Notes For All Chapters Hindi Kshitij Class 10 CBSE
लखनवी अंदाज़ – पठन सामग्री और सार
. लेखक परिचय
- नाम : यशपाल
- जन्म : 1903, फ़िरोज़पुर छावनी (पंजाब)
- शिक्षा : प्रारंभिक शिक्षा काँगड़ा में, फिर लाहौर के नेशनल कॉलेज से बी.ए.
- क्रांतिकारी जीवन :
- कॉलेज में भगत सिंह और सुखदेव से परिचय।
- स्वतंत्रता संग्राम की क्रांतिकारी धारा से जुड़े।
- जेल भी गए।
- निधन : 1976
- साहित्यिक योगदान :
- कहानी संग्रह : ज्ञानदान, तर्क का तूफान, पिंजरे की उड़ान, वा दुलिया, फूलो का कुर्ता।
- प्रमुख उपन्यास : झूठा सच (भारत विभाजन की त्रासदी पर आधारित), अमिता, दिव्या, पार्टी कामरेड, दादा कामरेड, मेरी तेरी उसकी बात।
- विशेषताएँ :
- आम आदमी के सरोकारों के चित्रकार।
- यथार्थवादी शैली के रचनाकार।
- सामाजिक विषमता, राजनीतिक पाखंड और रूढ़ियों पर प्रहार।
- भाषा की स्वाभाविकता और सजीवता उनकी पहचान।
2. रचना का परिचय
- यह रचना मूल रूप से यह सिद्ध करने के लिए लिखी गई थी कि बिना कथ्य (विचार, घटना, पात्र) के कहानी नहीं लिखी जा सकती।
- बाद में इसे एक स्वतंत्र व्यंग्यात्मक रचना के रूप में भी पढ़ा गया।
- इसमें यशपाल ने पतनशील सामंती वर्ग पर व्यंग्य किया है।
- यह रचना ऐसे लोगों को उजागर करती है जो वास्तविकता से बेखबर होकर केवल दिखावटी जीवन जीते हैं।
- आज भी ऐसी बनावटी, परजीवी संस्कृति समाज में देखी जा सकती है।
3. कथा-सार
- लेखक ट्रेन के सेकंड क्लास डिब्बे में बैठते हैं।
- वहाँ एक सफ़ेदपोश नवाब साहब बैठे होते हैं।
- उनके सामने तौलिए पर दो ताज़े खीरे रखे होते हैं।
- लेखक के आने से उनके एकांत में विघ्न पड़ता है।
- नवाब साहब बहुत शानो-शौकत और तहज़ीब के साथ खीरे को धोते, काटते और उस पर नमक-मिर्च छिड़कते हैं।
- वे हर फाँक को होंठों तक ले जाकर सूँघते हैं, पर खाते नहीं और खिड़की से बाहर फेंक देते हैं।
- आखिर में गर्व से कहते हैं कि यही खानदानी तहज़ीब और नफ़ासत है।
- लेखक को यह देखकर एहसास होता है कि यह दिखावा असलियत छिपाने की कोशिश है।
- इसी प्रसंग से यशपाल ने व्यंग्य किया कि – यदि खीरे की खुशबू से ही पेट भर सकता है, तो बिना कथ्य के भी कहानी लिखी जा सकती है!
4. प्रमुख पात्र
- नवाब साहब
- पतनशील सामंती वर्ग के प्रतिनिधि।
- दिखावटी तहज़ीब और नफ़ासत का प्रदर्शन करते हैं।
- असलियत छिपाकर खानदानी अंदाज़ दिखाना चाहते हैं।
- लेखक (यशपाल)
- एक जागरूक और व्यंग्यात्मक दृष्टि वाले व्यक्ति।
- नवाब साहब की बनावटी आदतों पर कटाक्ष करते हैं।
- उनके आडंबर से समाज की सच्चाई उजागर करते हैं।
5. प्रमुख घटनाएँ (Points-wise)
- लेखक का ट्रेन के डिब्बे में प्रवेश।
- नवाब साहब का लेखक से बातचीत में रुचि न लेना।
- खीरे को धोने, काटने और सजाने की बारीक प्रक्रिया।
- खीरे को खाते नहीं, केवल सूँघकर खिड़की से बाहर फेंकना।
- गर्व से खानदानी तहज़ीब का प्रदर्शन।
- लेखक का व्यंग्य – खीरे की खुशबू से पेट भरना और बिना कथ्य के कहानी लिखना एक जैसे हैं।
6. रचना की विशेषताएँ
- व्यंग्यात्मक शैली : लखनवी अंदाज़ के माध्यम से बनावटी जीवनशैली पर कटाक्ष।
- यथार्थ का उद्घाटन : सामंती वर्ग की खोखली आदतों का खुलासा।
- सरल और प्रभावी भाषा : संवादों में लखनवी तहज़ीब का मज़ाकिया चित्रण।
- सामाजिक उद्देश्य : दिखावे और वास्तविकता के विरोधाभास को सामने लाना।
7. शिक्षा / संदेश
- दिखावे और आडंबर से व्यक्तित्व महान नहीं बनता।
- खानदानी तहज़ीब और नफ़ासत का अर्थ केवल बनावटी व्यवहार नहीं है।
- जीवन का मूल्य सच्चाई और यथार्थ में है, न कि दिखावटी संस्कृति में।
- साहित्य (कहानी) का आधार विचार, घटना और पात्र होते हैं – केवल दिखावा नहीं।
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