Notes For All Chapters Hindi Kshitij Class 10 CBSE
नेताजी का चश्मा – पठन सामग्री और सार
लेखक परिचय
- नाम : स्वयं प्रकाश
- जन्म : 1947, इंदौर (मध्यप्रदेश)
- पेशा : मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की, औद्योगिक संस्थान में नौकरी की।
- जीवन : बचपन और नौकरी का अधिकांश समय राजस्थान में व्यतीत किया।
- साहित्यिक योगदान :
- वसुधा पत्रिका के संपादन से जुड़े।
- 13 कहानी संग्रह प्रकाशित – सूरज कब निकलेगा, आएँगे अच्छे दिन भी, आदमी जात का आदमी, संधान (प्रमुख)।
- उपन्यास – विनय, ईंधन (चर्चित)।
- सम्मान : पहल सम्मान, बनमाली पुरस्कार, राजस्थान साहित्य अकादमी पुरस्कार।
- निधन : 2019
- विशेषता :
- मध्यवर्गीय जीवन का सजीव चित्रण।
- वर्ग-शोषण के खिलाफ चेतना।
- जाति, संप्रदाय और लिंग आधारित भेदभाव के प्रति प्रतिकार।
- किस्सागोई शैली से हिंदी की वाचिक परंपरा को समृद्ध किया।
2. कहानी का सार
- कस्बे के मुख्य चौराहे पर नेताजी सुभाषचंद्र बोस की प्रतिमा लगाई गई।
- प्रतिमा सुंदर थी पर उसमें पत्थर का चश्मा नहीं बना।
- कस्बे का कैप्टन चश्मेवाला नेताजी को बिना चश्मे के नहीं देख सकता था।
- वह अपने पास उपलब्ध फ्रेमों में से कोई-न-कोई चश्मा प्रतिमा पर लगा देता था।
- जब किसी ग्राहक को वही फ्रेम चाहिए होता, तो वह मूर्ति से उतारकर उसे दे देता और दूसरा फ्रेम लगा देता।
- इस प्रकार नेताजी की प्रतिमा पर बार-बार चश्मा बदलता रहता।
- हालदार साहब जब-जब कस्बे से गुज़रते, प्रतिमा के चश्मे में बदलाव देखकर प्रसन्न और भावुक होते।
- कैप्टन की मृत्यु के बाद प्रतिमा पर चश्मा नहीं रहा। कस्बे के लोग उदास हो गए।
- बाद में किसी बच्चे ने सरकंडे का चश्मा प्रतिमा पर चढ़ा दिया।
- इसे देखकर हालदार साहब भावुक हो उठे और समझे कि देशभक्ति सिर्फ युद्धभूमि पर नहीं, बल्कि आम जनजीवन में भी होती है।
3. प्रमुख पात्र
- कैप्टन चश्मेवाला
- बूढ़ा, लँगड़ा, गरीब फेरीवाला।
- नेताजी की मूर्ति को बिना चश्मे के देखना सहन नहीं कर पाता।
- देशभक्ति की भावना से प्रतिमा पर बार-बार चश्मा चढ़ाता।
- समाज उसे पागल कहता, पर उसका कार्य देशप्रेम का प्रतीक था।
- हालदार साहब
- कस्बे से नियमित रूप से गुज़रने वाले अधिकारी।
- नेताजी की प्रतिमा और बदलते चश्मे को देखकर कौतुक और प्रेरणा पाते।
- कैप्टन की मृत्यु पर दुखी हो जाते हैं और भावुक हो उठते हैं।
- पानवाला
- खुशमिज़ाज, हँसमुख परंतु भीतर से संवेदनशील।
- कैप्टन के कार्य को मजाक में लेता है, पर उसकी मृत्यु पर उदास हो जाता है।
- मूर्तिकार मास्टर मोतीलाल
- स्थानीय हाई स्कूल का ड्राइंग मास्टर।
- मूर्ति बनाते समय संगमरमर का चश्मा नहीं बना पाया।
- उसकी यह कमी ही कहानी की आधारशिला बनी।
4. मुख्य घटनाएँ (Points-wise)
- कस्बे में नेताजी की मूर्ति स्थापित हुई।
- मूर्तिकार संगमरमर का चश्मा नहीं बना पाया।
- कैप्टन चश्मेवाला नेताजी को वास्तविक चश्मा पहनाता।
- ग्राहकों की ज़रूरत के अनुसार मूर्ति पर चश्मे बार-बार बदलते रहे।
- हालदार साहब हर बार प्रतिमा का चश्मा देखकर कौतुक और देशप्रेम अनुभव करते।
- कैप्टन की मृत्यु के बाद प्रतिमा पर चश्मा नहीं रहा।
- एक बच्चे ने सरकंडे का चश्मा चढ़ाया, जिससे आशा और भावुकता का संचार हुआ।
5. विषय-वस्तु
- कहानी साधारण से प्रसंग के माध्यम से गहरे देशप्रेम का संदेश देती है।
- छोटे-छोटे कार्य भी राष्ट्रप्रेम की भावना जगाते हैं।
- गुमनाम लोग भी अपने ढंग से देश की सेवा करते हैं।
- समाज में मज़ाक का पात्र बने लोग भी सच्चे देशभक्त हो सकते हैं।
6. शिक्षा / संदेश
- देशभक्ति का मूल्य भाव में है, दिखावे में नहीं।
- गुमनाम और साधारण लोग भी देश के निर्माण में योगदान देते हैं।
- छोटे-से कार्य को भी गंभीरता से लेना चाहिए।
- सच्चे देशभक्त का सम्मान करना हमारा कर्तव्य है।
- हर व्यक्ति अपने-अपने तरीके से राष्ट्रप्रेम व्यक्त कर सकता है।
Question and answer
neta ji chasma ka padh citran bhajo
Very helpful ☺️
very easy to understand but there are some words missing
I easily understand and these notes are very helpful for me I like the way they make excellent notes
Good very good English I learn from here
Very nice