Notes For All Chapters Hindi Kritika Class 10 CBSE
लेखक परिचय
- नाम: अज्ञेय (सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन)
- जन्म: 1911 ई.
- ये हिंदी साहित्य में कवि, निबंधकार, कथाकार और आलोचक के रूप में प्रसिद्ध थे।
- अज्ञेय आधुनिक हिंदी साहित्य के प्रमुख प्रयोगवादी और नई कविता के प्रवर्तक माने जाते हैं।
- रचनाएँ: अरी ओ करुणा प्रभामय, शेखर एक जीवनी, नदी के द्वीप आदि।
अध्याय का सारांश
- लेखन का कारण
- लेखक लिखते हैं ताकि वे स्वयं जान सकें कि वे क्यों लिखते हैं।
- लेखन एक भीतरी विवशता (आंतरिक प्रेरणा) से उत्पन्न होता है।
- लिखने से लेखक उस भीतरी दबाव से मुक्त हो जाता है।
- भीतरी और बाहरी दबाव
- असली कृति केवल भीतरी प्रेरणा से जन्म लेती है।
- परंतु कभी-कभी बाहरी दबाव (जैसे संपादक का आग्रह, प्रकाशक की माँग, आर्थिक आवश्यकता) भी लेखन का कारण बनते हैं।
- सच्चा रचनाकार दोनों दबावों के बीच फर्क पहचानता है और बाहरी दबाव को भी आंतरिक प्रेरणा का माध्यम बना लेता है।
- अनुभव और अनुभूति
- अनुभव: प्रत्यक्ष रूप से घटित घटनाएँ।
- अनुभूति: संवेदना और कल्पना के सहारे महसूस किया गया गहरा सत्य।
- लेखक मानते हैं कि साहित्य रचना के लिए अनुभूति अनुभव से अधिक महत्त्वपूर्ण है।
- हिरोशिमा प्रसंग
- लेखक विज्ञान के विद्यार्थी रहे थे, उन्हें परमाणु और रेडियम के प्रभावों की जानकारी थी।
- हिरोशिमा में परमाणु बम का प्रभाव देखकर उनके मन में गहरी व्यथा जागी।
- उन्होंने अस्पतालों में पीड़ित लोगों को देखा।
- लेकिन कविता तभी लिख पाए जब एक दिन उन्होंने जले हुए पत्थर पर मानव की छाया देखी।
- उस क्षण उन्हें लगा जैसे वे स्वयं उस विस्फोट के भोक्ता बन गए हों।
- यही उनकी अनुभूति प्रत्यक्ष बनी और इसने उन्हें हिरोशिमा पर कविता लिखने के लिए विवश कर दिया।
- कविता और सत्य
- लेखक मानते हैं कि कविता अच्छी है या बुरी, यह महत्त्वपूर्ण नहीं है।
- कविता का सत्य होना ही सबसे ज़्यादा महत्त्वपूर्ण है।
- उनकी हिरोशिमा कविता उनकी सच्ची अनुभूति से उत्पन्न हुई थी, इसलिए उनके लिए वह सत्य है।
मुख्य बिंदु
- लेखन का मुख्य कारण = भीतरी विवशता।
- बाहरी दबाव = संपादकों का आग्रह, प्रकाशकों की मांग, आर्थिक ज़रूरत।
- अनुभव और अनुभूति का अंतर = अनुभूति गहरी होती है और लेखन को जन्म देती है।
- हिरोशिमा की घटना = विज्ञान का दुरुपयोग और मानवता पर गहरा प्रहार।
- कविता का मूल्यांकन = कविता का सत्य सबसे महत्त्वपूर्ण है, न कि उसकी अच्छाई या बुराई।

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