Notes For All Chapters Hindi Kshitij Class 10 CBSE
संस्कृति – पठन सामग्री और सार
1. लेखक परिचय
- नाम – भदंत आनंद कौसल्यायन
- जन्म – 1905, अंबाला (पंजाब)
- मूल नाम – हरनाम दास
- शिक्षा – बी.ए., नेशनल कॉलेज, लाहौर से।
- विशेषता – बौद्ध भिक्षु, हिंदी सेवी, देश-विदेश यात्राएँ।
- प्रभाव – महात्मा गांधी के साथ वर्धा में लंबे समय तक रहे।
- प्रमुख रचनाएँ – भिक्षु के पत्र, जो भूल न सका, रेल का टिकट, यदि बाबा न होते, जातक कथाएँ (अनुवाद) आदि।
- निधन – 1988।
- विशेष योगदान – हिंदी और बौद्ध धर्म का प्रचार-प्रसार, सरल भाषा में निबंध, संस्मरण और यात्रा वृत्तांत।
2. रचना परिचय
- यह निबंध सभ्यता और संस्कृति के अंतर को समझाने वाला है।
- लेखक ने उदाहरणों के माध्यम से बताया कि संस्कृति, मनुष्य की आंतरिक प्रेरणा और रचनात्मकता है जबकि सभ्यता, संस्कृति का बाहरी रूप और परिणाम है।
- उनका निष्कर्ष है – संस्कृति अविभाज्य है और उसका उद्देश्य मानव कल्याण होना चाहिए।
3. सभ्यता और संस्कृति में अंतर
- संस्कृति –
- मनुष्य की आंतरिक प्रेरणा, योग्यता और मनीषा।
- नई खोज या आविष्कार करने की शक्ति।
- जैसे – आग या सुई-धागे की खोज करने की क्षमता।
- सभ्यता –
- संस्कृति का बाहरी रूप और परिणाम।
- खोज या आविष्कार का व्यावहारिक उपयोग।
- जैसे – आग से भोजन पकाना, कपड़े सिलना।
4. प्रमुख उदाहरण
- आग की खोज – पेट की भूख ने प्रेरित किया।
- जिसने आग खोजी, वही संस्कृत व्यक्ति कहलाया।
- आग का उपयोग करके जीवन-शैली बनाना सभ्यता है।
- सुई-धागे का आविष्कार –
- शरीर को ढकने और सजाने की प्रवृत्ति।
- सुई खोजने वाला संस्कृत, उसका उपयोग करने वाली पीढ़ियाँ सभ्य।
- न्यूटन –
- गुरुत्वाकर्षण का नियम खोजने वाला संस्कृत व्यक्ति।
- आज का छात्र भले ही अधिक जानकारी रखता हो, पर न्यूटन जितना संस्कृत नहीं।
5. संस्कृति के प्रेरणास्रोत
- केवल भौतिक कारण (भूख, ठंड आदि) ही नहीं।
- ज्ञान की जिज्ञासा (ज्ञानेप्सा), त्याग और सेवा-भाव भी संस्कृति की जननी हैं।
- उदाहरण –
- माँ का बच्चे की देखभाल करना।
- लेनिन का दूसरों को रोटी देना।
- कार्ल मार्क्स का श्रमिकों के लिए जीवन समर्पित करना।
- बुद्ध का गृहत्याग।
6. लेखक की दृष्टि में
- संस्कृति – कल्याणकारी प्रवृत्ति।
- सभ्यता – संस्कृति का परिणाम।
- जो आविष्कार मानव कल्याण न करें, वे संस्कृति नहीं, असंस्कृति हैं।
- आत्म-विनाश के साधनों को सभ्यता नहीं कहा जा सकता।
7. मुख्य विचार
- संस्कृति को बाँटा नहीं जा सकता, यह अविभाज्य है।
- संस्कृति केवल परंपराओं या रीति-रिवाजों का ढेर नहीं है।
- संस्कृति वही है जो मानवता और कल्याण को आगे बढ़ाए।
- यदि संस्कृति से कल्याण का भाव टूट जाए तो वह असंस्कृति बन जाती है।
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