Short Questions Answer
प्रश्न 1. यतींद्र मिश्र का जन्म कब और कहाँ हुआ था?
उत्तर: सन् 1977 में अयोध्या (उत्तर प्रदेश) में।
प्रश्न 2. उस्ताद बिस्मिल्ला खाँ का जन्म कहाँ हुआ था?
उत्तर: डुमराँव, बिहार में।
प्रश्न 3. शहनाई बजाने के लिए किसका प्रयोग किया जाता है?
उत्तर: नरकट से बनी रीड का।
प्रश्न 4. बिस्मिल्ला खाँ का असली नाम क्या था?
उत्तर: अमीरुद्दीन।
प्रश्न 5. बिस्मिल्ला खाँ के उस्ताद कौन थे?
उत्तर: मामू अलीबख्श खाँ।
प्रश्न 6. शहनाई को किस प्रकार के वाद्ययंत्र में गिना जाता है?
उत्तर: सुषिर वाद्ययंत्रों में।
प्रश्न 7. बिस्मिल्ला खाँ को कौन-सा सर्वोच्च सम्मान मिला था?
उत्तर: भारतरत्न।
प्रश्न 8. बिस्मिल्ला खाँ मुहर्रम के समय क्या करते थे?
उत्तर: वे शहनाई से नौहा बजाते हुए दालमंडी तक पैदल जाते थे।
प्रश्न 9. संकटमोचन मंदिर में कौन-सा आयोजन होता था?
उत्तर: शास्त्रीय और उपशास्त्रीय संगीत का वार्षिक आयोजन।
प्रश्न 10. बिस्मिल्ला खाँ का देहांत कब हुआ?
उत्तर: 21 अगस्त 2006 को।
Long Questions Answer
प्रश्न 1. शहनाई की दुनिया में डुमराँव को क्यों याद किया जाता है?
उत्तर: डुमराँव में नरकट (रीड) पाया जाता है, जिससे शहनाई की रीड बनती है। इसके अलावा यह उस्ताद बिस्मिल्ला खाँ का जन्मस्थान भी है। इसलिए डुमराँव का नाम शहनाई की दुनिया में प्रसिद्ध है।
प्रश्न 2. बिस्मिल्ला खाँ को शहनाई की मंगलध्वनि का नायक क्यों कहा जाता है?
उत्तर: उन्होंने शहनाई को मंदिरों और मांगलिक अवसरों पर बजाकर इसे शुभ और मंगलध्वनि का प्रतीक बनाया। उनकी शहनाई की ध्वनि लोगों के मन में श्रद्धा और भक्ति का भाव जगाती थी।
प्रश्न 3. ‘सुषिर वाद्य’ से क्या अभिप्राय है? शहनाई को ‘सुषिर वाद्यों में शाह’ क्यों कहा गया है?
उत्तर: जिन वाद्ययंत्रों को फूँककर बजाया जाता है उन्हें सुषिर वाद्य कहते हैं। शहनाई अपनी मधुरता और गहराई के कारण इन वाद्यों का ‘शाह’ कहलाती है।
प्रश्न 4. बिस्मिल्ला खाँ के जीवन में संगीत साधना का स्थान स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: बिस्मिल्ला खाँ ने जीवनभर संगीत को साधना और इबादत माना। वे नमाज़ के बाद खुदा से सच्चा सुर माँगते थे। अस्सी वर्ष की उम्र तक भी वे निरंतर रियाज़ करते रहे।
प्रश्न 5. काशी से बिस्मिल्ला खाँ का लगाव क्यों था?
उत्तर: काशी में उनके नाना और खानदान की कई पीढ़ियों ने शहनाई बजाई थी। गंगा जी, बाबा विश्वनाथ और बालाजी मंदिर उनकी आस्था के केंद्र थे। वे कहते थे कि “काशी और शहनाई से बढ़कर कोई जन्नत नहीं।”
प्रश्न 6. बिस्मिल्ला खाँ मिली-जुली संस्कृति के प्रतीक कैसे थे?
उत्तर: वे मुसलमान होकर भी काशी विश्वनाथ और बालाजी मंदिर में शहनाई बजाते थे। साथ ही मुहर्रम के अवसर पर शोक की शहनाई बजाते थे। उनका जीवन गंगा-जमुनी तहज़ीब का प्रतीक था।
प्रश्न 7. मुहर्रम के समय बिस्मिल्ला खाँ की भूमिका का वर्णन कीजिए।
उत्तर: मुहर्रम के अवसर पर वे राग-रागिनियाँ नहीं बजाते थे, बल्कि नौहा बजाते हुए दालमंडी तक पैदल जाते थे। उनकी शहनाई से हज़ारों आँखें नम हो जाती थीं।
प्रश्न 8. बिस्मिल्ला खाँ के व्यक्तित्व की कौन-कौन सी विशेषताएँ प्रभावित करती हैं?
उत्तर: उनकी सादगी, लगन, नम्रता, धर्मनिरपेक्ष सोच, संगीत के प्रति समर्पण और विनम्र हास्यभाव हमें प्रभावित करते हैं।
प्रश्न 9. बिस्मिल्ला खाँ को ‘सच्चा इंसान’ क्यों कहा गया है?
उत्तर: उन्होंने नाम और प्रसिद्धि के बावजूद सरल जीवन जिया। फटी तहमद में भी वे मिलते थे और कहते थे—”भारतरत्न हमें शहनाई पर मिला है, कपड़ों पर नहीं।” यह उनकी सच्चाई और ईमानदारी दर्शाता है।
प्रश्न 10. बिस्मिल्ला खाँ की सबसे बड़ी देन क्या मानी जाती है?
उत्तर: उन्होंने अस्सी वर्ष तक शहनाई की साधना को जिंदा रखा और उसे विश्व स्तर पर प्रतिष्ठित किया। उनकी शहनाई ने भारतीय संगीत को नई पहचान दी।
Leave a Reply