1. लोकतंत्र किस तरह उत्तरदायी, ज़िम्मेवार और वैध सरकार का गठन करता है?
उत्तर: लोकतंत्र में जनता अपने प्रतिनिधि चुनती है, सरकार जनता के प्रति जवाबदेह रहती है, निर्णय नियम और कानून के अनुसार लिए जाते हैं, जनता की भागीदारी होती है, पारदर्शिता बनी रहती है और लोगों की जरूरतों का ध्यान रखा जाता है, इसलिए लोकतंत्र जिम्मेदार, उत्तरदायी और वैध सरकार प्रदान करता है।
2. लोकतंत्र किन स्थितियों में सामाजिक विविधता को सँभालता है और सामंजस्य बैठाता है?
उत्तर: जब बहुमत अल्पमत का सम्मान करे, सभी समूहों को निर्णय प्रक्रिया में शामिल किया जाए, विभिन्न विचारों के बीच बातचीत हो, किसी को जन्म या पहचान के आधार पर बाहर न किया जाए, तब लोकतंत्र सामाजिक विविधताओं को सँभालकर उनके बीच सामंजस्य स्थापित करता है।
3. निम्नलिखित कथनों के पक्ष या विपक्ष में तर्क दें:
• औद्योगिक देश ही लोकतांत्रिक व्यवस्था का भार उठा सकते हैं पर गरीब देशों को आर्थिक विकास करने के लिए तानाशाही चाहिए।
उत्तर: – विपक्ष में तर्क:
लोकतंत्र आर्थिक स्थिति पर निर्भर नहीं करता, गरीब देश भी लोकतांत्रिक प्रणाली चला सकते हैं। आर्थिक विकास के लिए पारदर्शिता, जवाबदेही और जनता की भागीदारी जरूरी है, जो लोकतंत्र प्रदान करता है।
• लोकतंत्र अपने नागरिकों के बीच की असमानता को कम नहीं कर सकता।
उत्तर: – विपक्ष में तर्क:लोकतंत्र राजनीतिक समानता देता है और कमजोर वर्गों को अधिकार और अवसर प्रदान करता है। लोकतंत्र असमानताओं को पहचानकर उन्हें कम करने की दिशा में काम करता है।
• गरीब देशों की सरकार को अपने ज़्यादा संसाधन गरीबी को कम करने और आहार, कपड़ा, स्वास्थ्य तथा शिक्षा पर लगाने की जगह उद्योगों और बुनियादी ढाँचे पर खर्च करने चाहिए।
उत्तर: – विपक्ष में तर्क:गरीबी, भोजन, स्वास्थ्य और शिक्षा जैसी बुनियादी जरूरतों को पूरा किए बिना विकास टिकाऊ नहीं हो सकता। लोकतंत्र में जनता की भलाई प्राथमिक होती है, इसलिए मानव विकास पर खर्च आवश्यक है।
• नागरिकों के बीच आर्थिक समानता अमीर और गरीब, दोनों तरह के लोकतांत्रिक देशों में है।
उत्तर: – विपक्ष में तर्क:कई लोकतांत्रिक देशों में आर्थिक असमानता बहुत अधिक है। लोकतंत्र सभी को अवसर तो देता है, पर आर्थिक समानता अपने आप नहीं आती।
• लोकतंत्र में सभी को एक ही वोट का अधिकार है। इसका मतलब है कि लोकतंत्र में किसी तरह का प्रभुत्व और टकराव नहीं होता।
उत्तर: – विपक्ष में तर्क:वोट की समानता से टकराव खत्म नहीं होते। लोकतंत्र टकरावों को शांतिपूर्ण तरीके से सुलझाने और विभिन्न विचारों को शामिल करने की प्रक्रिया देता है।
प्रश्न 4. नीचे दिए गए ब्यौरों में लोकतंत्र की चुनौतियों की पहचान करें। ये स्थितियाँ किस तरह नागरिकों के गरिमापूर्ण, सुरक्षित और शांतिपूर्ण जीवन के लिए चुनौती पेश करती हैं। लोकतंत्र को मज़बूत बनाने के लिए नीतिगत-संस्थागत उपाय भी सुझाएँ :
• उच्च न्यायालय के निर्देश के बाद ओड़िसा में दलितों और गैर-दलितों के प्रवेश के लिए अलग-अलग दरवाज़ा रखने वाले एक मंदिर को एक ही दरवाज़े से सबको प्रवेश की अनुमति देनी पड़ी।
उत्तर: –
चुनौती:यह स्थिति सामाजिक समानता और गरिमा के सिद्धांत के लिए चुनौती है। यह भेदभाव लोकतंत्र में समानता और स्वतंत्रता के अधिकार को कमजोर करता है।
नागरिकों के जीवन पर प्रभाव:जातिगत भेदभाव से दलितों में अपमान और असमानता की भावना पैदा होती है, जिससे उनका गरिमापूर्ण और शांतिपूर्ण जीवन बाधित होता है।
नीतिगत-संस्थागत उपाय:
- जाति आधारित भेदभाव के विरुद्ध बने कानूनों का कड़ाई से पालन कराया जाए।
- सामाजिक जागरूकता अभियानों और शिक्षा के माध्यम से समानता और भाईचारे की भावना को प्रोत्साहित किया जाए।
- स्थानीय प्रशासन को ऐसी घटनाओं की रोकथाम के लिए जवाबदेह बनाया जाए।
• भारत के विभिन्न राज्यों में बड़ी संख्या में किसान आत्महत्या कर रहे हैं।
उत्तर: –
चुनौती:यह सामाजिक-आर्थिक असमानता और शासन की जवाबदेही से जुड़ी चुनौती है। यह दर्शाता है कि सरकार की नीतियाँ किसानों की समस्याओं का समाधान करने में विफल रही हैं।
नागरिकों के जीवन पर प्रभाव:किसानों की आत्महत्या से समाज में असुरक्षा और निराशा का माहौल बनता है। इससे नागरिकों का सुरक्षित और सम्मानजनक जीवन प्रभावित होता है और लोकतंत्र की साख कमजोर होती है।
नीतिगत-संस्थागत उपाय:
- किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य सुनिश्चित किया जाए।
- ऋण माफी, बीमा योजनाएँ और आधुनिक कृषि साधन उपलब्ध कराए जाएँ।
- ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार और शिक्षा के अवसर बढ़ाए जाएँ ताकि किसान आर्थिक रूप से सशक्त हों।
• जम्मू-कश्मीर के गंडवारा में मुठभेड़ बताकर जम्मू-कश्मीर पुलिस द्वारा तीन नागरिकों की हत्या करने के आरोप को देखते हुए इस घटना के जाँच के आदेश दिए गए।
उत्तर: –
चुनौती:यह कानून के शासन और प्रशासनिक जवाबदेही से जुड़ी चुनौती है। यह लोकतांत्रिक शासन में पारदर्शिता और मानवाधिकारों की रक्षा की कमी को दर्शाता है।
नागरिकों के जीवन पर प्रभाव:ऐसी घटनाओं से लोगों के मन में भय और अविश्वास पैदा होता है। नागरिकों को लगता है कि उनकी सुरक्षा और अधिकार खतरे में हैं, जिससे लोकतंत्र की नींव कमजोर होती है।
नीतिगत-संस्थागत उपाय:
- ऐसी घटनाओं की स्वतंत्र और निष्पक्ष जाँच की जाए।
- दोषी अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए।
- पुलिस और सुरक्षा बलों को मानवाधिकारों और कानून के प्रति संवेदनशील बनाया जाए।
5.लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं के संदर्भ में इनमें से कौन-सा विचार सही है- लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं ने सफलतापूर्वक :
- लोगों के बीच टकराव को समाप्त कर दिया है।
- लोगों के बीच की आर्थिक असमानताएँ समाप्त कर दी हैं।
- हाशिए के समूहों से कैसा व्यवहार हो, इस बारे में सारे मतभेद मिटा दिए हैं।
- राजनीतिक गैर बराबरी के विचार को समाप्त कर दिया है।
उत्तर: हाशिए के समूहों से कैसा व्यवहार हो, इस बारे में सारे मतभेद मिटा दिए हैं।(क्योंकि लोकतंत्र ने कमजोर वर्गों को अधिकार और सम्मान दिया है।)
6. लोकतंत्र के मूल्यांकन के लिहाज से इनमें कोई एक चीज़ लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं के अनुरूप नहीं है। उसे चुनें :
(क) स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव
(ख) व्यक्ति की गरिमा
(ग) बहुसंख्यकों का शासन
(घ) कानून के समक्ष समानता
उत्तर: (ग) बहुसंख्यकों का शासन(क्योंकि लोकतंत्र में अल्पसंख्यकों के अधिकारों का भी सम्मान होना चाहिए।)
7. लोकतांत्रिक व्यवस्था के राजनीतिक और सामाजिक असमानताओं के बारे में किए गए अध्ययन बताते हैं कि –
- लोकतंत्र और विकास साथ ही चलते हैं।
- लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं में असमानताएँ बनी रहती हैं।
- तानाशाही में असमानताएँ नहीं होतीं।
- तानाशाहियाँ लोकतंत्र से बेहतर साबित हुई हैं।
उत्तर: लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं में असमानताएँ बनी रहती हैं।
8. नीचे दिए गए अनुच्छेद को पढ़ें;
उत्तर: – यह उदाहरण बताता है कि सूचना का अधिकार लोकतंत्र में नागरिकों को शक्ति देता है और सरकारी काम में पारदर्शिता और जवाबदेही लाता है।नन्नू के आवेदन का असर यह हुआ कि अधिकारी तुरंत सक्रिय हो गए, उसका राशन कार्ड तैयार कराया गया और सम्मानपूर्वक उसे बुलाकर काम पूरा किया गया।
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