Notes For All Chapters Hindi Kshitij Class 10 CBSE
बालगोबिन भगत – पठन सामग्री और सार
1. लेखक परिचय
- नाम : रामवृक्ष बेनीपुरी
- जन्म : 1899, बेनीपुर गाँव (मुजफ्फरपुर, बिहार)
- जीवन :
- माता-पिता का निधन बचपन में ही हो गया।
- कठिनाइयों और अभावों में जीवन गुज़रा।
- दसवीं तक शिक्षा प्राप्त की।
- 1920 में स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़े और कई बार जेल गए।
- निधन : 1968
- साहित्यिक योगदान :
- प्रतिभाशाली पत्रकार और संपादक – तरुण भारत, किसान मित्र, बालक, युवक, योगी, जनता, जनवाणी, नयी धारा।
- प्रमुख कृतियाँ :
- पतितों के देश में (उपन्यास)
- चिता के फूल (कहानी)
- अंबपाली (नाटक)
- माटी की मूरतें (रेखाचित्र)
- पैरों में पंख बाँधकर (यात्रा-वृत्तांत)
- जंजीरें और दीवारें (संस्मरण)
- पूरा साहित्य बेनीपुरी रचनावली (8 खंडों में)।
- विशेषता :
- लेखन में स्वतंत्रता चेतना, मानवीय संवेदना और इतिहास की युगानुरूप व्याख्या।
- विशिष्ट शैलीकार, जिन्हें “कलम का जादूगर” कहा जाता है।
2. रचना का परिचय
- “बालगोबिन भगत” एक रेखाचित्र है।
- इसमें लेखक ने ग्रामीण जीवन के ऐसे विलक्षण चरित्र का चित्रण किया है जो:
- साधारण गृहस्थ होते हुए भी साधुता के गुणों से युक्त था।
- भक्ति, सादगी, सत्य और संगीत का प्रतीक था।
- कबीर की वाणी और लोक-संस्कृति का जीवंत रूप था।
- यह रचना सामाजिक रूढ़ियों पर प्रहार करती है और सच्चे साधुत्व का मर्म समझाती है।
3. बालगोबिन भगत का व्यक्तित्व
- कद-काठी : मँझोले कद के, गोरे-चिट्टे, उम्र साठ से ऊपर।
- वेशभूषा :
- कमर में केवल लंगोटी,
- सिर पर कनफटी टोपी,
- जाड़े में काली कमली,
- मस्तक पर चमकता रामानंदी चंदन,
- गले में तुलसी की जड़ों की बेडौल माला।
- गृहस्थ जीवन :
- पत्नी का उल्लेख नहीं, पर बेटा और पतोहू थे।
- खेती-बाड़ी और साफ-सुथरा मकान था।
- स्वभाव :
- सत्यप्रिय और सरल स्वभाव।
- झूठ नहीं बोलते थे।
- बिना अनुमति किसी की वस्तु उपयोग नहीं करते।
- पराई वस्तु या खेत तक को छूना उचित नहीं मानते।
- आस्था :
- कबीर को ‘साहब’ मानते थे।
- खेत की उपज सबसे पहले कबीरपंथी मठ में चढ़ाते, फिर प्रसाद रूप में घर लाते।
4. संगीत-साधना
- भगत की सबसे बड़ी विशेषता उनका मधुर गायन था।
- वे कबीर के सीधे-सादे पद गाते थे।
- उनका संगीत वातावरण को जादुई बना देता :
- खेतों में रोपनी करते समय गीत सुनकर बच्चे, औरतें और मजदूर झूम उठते।
- भादो की आधी रात को खैजड़ी की ध्वनि और उनका गायन लोगों को चौंका देता।
- कार्तिक से फागुन तक प्रभातियाँ गाते और वातावरण को पवित्र कर देते।
- माघ की ठंडी भोर में भी उनकी खैजड़ी और स्वर वातावरण को जीवंत बना देते।
- गर्मियों की शाम को आँगन में भजन-कीर्तन का आयोजन करते।
5. मार्मिक प्रसंग
- पुत्र की मृत्यु
- इकलौता बेटा मर गया।
- बेटे को फूल और तुलसीदल से सजाकर आँगन में रखा।
- खुद सामने बैठकर गीत गाते रहे।
- पतोहू को रोने के बजाय आनंद मनाने की शिक्षा दी।
- बेटे के क्रियाकर्म में पतोहू से ही अग्नि दिलाई।
- श्राद्ध के बाद पतोहू को मायके भेज दिया और पुनः विवाह का आदेश दिया।
- मृत्यु का प्रसंग
- हर वर्ष गंगा स्नान को जाते।
- अंतिम दिनों में भी गीत-साधना और नेम-व्रत नहीं छोड़ा।
- एक दिन संध्या को गाते-गाते उनकी जीवन-डोर टूट गई।
- सुबह लोग गीत न सुन पाए और देखा कि भगत का शरीर निस्तेज पड़ा है।
6. भगत के चरित्र की विशेषताएँ
- गृहस्थ होते हुए भी सच्चे साधु।
- कबीर पर अगाध श्रद्धा।
- ईमानदारी, सत्य और खरे व्यवहार के प्रतीक।
- मोह-माया से परे, मृत्यु को उत्सव मानने वाले।
- संगीत और भक्ति में निरंतर लीन।
- सामाजिक रूढ़ियों के विरोधी, व्यवहार में अत्यंत उदार।
7. संदेश / शिक्षा
- साधुता आडंबर और वेशभूषा में नहीं, बल्कि आचरण और जीवन-व्यवहार में होती है।
- सच्ची श्रद्धा और भक्ति मनुष्य को महान बनाती है।
- कबीर की वाणी जीवन को सही दिशा देती है।
- मृत्यु को अंत नहीं, बल्कि परमात्मा से मिलन का अवसर मानना चाहिए।
- ग्रामीण जीवन में भी आध्यात्मिकता और मानवीय मूल्य गहराई से बसे हुए हैं।
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