1. भारत में कृषि का महत्व
1.भारत कृषि प्रधान देश है।
 2.लगभग दो-तिहाई जनसंख्या कृषि पर निर्भर है।
 3.कृषि से हमें –
- खाद्यान्न (चावल, गेहूँ, मक्का, ज्वार, बाजरा आदि)
 - कच्चा माल (कपास, जूट, गन्ना, रबड़)
 - निर्यात योग्य वस्तुएँ (चाय, कॉफी, मसाले) प्राप्त होते हैं।
 
4.कृषि प्राथमिक क्रिया है और हमारे जीवन व उद्योग का आधार है।
2. भारत में कृषि के प्रकार
1. प्रारंभिक जीविका निर्वाह कृषि
1.भूमि के छोटे टुकड़ों पर की जाती है।
 2.आदिम औजार – लकड़ी का हल, डाओ, खुदाई की छड़ी आदि का प्रयोग।
 3.’कर्तन-दहन प्रणाली (Slash and Burn)‘ या ‘झूम खेती’।
 4.उर्वरता कम होने पर भूमि बदल दी जाती है।
 5.उत्पादकता कम।
 6.भारत में नाम:
- पूर्वोत्तर राज्यों में – झूम
 - आंध्र प्रदेश – पोडु
 - बस्तर – दीपा
 - पश्चिम घाट – कुमारी
 - राजस्थान – वालरे/वाल्टरे
 - अन्य क्षेत्र – दहिया, कुरुवा, खिल आदि।
 
2. गहन जीविका कृषि
- अधिक जनसंख्या वाले क्षेत्रों में।
 - अधिक श्रम व खाद-सिंचाई का प्रयोग।
 - भूमि छोटी और खंडित होती है (पीढ़ी दर पीढ़ी बँटने के कारण)।
 - लक्ष्य – कम भूमि से अधिक उत्पादन।
 
3. वाणिज्यिक कृषि
- उद्देश्य – बाजार के लिए उत्पादन।
 - आधुनिक साधनों का प्रयोग (HYV बीज, उर्वरक, कीटनाशक)।
 - फसलें एक राज्य में वाणिज्यिक, दूसरे में जीविका फसल हो सकती हैं।
 - जैसे: चावल पंजाब/हरियाणा में वाणिज्यिक, परंतु ओडिशा में जीविका।
 
4. रोपण कृषि
- बड़े क्षेत्र में केवल एक फसल।
 - पूँजी व श्रमिकों की अधिक आवश्यकता।
 - उत्पादन उद्योग में कच्चे माल के रूप में प्रयोग।
 - मुख्य रोपण फसलें – चाय, कॉफी, रबड़, गन्ना, केला।
 
3. भारत की फसल ऋतुएँ (शस्य प्रारूप)
1.रबी (सर्दी की फसल)
- बोआई: अक्तूबर-दिसंबर
 - कटाई: अप्रैल-जून
 - प्रमुख फसलें: गेहूँ, जौ, चना, सरसों
 - मुख्य क्षेत्र: पंजाब, हरियाणा, हिमाचल, जम्मू-कश्मीर, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश
 
2.खरीफ (बरसात की फसल)
- बोआई: जून-जुलाई (मानसून के साथ)
 - कटाई: सितंबर-अक्तूबर
 - प्रमुख फसलें: चावल, मक्का, ज्वार, बाजरा, तूर (अरहर), मूँग, उड़द, कपास, जूट, मूँगफली
 - क्षेत्र: असम, पश्चिम बंगाल, बिहार, ओडिशा, आंध्र, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, पंजाब, हरियाणा
 
3.जायद (ग्रीष्मकालीन फसल)
- बोआई: रबी और खरीफ के बीच
 - प्रमुख फसलें: तरबूज, खरबूजा, खीरा, सब्जियाँ, चारा
 - गन्ना – सालभर तैयार होता है (लगभग 1 वर्ष)।
 
4. भारत की प्रमुख फसलें
(1) खाद्य फसलें
1.चावल (Rice)
- खरीफ फसल।
 - आवश्यक शर्तें: >25°C तापमान, >100 सेमी वर्षा।
 - क्षेत्र: असम, बंगाल, ओडिशा, आंध्र, तमिलनाडु, केरल, महाराष्ट्र (कोंकण), उत्तर प्रदेश, बिहार।
 - पंजाब व हरियाणा में सिंचाई से भी उगाई जाती है।
 - भारत, चीन के बाद दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक।
 
2.गेहूँ (Wheat)
- रबी फसल।
 - आवश्यक शर्तें: ठंडी जलवायु, 50-75 सेमी वर्षा, पकने पर धूप।
 - क्षेत्र: पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार, राजस्थान।
 
3.मोटे अनाज (Millets)
- ज्वार: महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्र, मध्य प्रदेश।
 - बाजरा: राजस्थान, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, गुजरात, महाराष्ट्र।
 - रागी: कर्नाटक, हिमाचल, उत्तराखंड, सिक्किम, झारखंड।
 - पोषक तत्वों से भरपूर।
 
4.मक्का (Maize)
- खरीफ फसल (कभी-कभी रबी में भी)।
 - क्षेत्र: कर्नाटक, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, बिहार, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना।
 
5.दालें (Pulses)
- प्रमुख: अरहर, उड़द, मूँग, मसूर, चना, मटर।
 - शुष्क परिस्थितियों में भी उगती हैं।
 - मिट्टी में नाइट्रोजन जोड़ती हैं।
 - क्षेत्र: मध्य प्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, कर्नाटक।
 
(2) अन्य खाद्य फसलें
1.गन्ना (Sugarcane)
- उष्णकटिबंधीय फसल।
 - आवश्यक शर्तें: 21°C-27°C, 75-100 सेमी वर्षा।
 - क्षेत्र: उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडु, आंध्र, बिहार, पंजाब, हरियाणा।
 - भारत, ब्राजील के बाद दूसरा उत्पादक।
 
2.तिलहन (Oilseeds)
- मूँगफली (मुख्य – गुजरात, राजस्थान, तमिलनाडु)।
 - सरसों, सोयाबीन, सूरजमुखी, नारियल, तिल, अरंडी, अलसी।
 - खाद्य तेल, साबुन, सौंदर्य प्रसाधन उद्योग में उपयोग।
 
(3) पेय फसलें
1.चाय (Tea)
- उष्णकटिबंधीय फसल, ढलान वाली भूमि चाहिए।
 - क्षेत्र: असम, दार्जिलिंग, जलपाईगुड़ी (प. बंगाल), तमिलनाडु, केरल।
 - भारत विश्व में चीन के बाद दूसरा उत्पादक।
 
2.कॉफी (Coffee)
- अरेबिका किस्म (सबसे उत्तम)।
 - क्षेत्र: कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु (नीलगिरि पहाड़ियाँ)।
 
(4) बागवानी फसलें
- आम (उत्तर प्रदेश, आंध्र, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल)।
 - संतरा (नागपुर, मेघालय)।
 - केला (केरल, तमिलनाडु, महाराष्ट्र)।
 - लीची (बिहार, उत्तर प्रदेश)।
 - अंगूर (आंध्र, महाराष्ट्र)।
 - सेब, नाशपाती, अखरोट (हिमाचल, जम्मू-कश्मीर)।
 - सब्ज़ियाँ – आलू, प्याज, फूलगोभी, टमाटर, बैंगन आदि।
 
(5) अखाद्य फसलें
1.रबड़ (Rubber)
- भूमध्यरेखीय फसल।
 - शर्तें: >200 सेमी वर्षा, >25°C तापमान।
 - क्षेत्र: केरल, तमिलनाडु, कर्नाटक, अंडमान-निकोबार, मेघालय।
 
2.रेशेदार फसलें
- कपास: महाराष्ट्र, गुजरात, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, आंध्र, तमिलनाडु।
 - जूट: पश्चिम बंगाल, बिहार, असम, ओडिशा, मेघालय।
 - सन, रेशम: रेशम पालन (Sericulture) से प्राप्त।
 
5. कृषि सुधार
- स्वतंत्रता के बाद सुधार: चकबंदी, जमींदारी उन्मूलन, सहकारिता।
 - हरित क्रांति – HYV बीज, उर्वरक, सिंचाई।
 - श्वेत क्रांति (ऑपरेशन फ्लड) – दूध उत्पादन।
 - बीमा योजनाएँ – फसल बीमा, किसान क्रेडिट कार्ड, व्यक्तिगत दुर्घटना बीमा योजना।
 - बैंक व सहकारी संस्थाओं से सस्ता ऋण।
 - MSP (न्यूनतम समर्थन मूल्य) की घोषणा।
 - रेडियो/टीवी पर कृषि संबंधी कार्यक्रम।
 
6. भूदान-ग्रामदान आंदोलन
- विनोबा भावे ने भूमि वितरण का आंदोलन चलाया।
 - भूमिहीनों को ज़मीन दान – भूदान।
 - जब पूरा गाँव दान हुआ – ग्रामदान।
 - इसे “रक्तहीन क्रांति” कहा गया।
 

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