Notes For All Chapters Hindi Sparsh Class 10 CBSE
पतझर में टूटी पत्तियाँ – पठन सामग्री और सार
सारांश
लेखक परिचय – रवींद्र केलेकर (1925-2010)
- जन्म: 7 मार्च 1925, कोंकण क्षेत्र में।
- छात्र जीवन से ही गोवा मुक्ति आंदोलन में सक्रिय।
- गांधीवादी चिंतक और मौलिक विचारक।
- रचनाएँ: कोंकणी (25 पुस्तकें), मराठी (3 पुस्तकें), हिंदी व गुजराती में भी लेखन।
- अनुवाद: काका कालेलकर की कई पुस्तकों का संपादन व अनुवाद।
- प्रमुख कृतियाँ:
- उजवाढाचे सूर
- समिधा
- सांगली
- ओथांबे
- कोंकणीचें राजकरण
- जापान जसा दिसला
- हिंदी में पतझर में टूटी पत्तियाँ
- सम्मान: गोवा कला अकादमी साहित्य पुरस्कार सहित अनेक पुरस्कार।
- निधन: 2010।
पाठ परिचय
- गद्य को सरल, संक्षिप्त और सारगर्भित लिखना कठिन कार्य है।
- केलेकर ने इसे सहज ढंग से किया है।
- प्रस्तुत दो प्रसंग – “गिन्नी का सोना” और “झेन की देन” – जीवन के गहरे सत्य और मूल्यों को सामने रखते हैं।
- ये प्रसंग पाठक को जागरूक और सक्रिय नागरिक बनने की प्रेरणा देते हैं।
कथा-सार (विस्तृत)
(1) गिन्नी का सोना
- शुद्ध सोना और गिन्नी का सोना अलग होते हैं।
- शुद्ध सोना = 24 कैरेट (बिना मिलावट)।
- गिन्नी का सोना = 22 कैरेट (थोड़ा ताँबा मिलाया हुआ, ज़्यादा चमकदार और मज़बूत)।
- शुद्ध आदर्श भी वैसे ही होते हैं जैसे शुद्ध सोना।
- कुछ लोग उनमें व्यावहारिकता का “ताँबा” मिलाकर उन्हें “प्रैक्टिकल आइडियालिस्ट” कहते हैं।
- लेकिन जब व्यावहारिकता हावी हो जाती है तो आदर्श पीछे छूट जाते हैं।
- गांधीजी का उदाहरण:
- वे व्यावहारिकता को आदर्शों के स्तर पर उठाते थे, न कि आदर्शों को नीचा करते थे।
- सोने में ताँबा नहीं, बल्कि ताँबे में सोना मिलाते थे।
- इसीलिए उनका नेतृत्व सफल हुआ और लोग उनके पीछे चले।
- निष्कर्ष:
- समाज को शाश्वत मूल्य आदर्शवादियों ने ही दिए हैं।
- मात्र व्यवहारवादियों ने समाज को नीचे गिराया है।
(2) झेन की देन
- लेखक जापान गए और वहाँ के मित्र से बीमारी के बारे में पूछा।
- उत्तर मिला: 80% लोग मानसिक रोगी हैं।
- कारण:
- जीवन की अत्यधिक गति।
- हर काम जल्दी पूरा करने की होड़।
- अमेरिका से प्रतिस्पर्धा।
- दिमाग पर लगातार तनाव।
- मित्र लेखक को “टी-सेरेमनी” (चा-नो-यू) में ले गए।
- वहाँ का वातावरण:
- छत पर बनी पर्णकुटी।
- प्रवेश से पहले हाथ-पाँव धोना।
- चाजीन द्वारा गरिमापूर्ण स्वागत और हर क्रिया का सलीके से संपादन।
- शांति इतनी गहरी कि पानी का उबलना भी सुनाई दे।
- प्रभाव:
- चाय की छोटी-छोटी चुस्कियों में लगभग डेढ़ घंटे बीत गए।
- धीरे-धीरे दिमाग की गति रुक गई।
- भूत और भविष्य दोनों गायब हो गए, केवल वर्तमान शेष रहा।
- लेखक को लगा कि वही क्षण अनंत है और वही सत्य है।
- शिक्षा:
- ज़ेन परंपरा जापानियों को वर्तमान में जीने की कला देती है।
- यही सच्चा जीवन है।
शिक्षा / संदेश
- शुद्ध आदर्श ही समाज को ऊँचाई तक ले जाते हैं।
- व्यावहारिकता महत्त्वपूर्ण है, पर वह आदर्शों को दबा न सके।
- जीवन का वास्तविक आनंद केवल वर्तमान में जीने में है।
- मानसिक शांति के लिए हमें भागदौड़ और तनाव से मुक्ति लेकर ध्यान और संयम अपनाना चाहिए।
मुख्य बिंदु (बिंदुवार)
- शुद्ध सोना और गिन्नी का सोना – आदर्श और व्यावहारिकता की तुलना।
- गांधीजी – आदर्श और व्यवहार का संतुलन।
- समाज को शाश्वत मूल्य आदर्शवादी लोग देते हैं।
- जापान – 80% लोग मानसिक तनाव से पीड़ित।
- कारण – जीवन की रफ़्तार और प्रतिस्पर्धा।
- टी-सेरेमनी – शांति और ध्यान की जापानी परंपरा।
- चाय की चुस्कियों से वर्तमान क्षण में जीने का अनुभव।
- शिक्षा – केवल वर्तमान ही सत्य है।
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