Notes For All Chapters Hindi Sparsh Class 10 CBSE
अब कहाँ दूसरों के दुःख से दुखी होने वाले – पठन सामग्री और सार
सारांश
कवि परिचय – निदा फ़ाज़ली (1938-2016)
- जन्म: 12 अक्तूबर 1938, दिल्ली।
- बचपन: ग्वालियर में बीता।
- पहचान: उर्दू की साठोत्तरी पीढ़ी के महत्त्वपूर्ण कवि।
- विशेषता: सरल और बोलचाल की भाषा में गहरी बातें कहना।
- गद्य और पद्य दोनों में समान रूप से प्रभावशाली।
- प्रमुख कृतियाँ:
- लफ़्ज़ों का पुल (पहली कविता संग्रह)
- खोया हुआ सा कुछ (साहित्य अकादमी पुरस्कार – 1999)
- आत्मकथा – दीवारों के बीच, दीवारों के पार
- फ़िल्मों के लिए भी गीत लिखे।
- निधन: 8 फ़रवरी 2016।
पाठ परिचय
- धरती सब जीवों के लिए है, परंतु मनुष्य ने इसे अपनी जागीर बना लिया।
- इंसान अब न केवल दूसरे जीवों को बेघर करता है बल्कि अपने ही जैसे मनुष्यों को भी।
- इस पाठ में विभिन्न धार्मिक और ऐतिहासिक प्रसंगों के माध्यम से मानव की संवेदनहीनता और प्रकृति के असंतुलन को उजागर किया गया है।
- संदेश: हमें सह-अस्तित्व, करुणा और प्रकृति के प्रति संवेदनशील होना चाहिए।
कथा-सार (विस्तृत)
- सुलेमान और चींटियाँ
- बाइबिल और क़ुरान में वर्णित।
- चींटियाँ सेना देखकर डर गईं।
- सुलेमान ने उन्हें आश्वस्त किया – “मैं सबका रखवाला हूँ, मुसीबत नहीं।”
- सबके लिए मुहब्बत का संदेश।
- शेख अयाज़ के पिता
- भोजन करते समय हाथ पर चींटी देखी।
- खाना छोड़कर उसे उसके घर (कुएँ) तक पहुँचाने गए।
- भावना: हर जीव का भी घर और अधिकार है।
- नूह और कुत्ता
- नूह ने घायल कुत्ते को दुत्कारा।
- कुत्ते ने उत्तर दिया – “न मैं अपनी पसंद से कुत्ता हूँ, न तुम अपनी पसंद से इंसान।”
- संदेश: सृष्टिकर्ता सबका एक है।
- नूह पछताए और जीवनभर रोते रहे।
- महाभारत का प्रसंग
- युधिष्ठिर के साथ अंत तक केवल एक कुत्ता रहा।
- प्रतीक: निष्ठा और साथ निभाने का गुण।
- प्रकृति का असंतुलन
- पहले संसार परिवार जैसा था, अब टुकड़ों में बँट गया।
- बढ़ती आबादी, प्रदूषण और बारूद की विनाशलीलाओं ने प्रकृति को बिगाड़ दिया।
- परिणाम: गर्मी, बेवक्त बरसात, सैलाब, तूफ़ान, नए रोग।
- समंदर का गुस्सा
- बिल्डरों ने समुद्र को पीछे धकेला, उसकी ज़मीन हथियाई।
- समुद्र सिमटता गया और अंततः गुस्से में आया।
- उसने जहाज़ों को उठाकर इधर-उधर फेंक दिया।
- संकेत: नेचर की सहनशक्ति की भी एक सीमा होती है।
- लेखक की माँ की संवेदनशीलता
- पेड़-पौधों और पशु-पक्षियों से जुड़ी मान्यताएँ सिखाती थीं।
- कबूतर का अंडा टूटने पर माँ ने रोज़ा रखा और रो-रोकर माफ़ी माँगी।
- संदेश: दूसरों के दुख से दुखी होना।
- ग्वालियर से मुंबई तक का परिवर्तन
- ग्वालियर में बड़े आँगन, पशु-पक्षियों के साथ सह-अस्तित्व।
- मुंबई में बस्तियों ने पशु-पक्षियों का घर छीन लिया।
- कबूतरों ने लेखक के घर में घोंसला बना लिया, पर पत्नी ने जाली लगवा दी।
- अब कबूतर खामोश और उदास बैठे रहते हैं।
शिक्षा / संदेश
- धरती सबकी साझी है, केवल मनुष्य की नहीं।
- सह-अस्तित्व और करुणा जीवन का आधार हैं।
- प्रकृति का अतिक्रमण विनाश को न्योता देता है।
- हमें पशु-पक्षियों, पेड़-पौधों और प्रकृति के प्रति संवेदनशील होना चाहिए।
- सच्ची मानवता दूसरे के दुख से दुखी होना और मदद करना है।
मुख्य बिंदु (बिंदुवार)
- धरती सभी जीवों की है, मनुष्य ने इसे अपनी जागीर बना लिया।
- सुलेमान – सबके लिए मुहब्बत का संदेश।
- शेख अयाज़ के पिता – चींटी को उसके घर पहुँचाना।
- नूह – कुत्ते से मिली सीख, सृष्टि में सब बराबर।
- महाभारत – युधिष्ठिर के साथ अंत तक कुत्ता।
- प्रकृति का असंतुलन – प्रदूषण, जनसंख्या, आपदाएँ।
- समंदर का गुस्सा – जहाज़ों को फेंक दिया।
- लेखक की माँ – संवेदनशील, कबूतर के अंडे टूटने पर रोज़ा रखा।
- ग्वालियर से मुंबई – सह-अस्तित्व से भीड़-भाड़ और संवेदनहीनता तक का बदलाव।
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