1. बहुविकल्पीय प्रश्न
प्रश्न (i): नीचे दी गई सूचना के आधार पर स्थितियों को ‘जल की कमी से प्रभावित’ या ‘जल की कमी से अप्रभावित’ में वर्गीकृत कीजिए।
- (क) अधिक वार्षिक वर्षा वाले क्षेत्र
- (ख) अधिक वर्षा और अधिक जनसंख्या वाले क्षेत्र
- (ग) अधिक वर्षा वाले परंतु अत्यधिक प्रदूषित जल क्षेत्र
- (घ) कम वर्षा और कम जनसंख्या वाले क्षेत्र
उत्तर:
- (क) अप्रभावित
- (ख) प्रभावित
- (ग) प्रभावित
- (घ) अप्रभावित
प्रश्न (ii): निम्नलिखित में से कौन-सा वक्तव्य बहुउद्देशीय नदी परियोजनाओं के पक्ष में दिया गया तर्क नहीं है?
(क) बहुउद्देशीय परियोजनाएँ उन क्षेत्रों में जल लाती है जहाँ जल की कमी होती है।
(ख) बहुउद्देशीय परियोजनाएँ जल बहाव को नियंत्रित करके बाढ़ पर काबू पाती है।
(ग) बहुउद्देशीय परियोजनाओं से बृहत् स्तर पर विस्थापन होता है और आजीविका खत्म होती है।
(घ) बहुउद्देशीय परियोजनाएँ हमारे उद्योग और घरों के लिए विद्युत पैदा करती हैं।
उत्तर: (ग) बहुउद्देशीय परियोजनाओं से बृहत् स्तर पर विस्थापन होता है और आजीविका खत्म होती है।
प्रश्न (iii): यहाँ कुछ गलत वक्तव्य दिए गए हैं। इसमें गलती पहचाने और दोबारा लिखें।
(क) शहरों की बढ़ती संख्या, उनकी विशालता और सघन जनसंख्या तथा शहरी जीवन शैली ने जल संसाधनों के सही उपयोग में मदद की है।
उत्तर: ने जल संसाधनों पर दबाव बढ़ाया है।
(ख) नदियों पर बाँध बनाने और उनको नियंत्रित करने से उनका प्राकृतिक बहाव और तलछट बहाव प्रभावित नहीं होता।
उत्तर: उनका प्राकृतिक बहाव और तलछट बहाव प्रभावित होता है।
(ग) गुजरात में साबरमती बेसिन में सूखे के दौरान शहरी क्षेत्रों में अधिक जल आपूर्ति करने पर भी किसान नहीं भड़के।
उत्तर: किसान उपद्रव पर उतारू हो गए।
(घ) आज राजस्थान में इंदिरा गांधी नहर से उपलब्ध पेयजल के बावजूद छत वर्षा जल संग्रहण लोकप्रिय हो रहा है।
उत्तर: छत वर्षा जल संग्रहण कम होता जा रहा है।
2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 30 शब्दों में दीजिए।
प्रश्न (i): व्याख्या करें कि जल किस प्रकार नवीकरण योग्य संसाधन है?
उत्तर: जल नवीकरण योग्य संसाधन है क्योंकि यह जल चक्र द्वारा लगातार पुनर्भरित होता रहता है। वाष्पीकरण, वर्षा और बहाव की प्रक्रिया से जल बार-बार नवीकृत होता रहता है।
प्रश्न (ii): जल दुर्लभता क्या है और इसके मुख्य कारण क्या हैं?
उत्तर: जल दुर्लभता का अर्थ है पर्याप्त जल उपलब्ध न होना।
इसके मुख्य कारण हैं – जनसंख्या वृद्धि, जल का अति-दोहन, असमान वितरण, प्रदूषण और वर्षा की अनियमितता।
प्रश्न (iii): बहुउद्देशीय परियोजनाओं से होने वाले लाभ और हानियों की तुलना करें।
उत्तर:
- लाभ – सिंचाई, जल विद्युत, बाढ़ नियंत्रण, पेयजल और उद्योगों को जल आपूर्ति।
- हानियाँ – विस्थापन, पर्यावरणीय क्षति, नदियों का प्राकृतिक बहाव बाधित होना और सामाजिक संघर्ष।
3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 120 शब्दों में दीजिए।
प्रश्न (i): राजस्थान के अर्ध-शुष्क क्षेत्रों में वर्षा जल संग्रहण किस प्रकार किया जाता है? व्याख्या कीजिए।
उत्तर: राजस्थान के अर्ध-शुष्क क्षेत्रों में परंपरागत वर्षाजल संग्रहण पद्धतियाँ प्रचलित थीं। यहाँ भूमिगत टाँके बनाए जाते थे, जिनमें छतों से पाइप द्वारा वर्षा जल पहुँचाया जाता था। वर्षा का पहला जल छत और पाइप साफ करने में प्रयोग होता था, उसके बाद शुद्ध जल टांकों में संग्रहित किया जाता था। जेसलमेर में खादीन और अन्य क्षेत्रों में जोहड़ बनाए जाते थे। इनसे खेतों की सिंचाई और घरेलू उपयोग के लिए जल सुरक्षित किया जाता था। वर्षाजल को वहाँ पालर पानी कहा जाता था और इसे शुद्धतम जल माना जाता था। इस पद्धति ने लोगों को गर्मी और सूखे में भी पेयजल उपलब्ध कराया।
प्रश्न (ii): परंपरागत वर्षा जल संग्रहण की पद्धतियों को आधुनिक काल में अपना कर जल संरक्षण एवं भंडारण किस प्रकार किया जा रहा है?
उत्तर: आज परंपरागत वर्षाजल संग्रहण पद्धतियों को आधुनिक रूप में अपनाया गया है। छत वर्षा जल संग्रहण कई राज्यों में अनिवार्य किया गया है। तमिलनाडु में हर घर में यह व्यवस्था आवश्यक है। शिलांग और गंडाथूर जैसे क्षेत्रों में छत जल संग्रहण से जल की आवश्यकता का 15-25% पूरा किया जाता है। राजस्थान और कर्नाटक में भी यह पद्धति अपनाई जा रही है। पाइप और टैंकों से वर्षा जल भूमिगत जल में पुनर्भरित किया जाता है। इससे जल संकट का समाधान होता है, भूजल स्तर सुरक्षित रहता है और सूखा क्षेत्रों में जल उपलब्ध होता है।
Leave a Reply