Notes For All Chapters Hindi Kshitij Class 10 CBSE
एक कहानी यह भी – पठन सामग्री और सार
1. लेखिका परिचय
- नाम – मन्नू भंडारी
- जन्म – 1931, भानपुरा गाँव, जिला मंदसौर (मध्य प्रदेश)
- शिक्षा – इंटर तक अजमेर में, बाद में हिंदी में एम.ए.
- कार्य – मिरांडा हाउस कॉलेज, दिल्ली में अध्यापन।
- निधन – 2021
- प्रमुख रचनाएँ –
- कहानी संग्रह: एक प्लेट सैलाब, मैं हार गई, यही सच है, त्रिशंकु
- उपन्यास: आपका बंटी, महाभोज
- आत्मकथ्य: एक कहानी यह भी
- विशेषता – सादगीपूर्ण भाषा, स्त्री-मन की अभिव्यक्ति, समाज व जीवन की वास्तविक अनुभूतियाँ।
2. आत्मकथ्य की विशेषताएँ
- यह क्रमबद्ध आत्मकथा नहीं है, बल्कि लेखकीय जीवन से जुड़ी घटनाओं और व्यक्तियों का वर्णन है।
- इसमें लेखिका के बचपन, किशोरावस्था और युवावस्था के अनुभव उभरते हैं।
- पिता और माँ के अलग-अलग व्यक्तित्व का चित्रण मिलता है।
- स्वतंत्रता आंदोलन के दिनों का वातावरण और उसमें लेखिका की भागीदारी स्पष्ट होती है।
3. पिता का व्यक्तित्व
- विद्वान, समाज सुधारक और प्रतिष्ठित व्यक्ति।
- आर्थिक स्थिति बिगड़ने पर स्वभाव चिड़चिड़ा और शक्की हो गया।
- बेटियों की तुलना, खासकर गोरी बहन सुशीला से करने पर लेखिका में हीन-भावना विकसित हुई।
- रसोई को “भटियारखाना” कहकर उसे समय की बर्बादी मानते थे।
- बेटी से उम्मीद थी कि वह विशिष्ट बने, नाम और सम्मान पाए।
- गुस्से वाले लेकिन भीतर से बेटी की सक्रियता और नेतृत्व क्षमता पर गर्व करने वाले।
4. माँ का व्यक्तित्व
- निरक्षर, धैर्यवान और सहनशील।
- त्यागमयी, हमेशा परिवार की इच्छाओं का पालन करती रहीं।
- अपनी इच्छाओं का कभी इज़हार नहीं किया।
- बच्चों का लगाव अधिक माँ से था, पर लेखिका ने माँ के त्याग को आदर्श नहीं माना।
5. बचपन और किशोरावस्था
- खेल – सतोलिया, लँगड़ी-टाँग, पकड़म-पकड़ाई, गुड्डे-गुड़िया का ब्याह।
- भाइयों के साथ गिल्ली-डंडा और पतंगबाजी में भी हिस्सा।
- पड़ोस की संस्कृति (पड़ोस कल्चर) ने जीवन और लेखन पर गहरा प्रभाव डाला।
- इसी मोहल्ले के पात्र बाद में उनकी कहानियों में जीवित हुए।
6. शिक्षा और साहित्यिक जीवन
- पिता की प्रेरणा से घर में होने वाली राजनीतिक बहसें सुनीं।
- साहित्य से गहरी रुचि शीला अग्रवाल (प्राध्यापिका) के कारण जगी।
- उन्होंने लेखिका को चुन-चुनकर साहित्यिक पुस्तकें पढ़ने को दीं।
- शरतचंद्र, प्रेमचंद, जैनेंद्र, अज्ञेय, भगवतीचरण वर्मा आदि लेखकों से प्रभावित।
- विचारों में नए प्रश्न उठे – सही-गलत, पाप-पुण्य और नैतिकता की परिभाषाओं पर।
7. स्वतंत्रता आंदोलन में भूमिका
- सन् 1946-47 में सक्रिय रूप से जुड़ीं।
- प्रभात फेरियाँ, हड़तालें, जुलूस, भाषण – सबमें भागीदारी।
- अजमेर में छात्र-आंदोलनों की अगुआई की।
- उनके भाषण और नेतृत्व ने समाज में गहरी छाप छोड़ी।
- कॉलिज प्रशासन से टकराव भी हुआ, अनुशासनात्मक कार्रवाइयाँ झेलीं।
- शीला अग्रवाल पर भी आरोप लगे और उन्हें कॉलिज छोड़ना पड़ा।
8. प्रमुख घटनाएँ
- पिता का विरोध और बाद में गर्व करना।
- डॉ. अंबालाल जैसे लोगों का समर्थन पाकर हिम्मत बढ़ना।
- 15 अगस्त 1947 – स्वतंत्रता का वह क्षण, जो सारी संघर्षों से ऊपर था।
9. लेखिका का आत्ममंथन
- खुद को गोरा न होने के कारण हीन-भावना से ग्रसित मानती हैं।
- मानती हैं कि पिता का स्वभाव, उनके गुण-दोष, दोनों ही उनके व्यक्तित्व में बसे हैं।
- माँ के त्याग और धैर्य का भी गहरा असर पड़ा, भले ही आदर्श न माना हो।

Kundhaao
Hindi meaning
Kundhaao