों की रक्षा अधिक प्रभावी ढंग से कर सकते हैं।
प्रश्न 11. भारत में उपभोक्ता आंदोलन की प्रगति की समीक्षा करें।
उत्तर: भारत में उपभोक्ता आंदोलन की शुरुआत 1960 के दशक में जमाखोरी, कालाबाजारी और मिलावट के विरोध में हुई।
1986 में उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम (COPRA) लागू हुआ, जिसने आंदोलन को कानूनी शक्ति दी।
अब देश में लगभग 2000 उपभोक्ता संगठन कार्यरत हैं, परंतु केवल 50–60 ही सक्रिय और मान्यता प्राप्त हैं।
हालाँकि आयोगों की प्रक्रिया कुछ जटिल और समय लेने वाली है, फिर भी 2019 के संशोधन के बाद ऑनलाइन शिकायत और मध्यस्थता की व्यवस्था की गई है।
उपभोक्ता आंदोलन की प्रगति धीमी है, परंतु जागरूकता बढ़ रही है और उपभोक्ता अब अपने अधिकारों के प्रति अधिक सचेत हो रहे हैं।
प्रश्न 12. निम्नलिखित को सुमेलित करें –
उत्तर:
क्रमांक | विवरण | सुमेलित उत्तर |
---|---|---|
(1) | एक उत्पाद के घटकों का विवरण | (ङ) सूचना का अधिकार |
(2) | एगमार्क | (ग) अनाजों और खाद्य तेल का प्रमाण |
(3) | स्कूटर में खराब इंजन के कारण हुई दुर्घटना | (क) सुरक्षा का अधिकार |
(4) | जिला उपभोक्ता आयोग | (ख) उपभोक्ता मामलों में संबंध |
(5) | फूड फोर्टिफिकेशन | (छ) खाद्य पदार्थ में मुख्य पोषक तत्वों को मिलाना |
(6) | उपभोक्ता इंटरनेशनल | (घ) उपभोक्ता कल्याण संगठनों की अंतर्राष्ट्रीय संस्था |
(7) | भारतीय मानक ब्यूरो | (च) वस्तुओं और सेवाओं के लिए मानक |
प्रश्न 13. सही या गलत बताएँ:
(क) कोपरा केवल सामानों पर लागू होता है।
उत्तर: गलत — कोपरा (COPRA) वस्तुओं और सेवाओं दोनों पर लागू होता है।
(ख) भारत विश्व के उन देशों में से एक है, जिसके पास उपभोक्ताओं की समस्याओं के निवारण के लिए विशिष्ट प्राधिकारण हैं।
उत्तर: सही — भारत में जिला, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग स्थापित हैं।
(ग) जब उपभोक्ता को ऐसा लगे कि उसका शोषण हुआ है, तो उसे जिला उपभोक्ता आयोग में निश्चित रूप से मुकदमा दायर करना चाहिए।
उत्तर: सही — उपभोक्ता को शोषण या नुकसान की स्थिति में आयोग में शिकायत दर्ज करनी चाहिए।
(घ) जब अधिक मूल्य का नुकसान हो, तभी उपभोक्ता आयोग में जाना लाभप्रद होता है।
उत्तर: गलत — उपभोक्ता किसी भी प्रकार के शोषण या क्षति पर आयोग में जा सकता है, चाहे नुकसान छोटा ही क्यों न हो।
(ड) हॉलमार्क, आभूषणों की गुणवत्ता बनाए रखनेवाला प्रमाण है।
उत्तर: सही — हॉलमार्क सोने और चाँदी के आभूषणों की शुद्धता और गुणवत्ता का प्रमाण चिह्न है।
(च) उपभोक्ता समस्याओं के निवारण की प्रक्रिया अत्यंत सरल और शीघ्र होती है।
उत्तर: गलत — दस्तावेज़ के अनुसार, यह प्रक्रिया कई बार जटिल, खर्चीली और समय लेने वाली होती है।
(छ) उपभोक्ता को मुआवजा पाने का अधिकार है, जो क्षति की मात्रा पर निर्भर करती है।
उत्तर: सही — उपभोक्ता को हुए नुकसान के अनुसार मुआवजा पाने का अधिकार है।
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