औद्योगीकरण का युग
संक्षेप में लिखें
प्रश्न 1. निम्नलिखित की व्याख्या करें-
(क) ब्रिटेन की महिला कामगारों ने स्पिनिंग जेनी मशीनों पर हमले किए।
उत्तर: ब्रिटेन की महिला कामगारों ने स्पिनिंग जेनी मशीनों पर हमले किए क्योंकि इस मशीन से एक ही मजदूर कई धागे कात सकता था, जिससे महिलाओं का काम छिनने लगा। उन्हें डर था कि मशीनों से उनकी रोज़गार समाप्त हो जाएगी।
(ख) सत्रहवीं शताब्दी में यूरोपीय शहरों के सौदागर गाँवों में किसानों और कारीगरों से काम करवाने लगे।
उत्तर: सत्रहवीं शताब्दी में यूरोपीय सौदागर गाँवों में किसानों और कारीगरों से काम करवाने लगे क्योंकि शहरों में गिल्ड्स बहुत सख्त थे। इसलिए सौदागर गाँवों में सस्ता श्रम पाकर अपने लिए वस्तुएँ बनवाने लगे और ज़्यादा लाभ कमाने लगे।
(ग) सूरत बंदरगाह अठारहवीं सदी के अंत तक हाशिये पर पहुँच गया था।
उत्तर: सूरत बंदरगाह अठारहवीं सदी के अंत तक हाशिये पर पहुँच गया क्योंकि यूरोपीय कंपनियों ने व्यापार पर कब्जा कर लिया और बंबई व कलकत्ता जैसे नए बंदरगाह व्यापार के प्रमुख केंद्र बन गए।
(घ) ईस्ट इंडिया कंपनी ने भारत में बुनकरों पर निगरानी रखने के लिए गुमाश्तों को नियुक्त किया था।
उत्तर: ईस्ट इंडिया कंपनी ने गुमाश्तों को इसलिए नियुक्त किया ताकि वे बुनकरों से सीधे कपड़ा खरीदें, उन पर नज़र रखें और यह सुनिश्चित करें कि बुनकर अन्य व्यापारियों को माल न बेचें।
प्रश्न 2. प्रत्येक वक्तव्य के आगे ‘सही’ या ‘गलत’ लिखें-
(क) उन्नीसवीं सदी के आखिर में यूरोप की कुल श्रम शक्ति का 80 प्रतिशत तकनीकी रूप से विकसित औद्योगिक क्षेत्र में काम कर रहा था।
उत्तर: गलत।
(ख) अठारहवीं सदी तक महीन कपड़े के अंतर्राष्ट्रीय बाजार पर भारत का दबदबा था।
उत्तर: सही।
(ग) अमेरिकी गृहयुद्ध के फलस्वरूप भारत के कपास निर्यात में कमी आई।
उत्तर: गलत। (क्योंकि युद्ध के दौरान अमेरिका से कपास की आपूर्ति बंद हो गई, इसलिए भारत से कपास निर्यात बढ़ गया।)
(घ) फ्लाई शटल के आने से हथकरघा कामगारों की उत्पादकता में सुधार हुआ।
उत्तर: सही। (फ्लाई शटल से बुनाई का काम तेज़ और आसान हो गया।)
प्रश्न 3. पूर्व-औद्योगीकरण का मतलब बताएँ।
उत्तर: पूर्व-औद्योगीकरण वह अवस्था थी जब औद्योगिक उत्पादन कारखानों में नहीं बल्कि गाँवों और घरों में होता था। उस समय किसान और कारीगर सौदागरों के लिए घर पर ही वस्तुएँ बनाते थे — यह कारखानों के आने से पहले का औद्योगिक चरण था।
चर्चा करें
प्रश्न 1. उन्नीसवीं सदी के यूरोप में कुछ उद्योगपति मशीनों की बजाय हाथ से काम करने वाले श्रमिकों को प्राथमिकता क्यों देते थे?
उत्तर:उन्नीसवीं सदी के यूरोप में कुछ उद्योगपति मशीनों की बजाय हाथ से काम करने वाले श्रमिकों को इसलिए प्राथमिकता देते थे क्योंकि –
- हाथ से बनी वस्तुएँ अधिक सुंदर और परिष्कृत मानी जाती थीं।
- अमीर और कुलीन वर्ग इन्हें स्वाद और सुरुचि का प्रतीक मानता था।
- मशीनें केवल एक जैसी वस्तुएँ बना सकती थीं, जबकि हाथ से बनी वस्तुओं में डिजाइन और गुणवत्ता की विविधता होती थी।
- हाथ से काम करने से लागत भी कम रहती थी क्योंकि मजदूर सस्ते उपलब्ध थे।
प्रश्न 2. ईस्ट इंडिया कंपनी ने भारतीय बुनकरों से सूती और रेशमी कपड़े की नियमित आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए क्या किया?
उत्तर:ईस्ट इंडिया कंपनी ने भारतीय बुनकरों से नियमित आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए निम्न कदम उठाए –
- कंपनी ने गुमाश्ते नामक अधिकारी नियुक्त किए जो बुनकरों पर नज़र रखते थे।
- बुनकरों को अग्रिम भुगतान (पेशगी) दिया जाता था ताकि वे केवल कंपनी को ही कपड़ा बेचें।
- बुनकरों को अन्य व्यापारियों से सौदा करने की मनाही थी।
- गुमाश्ते बुनकरों से सख्ती से काम करवाते थे और समय पर माल न देने पर दंड भी देते थे।
प्रश्न 3. कल्पना कीजिए कि आपको ब्रिटेन तथा कपास के इतिहास के बारे में विश्वकोश (Encyclopaedia) के लिए लेख लिखने को कहा गया है। इस अध्याय में दी गई जानकारियों के आधार पर अपना लेख लिखिए।
उत्तर (लेख):ब्रिटेन और कपास का इतिहासअठारहवीं सदी में ब्रिटेन में औद्योगिक क्रांति की शुरुआत कपास उद्योग से हुई। 1760 के दशक में सूत और कपड़ा बनाने की मशीनों जैसे स्पिनिंग जेनी, वॉटर फ्रेम, और पावर लूम के आविष्कार से उत्पादन तेज़ हुआ।ब्रिटेन ने भारत और अमेरिका से कच्चा कपास मँगाकर कारखानों में कपड़ा बनाना शुरू किया। मशीनों से बनने वाला सस्ता कपड़ा भारत सहित कई देशों में भेजा जाने लगा।इससे भारत के पारंपरिक बुनकर उद्योग को भारी नुकसान हुआ। ब्रिटेन का कपास उद्योग औद्योगीकरण का प्रतीक बन गया और ब्रिटेन “दुनिया का कार्यशाला” कहलाने लगा।
प्रश्न 4. पहले विश्व युद्ध के समय भारत का औद्योगिक उत्पादन क्यों बढ़ा?
उत्तर:पहले विश्व युद्ध के समय भारत का औद्योगिक उत्पादन बढ़ने के कारण –
- ब्रिटेन के कारखाने युद्ध सामग्री बनाने में व्यस्त थे, इसलिए भारत में विदेशी माल का आयात घट गया।
- भारत में युद्ध के लिए आवश्यक वस्तुएँ जैसे जूट की बोरियाँ, सैनिकों की वर्दियाँ, जूते, टेंट आदि बनना शुरू हुआ।
- नए कारखाने खोले गए और पुराने कारखाने कई पालियों में चलने लगे।
- युद्ध के दौरान भारतीय उद्योगपतियों को बड़ा घरेलू बाजार मिला, जिससे उत्पादन तेजी से बढ़ गया।
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