Short Questions Answer
प्रश्न 1: प्रहलाद अग्रवाल का जन्म कब और कहाँ हुआ था?
उत्तर: 1947 में मध्य प्रदेश के जबलपुर शहर में।
प्रश्न 2: प्रहलाद अग्रवाल की शिक्षा क्या है?
उत्तर: हिंदी से एम.ए.।
प्रश्न 3: प्रहलाद अग्रवाल का वर्तमान पद क्या है?
उत्तर: सतना के शासकीय स्वशासी स्नातकोत्तर महाविद्यालय में प्राध्यापन।
प्रश्न 4: प्रहलाद अग्रवाल का शौक क्या रहा है?
उत्तर: हिंदी फ़िल्मों के इतिहास और फ़िल्मकारों के जीवन पर चर्चा।
प्रश्न 5: प्रहलाद अग्रवाल की प्रमुख कृतियों के नाम बताइए।
उत्तर: सातवाँ दशक, तानाशाह, मैं खुशबू, सुपर स्टार, राजकपूर: आधी हकीकत आधा फ़साना, कवि शैलेंद्र : जिंदगी की जीत में यकीन, प्यासा : चिर अतृप्त गुरुदत्त, उत्ताल उमंग : सुभाष घई की फ़िल्मकला, ओ रे माँझी : बिमल राय का सिनेमा, महाबाज़ार के महानायक : इक्कीसवीं सदी का सिनेमा।
प्रश्न 6: ‘तीसरी कसम’ फ़िल्म का शिल्पकार कौन है?
उत्तर: शैलेंद्र।
प्रश्न 7: ‘तीसरी कसम’ किस कृति पर आधारित है?
उत्तर: फणीश्वर नाथ रेणु की अमर कृति ‘तीसरी कसम उर्फ़ मारे गए गुलफाम’ पर।
प्रश्न 8: ‘तीसरी कसम’ में मुख्य अभिनेता कौन हैं?
उत्तर: राजकपूर और वहीदा रहमान।
प्रश्न 9: ‘तीसरी कसम’ को कौन-सा पुरस्कार मिला?
उत्तर: राष्ट्रपति स्वर्णपदक।
प्रश्न 10: शैलेंद्र ने ‘तीसरी कसम’ क्यों बनाई?
उत्तर: संवेदनशीलता और कवि-हृदय से।
Long Questions Answer
प्रश्न 1: प्रहलाद अग्रवाल के जीवन और उनके साहित्यिक योगदान के बारे में संक्षेप में बताइए।
उत्तर: प्रहलाद अग्रवाल का जन्म भारत की आज़ादी के साल 1947 में मध्य प्रदेश के जबलपुर शहर में हुआ था। उन्होंने हिंदी से एम.ए. तक शिक्षा प्राप्त की। किशोर वय से ही उन्हें हिंदी फ़िल्मों के इतिहास, फ़िल्मकारों के जीवन और अभिनय पर चर्चा करने का शौक रहा। वे सतना के शासकीय स्वशासी स्नातकोत्तर महाविद्यालय में प्राध्यापन करते हैं। उन्होंने फ़िल्म क्षेत्र से जुड़े लोगों और फ़िल्मों पर बहुत लिखा है और आगे भी इस क्षेत्र को लेखन का विषय बनाए रखने के लिए कृतसंकल्प हैं। उनकी प्रमुख कृतियाँ हैं- सातवाँ दशक, तानाशाह, मैं खुशबू, सुपर स्टार, राजकपूर: आधी हकीकत आधा फ़साना, कवि शैलेंद्र : जिंदगी की जीत में यकीन, प्यासा : चिर अतृप्त गुरुदत्त, उत्ताल उमंग : सुभाष घई की फ़िल्मकला, ओ रे माँझी : बिमल राय का सिनेमा और महाबाज़ार के महानायक : इक्कीसवीं सदी का सिनेमा।
प्रश्न 2: ‘तीसरी कसम’ फ़िल्म के निर्माण की पृष्ठभूमि का वर्णन कीजिए।
उत्तर: ‘संगम’ की सफलता ने राजकपूर में आत्मविश्वास भर दिया और उन्होंने चार फ़िल्मों की घोषणा की। 1965 में ‘मेरा नाम जोकर’ शुरू की लेकिन छह वर्ष लग गए। इन वर्षों में राजकपूर की कई फ़िल्में आईं, जिनमें 1966 में शैलेंद्र की ‘तीसरी कसम’ शामिल है। यह शैलेंद्र की पहली और अंतिम फ़िल्म है। यह फणीश्वर नाथ रेणु की कृति पर आधारित है। इसमें राजकपूर ने सर्वोत्कृष्ट भूमिका निभाई। यह फ़िल्म सैल्यूलाइड पर कविता जैसी है। शैलेंद्र की संवेदनशीलता इसमें दिखती है।
प्रश्न 3: ‘तीसरी कसम’ फ़िल्म की सफलता और पुरस्कारों का वर्णन कीजिए।
उत्तर: ‘तीसरी कसम’ को राष्ट्रपति स्वर्णपदक मिला। बंगाल फ़िल्म जर्नलिस्ट एसोसिएशन द्वारा सर्वश्रेष्ठ फ़िल्म और कई अन्य पुरस्कार मिले। मास्को फ़िल्म फेस्टिवल में भी पुरस्कृत हुई। इसकी कलात्मकता की तारीफ हुई। इसमें शैलेंद्र की संवेदनशीलता है। यह हिंदी साहित्य की मार्मिक कृति को सार्थकता से उतारा। फ़िल्म ने गीत, संगीत, कहानी से शोहरत पाई। राजकपूर और वहीदा रहमान का अभिनय चमत्कृत करने वाला था।
प्रश्न 4: ‘तीसरी कसम’ के निर्माण में आई कठिनाइयों का वर्णन कीजिए।
उत्तर: शैलेंद्र ने फ़िल्म बनाई लेकिन राजकपूर ने पारिश्रमिक नहीं लिया। शंकर-जयकिशन और शैलेंद्र ने भी पारिश्रमिक नहीं लिया। राजकपूर ने शैलेंद्र की मस्ती का साथ दिया। शैलेंद्र ने राजकपूर को सचेत किया कि फ़िल्म सादगी वाली है। राजकपूर ने आत्म-संतुष्टि के लिए बनाई। निर्माण में कठिनाई आई, बमुश्किल पूरी हुई। वितरक नहीं मिले। शैलेंद्र को पैसे की दिक्कत हुई, लेकिन राजकपूर ने मदद की।
प्रश्न 5: ‘तीसरी कसम’ में राजकपूर और वहीदा रहमान के अभिनय का वर्णन कीजिए।
उत्तर: राजकपूर ने अपने जीवन की सर्वोत्कृष्ट भूमिका निभाई। उन्होंने हीरामन का चरित्र जीवंत किया। वहीदा रहमान ने वैसी ही उम्मीद के अनुसार अभिनय किया। राजकपूर ने सादगी और भाव-प्रवण अभिनय किया। हीरामन का उकडू बैठना, बोलना, हँसना सब सूक्ष्मता से किया। वहीदा ने हीराबाई का रोल किया। दोनों का अभिनय फ़िल्म को अमर बनाता है।
प्रश्न 6: ‘तीसरी कसम’ को साहित्यिक कृति पर आधारित फ़िल्म क्यों कहा गया है?
उत्तर: यह फणीश्वर नाथ रेणु की अमर कृति ‘तीसरी कसम उर्फ़ मारे गए गुलफाम’ पर आधारित है। शैलेंद्र ने इसे पूरी लगन और ईमानदारी से उतारा। फ़िल्म ने साहित्य की मार्मिक कृति को सार्थकता से सैल्यूलाइड पर उतारा। इसमें लोक-तत्त्व और जीवन-सापेक्षता है। यह फ़िल्म नहीं, कविता जैसी है।
प्रश्न 7: निम्नलिखित शब्दों की संधि कीजिए (पाठ से उदाहरण लेकर)।
उत्तर: (क) चित्र + अंकन = चित्रांकन। (ख) सर्व + उत्कृष्ट = सर्वोत्कृष्ट। (ग) चर्म + उत्कर्ष = चर्मोत्कर्ष। (घ) रूप + अंतरण = रूपांतरण। (ङ) घना + आनंद = घनानंद।
प्रश्न 8: निम्नलिखित का समास विग्रह कीजिए और समास का नाम भी लिखिए (पाठ से उदाहरण लेकर)।
उत्तर: (क) कला-मर्मज्ञ = कला के मर्मज्ञ, कर्मधारय समास। (ख) लोकप्रिय = लोक में प्रिय, तत्पुरुष समास। (ग) राष्ट्रपति = राष्ट्र का पति, तत्पुरुष समास।
प्रश्न 9: ‘तीसरी कसम’ फ़िल्म की विशेषताएँ बताइए।
उत्तर: यह साहित्यिक कृति पर आधारित है। इसमें गीत, संगीत, कहानी से शोहरत मिली। राजकपूर और वहीदा का अभिनय बेहतरीन है। यह कलात्मक और संवेदनशील है। राष्ट्रपति स्वर्णपदक और अन्य पुरस्कार मिले। मास्को फेस्टिवल में पुरस्कृत। यह सार्थक और उद्देश्यपरक है।
प्रश्न 10: ‘तीसरी कसम’ के निर्माण से हिंदी फ़िल्म जगत की क्या सच्चाई उजागर हुई?
उत्तर: निर्माण ने दिखाया कि हिंदी फ़िल्म जगत में सार्थक और उद्देश्यपरक फ़िल्म बनाना कितना कठिन और जोखिम का काम है। वितरक नहीं मिले, पैसे की दिक्कत हुई। लेकिन शैलेंद्र की लगन से बनी। यह यादगार फ़िल्म है जो मनोरंजन के साथ संदेश देती है।4.5sExpert
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