1.खनिजों का महत्व
- हमारे जीवन की लगभग हर वस्तु खनिजों से बनी है – घर, वाहन, मशीनें, औज़ार, बिजली के उपकरण।
- उद्योगों और ऊर्जा का आधार खनिज हैं।
- भोजन, औषधि और सजावटी वस्तुओं में भी खनिज मौजूद होते हैं।
- खनिजों के बिना आधुनिक जीवन की कल्पना असंभव है।
2. खनिज क्या हैं?
- खनिज प्राकृतिक रूप से पाई जाने वाली ठोस वस्तुएँ हैं।
- इनकी संरचना निश्चित होती है और रासायनिक संघटन समान होता है।
- कुछ कठोर होते हैं (हीरा), कुछ नरम (चूना पत्थर)।
- इनकी विविधता निर्माण के समय की भौगोलिक-रासायनिक परिस्थितियों पर निर्भर है।
3. खनिजों का वर्गीकरण
- लौह धातु खनिज – लौह अयस्क, मैंगनीज, निकल।
- अलौह धातु खनिज – ताँबा, सीसा, जस्ता, बॉक्साइट।
- बहुमूल्य धातु खनिज – सोना, चाँदी, प्लेटिनम।
- ऊर्जा खनिज – कोयला, पेट्रोलियम, प्राकृतिक गैस।
4. खनिजों की प्राप्ति
- आग्नेय/कायांतरित चट्टानों की दरारों में – ताँबा, जस्ता, सीसा।
- अवसादी परतों में – कोयला, लौह अयस्क, जिप्सम।
- अपक्षयित चट्टानों से – बॉक्साइट।
- जलोढ़ निक्षेप (प्लेसर डिपॉज़िट) – सोना, चाँदी, टिन।
- समुद्री जल से – नमक, मैग्नीशियम, ब्रोमाइन।
5. भारत के प्रमुख खनिज
1. लौह अयस्क (Iron Ore)
1.औद्योगिक विकास की रीढ़।
2.प्रकार:
- मैग्नेटाइट (70% लोहा, चुंबकीय)
- हेमेटाइट (50-60% लोहा, व्यापक उपयोग)
3.क्षेत्र:
- ओडिशा (मयूरभंज, केंदुझर), झारखंड (सिंहभूम)
- छत्तीसगढ़ (दुर्ग, बस्तर – बेलाडिला)
- कर्नाटक (कुद्रेमुख, बेल्लारी)
- गोवा, महाराष्ट्र (मरमगांव बंदरगाह से निर्यात)
2. मैंगनीज
- उपयोग: इस्पात निर्माण, ब्लीचिंग पाउडर, कीटनाशक, पेंट।
- प्रमुख क्षेत्र: ओडिशा, कर्नाटक, महाराष्ट्र।
3. ताँबा
- उपयोग: विद्युत तार, इलेक्ट्रॉनिक्स, रसायन।
- क्षेत्र: बालाघाट (म. प्र.), खेतड़ी (राज.), सिंहभूम (झारखंड)।
4. बॉक्साइट
- एल्यूमिनियम का प्रमुख अयस्क।
- गुण: हल्का, मजबूत, अच्छा चालक।
- क्षेत्र: ओडिशा (कोरापुट – पंचपतमाली), मध्य प्रदेश (अमरकंटक), छत्तीसगढ़ (मैकाल), महाराष्ट्र, झारखंड।
5. अभ्रक
- पतली परतों वाला खनिज, अच्छा सुचालक।
- उपयोग: इलेक्ट्रॉनिक व विद्युत उद्योग।
- क्षेत्र: झारखंड (कोडरमा), आंध्रप्रदेश (नेल्लोर), राजस्थान (अजमेर)।
6. चूना पत्थर
- सीमेंट उद्योग व लौह प्रगलन में प्रयोग।
- अवसादी चट्टानों में पाया जाता है।
6. खनन और पर्यावरण
- समस्याएँ: खनिकों को फेफड़ों की बीमारी, दुर्घटनाएँ, आग, बाढ़।
- पर्यावरणीय प्रभाव: भूमि क्षरण, जल प्रदूषण, धूल व धुआँ।
7. खनिज संरक्षण
1.खनिज सीमित व अनवीकरणीय हैं।
2.संरक्षण उपाय:
- निम्न श्रेणी के अयस्कों का प्रयोग।
- पुनर्चक्रण (Recycling)।
- विकल्पों का उपयोग।
8. ऊर्जा संसाधन
(1) परंपरागत स्रोत
1.कोयला
- प्रकार: पीट, लिग्नाइट, बिटुमिनस, एंथ्रेसाइट।
- क्षेत्र: दामोदर घाटी (झारखंड, बंगाल), झरिया, बोकारो, रानीगंज, गोदावरी घाटी।
2.पेट्रोलियम
- उपयोग: ईंधन, रसायन, डीज़ल-पेट्रोल।
- क्षेत्र: मुंबई हाई, अंकलेश्वर (गुजरात), डिगबोई, नहरकटिया (असम)।
3.प्राकृतिक गैस
- उपयोग: घरेलू ईंधन, उर्वरक।
- क्षेत्र: मुंबई हाई, खंभात बेसिन, कृष्णा-गोदावरी बेसिन।
4.विद्युत ऊर्जा
- ताप विद्युत – कोयला, तेल, गैस से।
- जल विद्युत – भाखड़ा नांगल, कोपिली, दामोदर घाटी।
(2) गैर-परंपरागत स्रोत
- परमाणु ऊर्जा – यूरेनियम (झारखंड), थोरियम (केरल की मोनाजाइट रेत)।
- सौर ऊर्जा – ग्रामीण व शहरी क्षेत्रों में प्रयोग।
- पवन ऊर्जा – तमिलनाडु, गुजरात, महाराष्ट्र, कर्नाटक।
- बायोगैस – गोबर गैस, खाद व ईंधन दोनों।
- ज्वारीय ऊर्जा – खंभात की खाड़ी, कच्छ की खाड़ी, गंगा डेल्टा।
- भू-तापीय ऊर्जा – मणिकरण (हिमाचल), पूगा घाटी (लद्दाख)।
9. ऊर्जा संरक्षण
1.ऊर्जा का विवेकपूर्ण प्रयोग आवश्यक।
2.उपाय:
- सार्वजनिक परिवहन का उपयोग।
- ऊर्जा-बचत उपकरण।
- नवीकरणीय स्रोतों को बढ़ावा।
3.नारा: “ऊर्जा की बचत ही ऊर्जा उत्पादन है।”
Thank you sir for notes