Short Questions Answer
1. मीराबाई का जन्म कब और कहाँ हुआ था?
उत्तर – मीराबाई का जन्म 1503 में जोधपुर के कुड़की गाँव में हुआ था।
2. मीरा का विवाह किससे हुआ था?
उत्तर – मीरा का विवाह मेवाड़ के महाराणा सांगा के पुत्र भोजराज से हुआ था।
3. मीरा के जीवन में कौन-कौन सी दुखद घटनाएँ हुईं?
उत्तर – उनकी माँ, पति, पिता और श्वसुर का देहांत जल्दी ही हो गया।
4. मीरा ने घर-परिवार क्यों त्याग दिया?
उत्तर – भौतिक जीवन से निराश होकर मीरा ने कृष्ण-भक्ति के लिए घर-परिवार त्याग दिया।
5. मीरा के गुरु कौन थे?
उत्तर – मीरा संत रैदास की शिष्या थीं।
6. मीरा की भक्ति किस भाव की थी?
उत्तर – मीरा की भक्ति दैन्य और माधुर्य भाव की थी।
7. पहले पद में मीरा हरि से क्या विनती करती हैं?
उत्तर – मीरा हरि से अपनी पीड़ा हरने की प्रार्थना करती हैं।
8. मीरा किसे अपना आराध्य मानती थीं?
उत्तर – मीरा अपने आराध्य के रूप में गिरधर गोपाल कृष्ण को मानती थीं।
9. दूसरे पद में मीरा श्याम से क्या चाहती हैं?
उत्तर – वे चाहती हैं कि श्याम उन्हें अपना चाकर (सेवक) बनाएँ।
10. मीरा की भाषा में कौन-कौन सी भाषाओं का मिश्रण है?
उत्तर – उनकी भाषा में राजस्थानी, ब्रज, गुजराती, पंजाबी, खड़ी बोली और पूर्वी का मिश्रण है।
Long Questions Answer
1. मीराबाई के जीवन का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
उत्तर – मीराबाई का जन्म 1503 में कुड़की गाँव में हुआ। कम उम्र में ही उनका विवाह भोजराज से हो गया। बाल्यावस्था में माँ का निधन, विवाह के बाद पति, पिता और श्वसुर का देहांत होने से मीरा का जीवन दुखों से भर गया। उन्होंने सांसारिक मोह छोड़कर कृष्ण-भक्ति का मार्ग अपनाया और वृंदावन में जीवन बिताया।
2. भक्ति आंदोलन में मीरा का स्थान स्पष्ट कीजिए।
उत्तर – मध्यकालीन भक्ति आंदोलन ने अनेक संत कवियों को जन्म दिया। उनमें मीरा का स्थान विशिष्ट है। उन्होंने कृष्ण को आराध्य मानकर दैन्य और माधुर्य भाव से भक्ति की। उनके पद गुजरात, बिहार, बंगाल और उत्तर भारत में लोकप्रिय हुए।
3. पहले पद में मीरा ने हरि से किस प्रकार प्रार्थना की है?
उत्तर – मीरा हरि से कहती हैं कि जैसे उन्होंने द्रौपदी की लाज बचाई और गजराज को बचाया, वैसे ही उनकी भी पीड़ा हरें। वे स्वयं को गिरधर की दासी मानकर उनसे अपने दुख दूर करने की विनती करती हैं।
4. दूसरे पद में मीरा की चाकरी भावना को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर – मीरा कहती हैं कि श्याम उन्हें अपना चाकर बना लें। वे चाकरी में दरसन पाएँगी, स्मरण करेंगी, भक्ति करेंगी और वृंदावन की गलियों में श्रीकृष्ण की लीलाएँ गाएँगी।
5. मीरा ने श्रीकृष्ण के रूप-सौंदर्य का वर्णन कैसे किया है?
उत्तर – मीरा ने श्रीकृष्ण को मोर मुकुटधारी, पीतांबर धारण किए, गले में वैजंती माला पहने हुए और वृंदावन में गाय चराने वाले मुरलीधर के रूप में चित्रित किया है।
6. मीरा की भक्ति में माधुर्य भाव किस प्रकार प्रकट होता है?
उत्तर – मीरा कृष्ण को अपने प्रियतम के रूप में मानती हैं। वे उनसे लाड़ करती हैं, मनुहार करती हैं, उलाहना भी देती हैं। यह माधुर्य भाव उनकी रचनाओं का मुख्य आधार है।
7. मीरा की भाषा की विशेषताएँ बताइए।
उत्तर – मीरा की भाषा में राजस्थानी, ब्रज और गुजराती का सुंदर मिश्रण है। साथ ही पंजाबी, खड़ी बोली और पूर्वी के शब्द भी मिलते हैं। यह भाषा भावप्रवण, सरल और संगीतात्मक है।
8. मीरा के जीवन में दुखों का क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर – लगातार दुखद घटनाओं के कारण मीरा ने सांसारिक जीवन से विरक्ति ले ली और कृष्ण-भक्ति में डूब गईं। दुखों ने ही उन्हें संसार से दूर करके पूर्णतः कृष्णमय बना दिया।
9. मीरा की रचनाओं में उनके आराध्य के कितने रूप मिलते हैं?
उत्तर – उनकी रचनाओं में आराध्य कभी निर्गुण निराकार ब्रह्म, कभी सगुण साकार श्रीकृष्ण और कभी जोगी के रूप में दिखाई देते हैं।
10. मीरा की साखियों और पदों से हमें क्या शिक्षा मिलती है?
उत्तर – मीरा की रचनाएँ हमें सिखाती हैं कि सच्ची भक्ति त्याग और समर्पण से मिलती है। सांसारिक दुखों से ऊपर उठकर ईश्वर को प्रेम और भक्ति से पाने की प्रेरणा मिलती है।
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