Short Questions Answer
प्रश्न 1. लेखक का वास्तविक नाम क्या था और उन्हें पिता क्या कहकर पुकारते थे?
उत्तर: लेखक का नाम तारकेश्वरनाथ था और पिता उन्हें भोलानाथ कहकर पुकारते थे।
प्रश्न 2. लेखक अपने पिता को किस नाम से पुकारते थे?
उत्तर: वे अपने पिता को ‘बाबू जी’ कहते थे।
प्रश्न 3. लेखक की माता को वे किस नाम से बुलाते थे?
उत्तर: वे अपनी माता को ‘मइयाँ’ कहते थे।
प्रश्न 4. राम-नाम लिखने के बाद बाबू जी उन टुकड़ों का क्या करते थे?
उत्तर: वे कागज़ पर राम-नाम लिखकर आटे की गोलियों में लपेटते और गंगा में मछलियों को खिलाते थे।
प्रश्न 5. लेखक अपने पिता के साथ खेलते समय उन्हें कैसे हराते थे?
उत्तर: बाबू जी शिथिल होकर उनकी ताकत बढ़ाते और लेखक उन्हें पछाड़ देते थे।
प्रश्न 6. माता खिलाते समय खाने को रोचक कैसे बनाती थी?
उत्तर: वह खाने के कौरों को तोता, मैना, कबूतर आदि के नाम देकर खिलाती थी।
प्रश्न 7. बच्चों के खेलों में मिठाई की दुकान में मिठाइयाँ किससे बनती थीं?
उत्तर: लड्डू, कचौरी, जलेबी आदि मिट्टी, ढेले, घड़े के टुकड़े और पत्तों से बनती थीं।
प्रश्न 8. खेती के खेल में कुआँ और बैल किससे बनाए जाते थे?
उत्तर: गली को कुआँ और दो लड़कों को बैल बनाया जाता था।
प्रश्न 9. बारिश के बाद बच्चों ने किससे छेड़छाड़ की जिससे गुरु जी तक बात पहुँच गई?
उत्तर: उन्होंने मूसन तिवारी को चिढ़ाया था।
प्रश्न 10. संकट के समय बच्चा पिता के बजाय किसकी शरण में गया?
उत्तर: वह माँ की शरण में गया।
Long Questions Answer
प्रश्न 1. बच्चा पिता से अधिक जुड़ा था, फिर भी संकट में वह माँ के पास क्यों गया?
उत्तर: पिता से जुड़ाव होते हुए भी विपदा के समय बच्चा माँ की शरण इसलिए गया क्योंकि माँ का आँचल उसे सुरक्षा, स्नेह और शांति प्रदान करता था। डर और पीड़ा के क्षणों में उसे माँ का ममतामय आँचल ही सहारा देता था।
प्रश्न 2. भोलानाथ अपने साथियों को देखकर सिसकना क्यों भूल जाता था?
उत्तर: साथियों के मिलने पर उसमें खेल और उमंग का भाव जाग उठता था। साथियों के बीच वह रोना भूलकर खेलों और तुकबंदी में रम जाता था।
प्रश्न 3. लेखक ने अपने बचपन के कौन-कौन से खेलों का वर्णन किया है?
उत्तर: लेखक ने मिठाई की दुकान सजाने, घरौंदा बनाने, बरात निकालने, खेती करने, बरसात में नाटक करने और पकड़ी-पकड़ी खेलने जैसे खेलों का वर्णन किया है।
प्रश्न 4. बाबू जी और मइयाँ बच्चे के प्रति किस प्रकार का स्नेह प्रकट करते थे?
उत्तर: बाबू जी खेल-खेल में बेटे को हँसाते, खिलाते और झुलाते थे। मइयाँ प्यार से तरह-तरह के बहाने बनाकर खिलाती और संकट में आँचल में छिपाकर उसकी रक्षा करती थी। दोनों का वात्सल्य अनुपम था।
प्रश्न 5. तीस के दशक की ग्राम्य संस्कृति का चित्रण इस पाठ में कैसे मिलता है?
उत्तर: इसमें बच्चों के मिट्टी, तिनके और टुकड़ों से बने खिलौनों के खेल, परिवार का सामूहिक वात्सल्य, मेलों का उत्साह और लोकगीतों की झलक दिखाई देती है। यह उस समय की सादगीपूर्ण ग्रामीण संस्कृति का चित्रण है।
प्रश्न 6. पाठ में ऐसा कौन-सा प्रसंग है जिसने आपका मन छू लिया?
उत्तर: जब बच्चा घायल होकर माँ की गोद में शरण लेता है और माँ आँसुओं से उसे सहलाती है, हल्दी लगाती है – यह प्रसंग अत्यंत मार्मिक और हृदयस्पर्शी है।
प्रश्न 7. बच्चों की दुनिया का वर्णन करते हुए लेखक ने कौन-से खेलों को जीवंत किया है?
उत्तर: लेखक ने बच्चों की दुनिया में मिठाई की दुकान, घरौंदा, बरात, खेती, बरसात के नाटक और तुकबंदी वाले खेलों को जीवंत रूप से प्रस्तुत किया है।
प्रश्न 8. शीर्षक ‘माता का आँचल’ की उपयुक्तता स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: संकट और पीड़ा के समय बच्चा माँ के आँचल में शरण लेकर सुरक्षित और निश्चिंत होता है। माँ का आँचल प्रेम, सुरक्षा और शांति का प्रतीक है। इसलिए यह शीर्षक अत्यंत उपयुक्त है।
प्रश्न 9. इस पाठ में बाल-मन की कौन-सी विशेषताएँ उजागर होती हैं?
उत्तर: इसमें जिज्ञासा, खेल-खेल में तुकबंदी करना, डरना और फिर भूल जाना, हँसी-मज़ाक करना और साथियों संग मिलकर जीवन को उत्सव बनाना – ये सभी बाल-मन की सहज विशेषताएँ प्रकट होती हैं।
प्रश्न 10. इस पाठ से माता-पिता के वात्सल्य का क्या संदेश मिलता है?
उत्तर: यह पाठ सिखाता है कि माता-पिता का प्रेम ही बच्चे की सबसे बड़ी शक्ति है। पिता खेलों और शिक्षा के माध्यम से जीवन में उत्साह भरते हैं और माँ अपनी ममता से हर संकट में सुरक्षा देती है।
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