Notes For All Chapters Hindi Kshitij Class 10 CBSE
1. कवि परिचय
- पूरा नाम: वैद्यनाथ मिश्र
- प्रसिद्ध नाम: नागार्जुन
- जन्म: 1911 ई., बिहार के दरभंगा ज़िले के सतलखा गाँव में
- शिक्षा:
- प्रारंभिक शिक्षा संस्कृत पाठशाला में
- आगे की पढ़ाई बनारस और कलकत्ता (कोलकाता) में
- विशेष घटना: 1936 में श्रीलंका गए और वहाँ बौद्ध धर्म में दीक्षित हुए
- स्वभाव: अक्खड़, घुमक्कड़, अनेक बार पूरे भारत का भ्रमण किया
- मृत्यु: 1998 ई.
2. साहित्यिक योगदान
- नागार्जुन ने कविता, उपन्यास और गद्य सभी विधाओं में लेखन किया।
- प्रमुख काव्य कृतियाँ:
- युगधारा
- सतरंगे पंखों वाली
- हज़ार-हज़ार बाँहों वाली
- तुमने कहा था
- पुरानी जूतियों का कोरस
- आखिर ऐसा क्या कह दिया मैंने
- मैं मिलिटरी का बूढ़ा घोड़ा
- अन्य बातें:
- ‘नागार्जुन रचनावली’ सात खंडों में प्रकाशित।
- हिंदी और मैथिली दोनों में समान लेखन।
- बांग्ला और संस्कृत में भी काव्य-रचना।
- मैथिली में ‘यात्री‘ नाम से प्रसिद्ध।
3. पुरस्कार और सम्मान
- हिंदी अकादमी, दिल्ली का शिखर सम्मान
- उत्तर प्रदेश सरकार का भारत भारती पुरस्कार
- बिहार सरकार का राजेंद्र प्रसाद पुरस्कार
- मैथिली भाषा की कविता के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार
4. विशेषताएँ (कवि व्यक्तित्व और काव्य)
- लोकजीवन और ग्रामीण संस्कृति से गहरा जुड़ाव।
- भ्रष्टाचार, राजनीतिक स्वार्थ और समाज की कमजोरियों पर तीखा प्रहार।
- व्यंग्य के कारण इन्हें “आधुनिक कबीर” कहा गया।
- छायावादोत्तर काल के ऐसे कवि, जिनकी कविताएँ गाँव की चौपाल और साहित्यिक मंच – दोनों जगह लोकप्रिय हुईं।
- नागार्जुन जनकवि कहलाए क्योंकि उनकी कविताएँ जनता की भाषा और भावनाओं से जुड़ी थीं।
- छंदबद्ध और मुक्त छंद – दोनों में लेखन।
5. प्रस्तुत कविताएँ
(क) यह दंतुरित मुसकान
- विषय: छोटे बच्चे की मासूम मुस्कान।
- भाव:
- यह मुस्कान मृतक में भी जीवन ला सकती है।
- कठोर से कठोर हृदय भी पिघल जाता है।
- बच्चे की आँखों का बाँकपन उसकी मुस्कान की सुंदरता को और बढ़ा देता है।
- बिंब और प्रतीक:
- धूलि-धूसर गात → ग्रामीण बच्चे का चित्रण।
- झोंपड़ी में खिले कमल → मुस्कान की पवित्रता।
- शेफालिका के फूल झरना → मासूमियत और सौंदर्य।
- बांस और बबूल → कठोरता और कोमलता का अंतर।
- निष्कर्ष: बच्चे की दंतुरित मुस्कान जीवन का संदेश और सुंदरता का प्रतीक है।
(ख) फसल
- विषय: फसल की उत्पत्ति और उसके पीछे का सामूहिक श्रम।
- भाव:
- फसल केवल खेत की उपज नहीं है, बल्कि यह प्रकृति और श्रम का अद्भुत संगम है।
- इसमें नदियों का पानी, किसानों के हाथों का परिश्रम, मिट्टी की उर्वरता, सूर्य की किरणें और हवा का सहयोग शामिल है।
- प्रमुख तत्त्व:
- नदियों का जल
- लाखों हाथों का परिश्रम
- हज़ारों खेतों की मिट्टी का गुण
- सूर्य की किरणें
- हवा की थिरकन
- भाषा: बोलचाल की, सहज और लयपूर्ण।
- निष्कर्ष: कविता हमें कृषि संस्कृति के महत्व और मनुष्य-प्रकृति के सहयोग से होने वाले सृजन की याद दिलाती है।
6. दोनों कविताओं का संदेश
- यह दंतुरित मुसकान → मासूमियत और सौंदर्य से जीवन में ऊर्जा और आशा आती है।
- फसल → सृजन और उत्पादन के लिए मनुष्य और प्रकृति का सामूहिक योगदान आवश्यक है।
7. शैलीगत विशेषताएँ
- सरल और बोलचाल की भाषा।
- बिंबों और प्रतीकों के माध्यम से भावों की अभिव्यक्ति।
- व्यंग्य और जनजीवन की गहरी पकड़।
- लोकधर्मी और आंदोलनधर्मी काव्य।
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