Notes For All Chapters Hindi Sanchayan Class 10 CBSE
सारांश
लेखक परिचय
- इस अध्याय में लेखक ने अपने बचपन और स्कूली जीवन की आत्मकथात्मक झलक प्रस्तुत की है।
- भाषा आत्मीय, सहज और सरल है।
- इसमें उस समय के गाँव-समाज, बच्चों के खेल, शिक्षा की स्थिति और अध्यापकों के स्वभाव का सजीव चित्रण है।
कथा-सार (विस्तृत)
- बचपन के खेल
- बच्चे नंगे पाँव, फटे कपड़े पहनकर खेलते।
- चोट लगने पर भी अगले दिन खेल में शामिल हो जाते।
- खेल का आकर्षण इतना गहरा कि डाँट-डपट और मारपीट भी उन्हें रोक नहीं पाती।
- पढ़ाई की स्थिति
- अधिकांश बच्चे स्कूल नहीं जाते थे।
- जो जाते भी थे, वे पढ़ाई छोड़कर घर के काम या दुकानदारी में लग जाते।
- शिक्षा के प्रति समाज और परिवार गंभीर नहीं था।
- भाषाई विविधता
- गाँव में अलग-अलग प्रांतों (राजस्थान, हरियाणा आदि) से आए परिवार बसे थे।
- बच्चों की भाषाएँ भिन्न थीं, लेकिन खेलते समय भाषा कोई बाधा नहीं बनती थी।
- छुट्टियों की स्मृतियाँ
- छुट्टियों के शुरुआती दिन खेल और तालाब में नहाने में बीतते।
- ननिहाल जाने पर नानी का दुलार और स्वादिष्ट भोजन मिलता।
- छुट्टियों के अंत में अधूरे काम के कारण डर और बेचैनी बढ़ती।
- स्कूल का वातावरण
- स्कूल छोटा था, केवल 9 कमरे।
- सुबह प्रार्थना, कतारबंदी और अनुशासन पर विशेष ध्यान।
- खेलकूद और परेड से बच्चों में उत्साह पैदा होता।
- पीटी मास्टर प्रीतमचंद
- बेहद सख्त और अनुशासनप्रिय।
- बच्चों को कठोर दंड देते (जैसे – कान पकड़कर बैठकें लगवाना, मारना)।
- उनके स्वभाव का विरोधाभास – तोतों से वे बहुत प्यार करते थे और उनसे मीठी बातें करते थे।
- हेडमास्टर शर्मा जी
- कोमल, विनम्र और स्नेहमयी।
- बच्चों को प्रेम से पढ़ाते।
- एक बार उन्होंने प्रीतमचंद मास्टर की बर्बरता रोकने के लिए उन्हें निलंबित कर दिया।
- स्काउटिंग और परेड
- नीली-पीली झंडियाँ और परेड बच्चों के लिए आकर्षण का केंद्र।
- स्काउट वर्दी पहनकर वे अपने को फ़ौजी जवान समझते थे।
- पीटी मास्टर की “शाबाश” बच्चों के लिए फ़ौजी तमगे जैसी लगती थी।
- नई कक्षाएँ और पढ़ाई
- नई किताबें और कापियाँ देखकर लेखक उदास हो जाता।
- उसे लगता कि आगे कठिन पढ़ाई और मारपीट उसका इंतज़ार कर रही है।
मुख्य पात्र
- लेखक (बालक रूप में) – खेलों में डूबे रहने वाले, पढ़ाई से घबराने वाले, मासूम और संवेदनशील।
- साथी बच्चे – निर्धन परिवारों से, खेलकूद में मग्न, पढ़ाई के प्रति उदासीन।
- नानी – दुलार करने वाली, प्रेममयी और बच्चों को खुश रखने वाली।
- पीटी मास्टर प्रीतमचंद – अनुशासनप्रिय, कठोर दंड देने वाले, पर तोतों से प्रेम करने वाले।
- हेडमास्टर शर्मा जी – दयालु, स्नेही, बच्चों के प्रति सहृदय।
शिक्षा / संदेश
- बचपन की स्मृतियाँ जीवनभर मनुष्य के साथ रहती हैं।
- बच्चों के लिए खेल स्वाभाविक आकर्षण होते हैं।
- शिक्षा में अनुशासन और प्रेम दोनों आवश्यक हैं।
- कठोर दंड से बच्चे घबराते हैं, जबकि प्रेम से उनमें आत्मविश्वास और उत्साह पैदा होता है।
- समाज और परिवार को शिक्षा के महत्व को समझना चाहिए।
प्रमुख घटनाएँ (बिंदुवार)
- बच्चों का खेल और चोटों के बावजूद खेलते रहना।
- शिक्षा के प्रति लापरवाही और स्कूल छोड़ना।
- छुट्टियों में तालाब की मस्ती और ननिहाल का दुलार।
- स्कूल की प्रार्थना, कतारबंदी और अनुशासन।
- पीटी मास्टर की कठोरता और तोतों से प्रेम।
- हेडमास्टर का स्नेह और पीटी मास्टर का निलंबन।
- स्काउटिंग और परेड से बच्चों का गर्व और उत्साह।
- नई कक्षाओं और पढ़ाई की कठिनाई से लेखक की उदासी।

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